कंथारी
पांल और सेब्रिया ने मिलकर देश और दुनिया में हालात को बदलने वाले लोगों को तैयार करने का बीड़ा उठाया है। सेब्रिया जो बारह साल की उम्र से ही दृष्टिहीन हो गई थी उन्होंने अपने जस्बे से तिब्बत के दृष्टिहीन बच्चों का जीवन बदल दिया उनके लिये तिब्बती भाषा में ब्रेल लिपि बनाई।
पहली मुलाक़ात के बाद अपने देश जाकर एक दिन सेब्रिया ने पाल को फ़ोन किया और कहा कि मैंने तैयारी कर ली है मैं भारत जाकर सामाजिक परिवर्तन के लिये एक केंद्र बना रही हुँ। पास जो नीदरलैंड में एक बेहतर नौकरी में थे उन्होंने कहा मैंने कहा था तुम्हारा साथ दुंगा, तो मैं आ रहा हूँ। तुरंत अच्छी ख़ासी नौकरी छोड़ कर साथ आ गये। मिलकर 2009 में त्रिवेंद्रम के नज़दीक कंथारी की स्थापना की और अब तक 53 देशों के 258 लोगों को तैयार किया है जो ठोस सामाजिक परिवर्तन अपने देशों में कर रहे है।
कंथारी बहुत खुबसुरत केंद्र है त्रिवेंद्रम के पास , एक झील के किनारे बसा हुआ। पॉल और सेब्रिया अपने केंद्र में चुने हुये समर्पित लोगों को एक साल की ट्रेनिंग देते हैं, जिसमें सात महीने अपने केंद्र में रखते हैं और ये सब बिलकुल मुफ़्त में , हाँ वो ज़रूर साठ हज़ार रूपये काशन मनी जमा कराते हैं पर उनका कहना है कि उनके प्रत्येक ग्रैजुएट पर सात लाख का खर्च आता है.। उनके दिये हुए एडमिशन का पोस्टर भी मैं यहाँ साझा कर रहा हूँ ।