{किश्त 42}
राजनेता,फोटोग्राफर, पर्यावरण क्षेत्र के विशेष वक्ता,फ़िल्म निर्माता सत्यजीत रे के साथ फ़िल्म निर्माण में सहयोगी,कंजूस वित्त मंत्री रहे कोरियाकुमार डॉ रामचंद्र सिंहदेव की चर्चा जरुरी है,छ्ग के धान के कटोरे में सिचाई सुविधा बढ़ाने में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है।कोरिया कुमार के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ राम चंद्र सिंहदेव पिता राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव अपने सहज व मिलनसार व्यवहार के करण काफी लोकप्रिय थे। डॉ रामचंद्र सिंहदेव को भी अपने पिता की तरह ही व्यापक लोक प्रियता मिली। वे अपनी ईमानदारी,दृढ़ संकल्प जैसी विशेषताओं के चलते दलगत राजनीति से हटकर हर एक वर्ग के बीच लोक प्रिय बने रहे ।लोग बार-बार उनसे पूछते थे कि उन्होने शादी क्यों नहीं की..!तब वो कई बार हंस कर अपने अनोखे अंदाज में जवाब देते थे कि ‘मैंने मोहब्बत की है और मैं पूरी दुनिया में मोहब्बत का पैगाम लेकर निकला हूं’ कुछ लोग कहते हैं कि वे उस दौर की खूब सूरत अभिनेत्री नरगिस के दीवाने थे, इसी दीवानगी के चलते उन्होंने शादी नहीं की। उनके घर और कमरे की दीवार पर नरगिस की तस्वीरें इस अनोखे प्रेम की कहानी बयां करती रहीं.. कहा जाता है कि उन्होंने नरगिस की फोटो खींचकर दिखाई तो अपनी ही फोटो देखकर नरगिस ने पूछा था कि क्या मैं इतनी सुन्दर हूँ..?छग-मप्र के एक ईमानदार नेता आर्थिक चिंतक,पर्यावरण प्रेमी फोटोग्राफर,फिल्म निर्माण में रूचि रखने वाले जीवन भर अविवाहित रहने वाले डॉ. रामचंद्र सिंहदेव को मृत्यु पर्यन्त छत्तीसगढ़ की चिंता रही। कहा तो यह भी जाता है कि डॉ रमन सिंह सरकार की छ्ग में 1 रूपये किलो चावल वितरण योजना के पीछे डॉ.सिंहदेव की विशेष भूमिका रही थी।दरअसल उनके पिता राजा रामानुज शरण सिंहदेव ने 1945 में स्कूलों में चनागुड़ वितरण की योजना शुरु की थी वहीं शहरी क्षेत्रों में 5वीं तक शिक्षा उस समय अनिवार्य की थी।1947 में कोयला मजदूरों का न्यून तम वेतन निर्धारण का भी भारत में सबसे पहली बार कराया था। उम्र अधिक होने तथा चुनाव में प्रलोभन देकर चुनाव जीतने की जगह उन्होंने राजनीति से एक तरह से सन्यास ही ले लिया।ऐसा कम ही होता है। राजनीति में पैसा कमाने आने वालों के विरोधी रहे डॉ. सिंहदेव 6बार विधायक रहे तो 4 बार मंत्री रहे।मप्र में पं. श्यामा चरण शुक्ल के मुख्यमंत्रित्व काल में बतौर सिंचाई मंत्री उन्होंने छग में काफी कार्य किया,वहीं छग के प्रथम वित्तमंत्री के रूप में भी कार्य किया।सिंहदेव कलकत्ता में कोराबार करते थे पर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कार्य करने के नाम पर विधानसभा चुनाव के 6 माह पूर्व ही वे कोरिया आ गये और पहला चुनाव भी जीत लिया। राजनीति के वे अपराजेय योद्धा रहे।1990 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बतौर निर्दलीय विस चुनाव भी जीता था। राजकुमार कालेज रायपुर,इलाहाबाद, विश्वविद्यालय में उन्होंने पढ़ाई की,राजनेता नारायण दत्त तिवारी उनके सहपाठी थे तो अर्जुन सिंह,विश्वनाथ प्रतापसिंह उनसे जूनियर थे।1960-62 के दौरान विश्वविख्यात फिल्मनिर्माता निर्देशक सत्यजीत रे के साथ शौकिया तौर पर कुछ समय कार्य किया।फोटो ग्राफी का उन्हें शौक रहा। उन्होंने विश्वस्तरीय फोटो ग्राफी प्रदर्शनी लंदन में भी कुछ पुरस्कार जीते थे।1950 के आसपास उन्होंने उस समय की चर्चित अभिनेत्री नरगिस की भी फोटो खींची थी।कुछ साल पहले नरगिस की पुत्री तथा संजय दत्त की बहन प्रियादत्त ने भी रायपुर प्रवास पर अपनी मां की खींची फोटो को लेकर डॉ. सिंहदेव से मुलाकात की थी। प्रिया दत्ता ने भी उनसे यही पूछा था कि क्या उनकी मां इतनी सुंदर उस दौरान थी।डॉ. सिंहदेव की गिनती ईमानदार राजनेता के रूप में होती थी। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। यही नहीं भारतीय प्रबंध संस्थान कलकत्ता तथा मसूरी में उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षण ले रहे भावी अफसरों कोसंबोधित करने भी बुलवाया जाता था।उन्हें विश्वस्तरीय वाटर हार्वेस्टिंग तथा राष्ट्रीय जल सम्मेलनों में भी व्याख्यान देने आमंत्रित किया जाता था।बैकुंठपुर राज परिवार के छोटे लाडले डॉ सिंहदेव अनुशासनप्रियता के लिए जाने जाते हैं।2000 में छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद जोगी मंत्रीमण्डल में वित्त विभाग की जवाबदारी निभाई।उन्हे लोग कंजूस वित्तमंत्री कहते थे।वे कई बार खर्च को लेकर सीएम अजीत जोगी से भी उलझ जाते थे।वो कहते थे कि सरकार के खजाने में गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा ही जमा होता है। इस पैसे को कोई भी मुख्यमंत्री मंत्री या अफसर गाड़ी-घोड़े में ठंडी हवा खाने के लिए कैसे उड़ा सकता है?साल 2008 में श्री सिंहदेव ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया। इसके कारण कोरिया जिले की तीनों सीटों को कांग्रेस ने गंवा दिया। वो बताते थे कि ‘एक रोज जब मैं दौरे पर निकला था तब एक लड़की ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा राजा साहब मुझे शराब चाहिये। मुझे पीने के लिए शराब ला दें।मैं उसकी इच्छा पूरी नहीं कर सकता था। मैंने उसे दुत्कारा तो उसने भी मेरे राजा होने का झूठा दंभ एक पल में चूर-चूर कर दिया। लड़की जोर से चिल्लाई-अरे जो राजा अपनी प्रजा को दारू नहीं पिला सकता वह चुनाव लड़ने के काबिल नहीं है? बड़ा कोरिया का कुमार बनता है। जा तेरे जैसे कुमार बहुत देखे हैँ, काहे का राजा है रे तू।? उसी क्षण ही उन्होंने तय कर लिया था कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा।आज के गणतंत्र में काबिल और ईमानदार लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची। किन्तु अपने लम्बे उतार चढ़ाव भरे राजनीतिक कैरियर में वे निर्विवाद रहे,लोग उनसे बदलने की सलाह देते रहे किन्तु कोई भी उन्हे ईमानदारी से नहीं डिगा पाया….।