शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
8 नवम्बर 2016 नोटबंदी से पहले 18 लाख करोड़ की नगदी चलन में थी, जिसमें 500 और 1000 के नोट 15 लाख 44 हजार करोड़ थे।21 अक्टूबर 2022 की रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 लाख 88 हजार करोड़ की नगदी चलन में है….72% नोट ज्यादा छाप चुके हैं फिर भी जनता के हाथ में पैसा नहीं है।अब नोटबंदी में किए गए वादों पर नजर डाल लें…(नकली नोट खत्म हो जाएंगे…..) हाल में आई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार नकली नोट की संख्या पहले की तुलना मेंअधिक हो गई है और बड़ी तादात में नकली नोट पकड़े जा रहे हैं (वादा- काला धन खत्म होगा..)नोटबंदी में बंद किए गए 500और 1000 के नोट 15 लाख 44 हजार करोड़ थे, जिसमें 15 लाख 31 हजार करोड़ वापस बैंक में आ गए तो काला पैसा कहा गया…..?(वादा- आतंकवाद और नक्सलवाद खत्म हो जाएगा…)2016 के बाद ही पुलवामा हमला 2019 में हुआ और आज भी आतंकवादी नक्सली हमले जारी हैं.?(वादा – कैशलेस इंडिया बनाएंगे…) मोबाईल और इंटरनेट के आने से कैश का चलन कम हुआ है सिर्फ छुट्टे पैसे वाले ट्रांजेक्शन में, बड़े लेनदेन आज भी कैश में हो रहे हैं यही कारण पहले से 72% अधिक नगदी चलन में है, 13 लाख करोड़ से अधिक की नगदी पहले की तुलना में…, ऊपर से रुपए अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर में है, 2014 में 58-61 पर रहने वाला रुपया आज डॉलर के मुकाबले 83 रुपए पर पहुँच चुका है…?
50 दिन देश से मांगे थे देश ने 5 साल और दे दिए पर क्या हुआ….? आज देश में 90 प्रतिशत लोगों की कमाई 25 हजार रुपए महीने से कम है…?भुखमरी में 121 देशों में भारत 107 नंबर पर हैं…..?बेरोजगारी 50 साल में सबसे अधिक है…साफ हवा नहीं है, साफ पानी नहीं है… और इन दोनों कारण से 15 लाख लोग मर रहे हैं हर साल….?देश का कर्ज बहुत तेजी से बड़ रहा है और लगभग 155 लाख करोड़ हो गया है, राज्यों के ऊपर साल के बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है, मध्यप्रदेश का बजट 2.30 लाख करोड़ है, जबकि कर्ज 3 लाख करोड़ हो चुका है, किसी भी राज्य की हालत देखें, लगभग सबकी ही यही हालत है…नोटबंदी काला दिवस ही साबित हुआ है हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए….?
क्या रुपए की एक्सपायरी
डेट होनी चाहिए….?
दसवीं कक्षा के एक होनहार विद्यार्थी ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है…..और तो और नये नये विचारों के मामले में तो उसने मोदीजी को भी पीछे छोड़ दिया….उसने सुझाव दिया…. सभी चीजों की एक्सपायरी डेट होती है फिर “रुपए” की क्यों नहीं…? जब नोट के ऊपर एक्सपायरी डेट लिख दी जाएगी तो लोग अपने आप बैंक जाएंगे और पुराने नोटों को नए नोटों में बदल लाएंगे….सभी नोटों की पांच साल की अवधि मान्य की जाए…. अगर ऐसा कर दिया जाए तो सारी नकदी अपने आप बैंक एकाउंट में आ जाएगी और “काले धन” की समस्या भी स्वत: हल हो जाएगी……?
बाहरी नेताओं की बयानबाजी
और छ्ग भाजपा…..
भाजपा के छ्ग में तैनात कुछ बाहरी नेताओं की बयानबाजी से स्थानीय भाजपा नेता कुछ असहज हो जाते हैं,वहीं कांग्रेसी खुश हो जाते हैं कि भाजपा उन्हें बैठे बिठाए मुद्दे देती रहती हैं…?हाल ही में भाजपा के सह प्रभारी नितिन नवीन का छ्ग की महतारी की मूर्ति स्थापना को लेकर दिया गया बयान भाजपा पर भारी पड़ रहा है….. भाजपा नेता सफाई पर सफाई दे रहे हैं, कांग्रेस इस बयान को छ्ग महतारी का अपमान बता रही है।वैसे भाजपा की पूर्व में प्रभारी डी.पुरंदेश्वरी के कुछ बयानों ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया था…साथ ही सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का कारण बना दिया था. बस्तर में बीजेपी के चिंतन शिविर में डी पुरंदेश्वरी ने कहा था कि उनकी थूक से कांग्रेस पार्टी बह जाएगी…..इस बयान पर जमकर हंगामा हुआ था. इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लेकर एक बड़ा विवादित बयान दिया था।डी पुरंदेश्वरी ने कहा था कि भूपेश बघेल अगर सच बोलेंगे तो उनके सिर के हजार टुकड़े हो जाएंगे….? वहीं पार्टी के अंदर की बात करें तो दबी जुबान में बीजेपी के लोग कह रहे थे कि डी पुरंदेश्वरी,रमन सिंह के अलावा दूसरे गुट को बढ़ावा दे रही थी।इससे छत्तीसगढ़ बीजेपी दो फाड़ हो गई थी, इसके अलावा एक और बड़ी बात ये भी कही जा रही थी कि जब से डी पुरंदेश्वरी प्रदेश प्रभारी बनी थी तब से कांग्रेस के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा बनाने में सफल नहीं हो पाई थी।शायद यही वजह है कि डी पुरंदेश्वरी की छुट्टी छत्तीसगढ़ से हो गई….?
क्या सीनियर सिटीजन
होना गुनाह है…..?
भारत में 70 वर्ष की आयु के बाद वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिया जाता है। उन्हें आर्थिक काम के लिए कोई नौकरी नहीं दी जाती है। इसलिए वे दूसरों पर निर्भर हैं। उन्होंने अपनी युवावस्था में सभी करों का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होंगे। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे पर 50% की छूट भी बंद कर दी गई।मोदीजी के कार्यकाल में जीएसटी के चलते जीवन रक्षक दवाइयों की क़ीमत भी बढ़ गईं है, महगाई की हालत किसी से छिपी नहीं है….?दुःख तो इस बात है कि राजनीति में जितने भी वरिष्ठ नागरिक हैं फिर चाहे विधायक,सांसद या मंत्री उन्हें सब कुछ मिलेगा और पेंशन भी….लेकिन आम सीनियर सिटीज़न पूरी जिंदगी भर सरकार को कई तरह के टैक्स देते हैं फिर भी बुढ़ापे में पेंशन नहीं….? सोचिए अगर औलाद न संभाल पाए(किसी कारणवश )तो बुढ़ापे में कहां जायेंगे… बैंक की ब्याज दर घटाकर वरिष्ठ नागरिकों की आय लगातार कम हो रही है। एक भारतीय वरिष्ठ नागरिक होना एक अपराध लगता है…!
प्राचीन लौह स्तम्भ और
बैलाडीला का लोहा…
दिल्ली में क़ुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल लोह स्तम्भ है। यह अपने आप में प्राचीन भारतीय धातुकर्म की पराकाष्ठा है। धातु विज्ञानियों के अनुसार इस स्तंभ को बनाने के लिए बैलाडीला की खान से निकले अयस्क का उपयोग किया गया है। इसकी खासियत यह है कि लगभग 1600 साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इसमें जंग नहीं लगा है। इस लौह-स्तम्भ में लोहे की मात्रा करीब 98 फीसदी है । शुद्ध लोहे से बने इस स्तंभ की ऊंचाई सात मीटर से भी ज्यादा है जबकि वजन 6000 किलो से भी अधिक है।रासायनिक परीक्षण से पता चला है कि इस स्तंभ का निर्माण गर्म लोहे के 20-30 किलो के कई टुकड़ों को जोड़ कर किया गया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि करीब 1600 साल पहले गर्म लोहे के टुकड़ों को जोड़ने की तकनीक क्या इतनी विकसित थी, क्योंकि उन टुकड़ों को इस तरीके से जोड़ा गया है कि पूरे स्तंभ में एक भी जोड़ दिखाई नहीं देता। यह सच में एक बड़ा रहस्य है।लौह स्तंभ में सबसे आश्चर्य की बात है इसमें जंग का न लगना। माना जाता है कि स्तंभ को बनाते समय इसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक मिलाई गई थी, इसीलिए इसमें आज तक जंग नहीं लगा।दरअसल, फास्फोरस से जंग लगी वस्तुओं को साफ किया जाता है, क्योंकि जंग इसमें घुल जाता है। लेकिन सोचने की बात ये है कि फास्फोरस की खोज तो 1669 ईस्वी में हैम्बुर्ग के व्यापारी हेनिंग ब्रांड ने की थी जबकि स्तंभ का निर्माण उससे करीब 1200 साल पहले किया गया था। तो क्या उस समय के लोगों को फास्फोरस के बारे में पता था? अगर हां, तो इसके बारे में इतिहास की किसी भी किताब में कोई जिक्र क्यों नहीं मिलता? ये सारे सवाल स्तंभ के रहस्य को और गहरा देते हैं। पूर्व महानिदेशक, छत्तीसगढ़ प्रौद्योगिकी परिषद ( सीजीकास्ट )प्रो एमएम. हंबरडे ने बताया था कि बैलाडीला की खान के लोहे से बना हुआ है यह लौह स्तंभ….। ऐतिहासिक काल में भी हमारे राज्य में धातु कर्म उच्च स्तरीय था। कई अन्य शासक वर्ग अपने हथियार और औजार के निर्माण के लिए यहीं के लोहे पर आश्रित थे।
अब रिटायरमेन्ट के बाद के
पदों के लिये भी पेंच..
छत्तीसगढ़ में अगले कुछ महीनों में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। रेरा में एक सदस्य का पद रिक्त है,जनवरी में रेरा अध्यक्ष तथा पूर्व सीएस विवेक ढांड रिटायर हो जाएँगे वहीं मई में वन विभाग के मुखिया संजय शुक्ला भी रिटायर होनेवाले हैं। छ्ग के प्रतिभाशाली तथा हाल ही में वन विभाग के मुखिया पद से रिटायर राकेश चतुर्वेदी को भी कहीं समायोजित करना तय है. पहले उन्हें प्रदूषण निवारण मंडल का अध्यक्ष बनाना तय था पर वर्तमान एसीएस सुब्रत साहू वह पद छोड़ने तैयार नहीं हैं जबकि इस पद के लिये इंजिनियर होना जरूरी है, सुब्रत तो नहीं पर राकेश जरुर इंजिनियर हैं, राकेश को रेरा का सदस्य बनाने की भी चर्चा है, ऐसे में जनवरी में विवेक ढांड के रिटायर होने के बाद राकेश स्वाभाविक तौर पर अध्यक्ष के दावेदार बन जाते पर ढांड वहाँ अपने पसंदीदा आईएफएस अफसर को देखना चाहते हैं जो जल्दी रिटायर होने वाले हैँ, खैर सीएम भूपेश बघेल यह पेंच हिमाचल प्रदेश के चुनाव के बाद सुलझा लेंगे ऐसा लगता है।
और अब बस….
0 आईएएस अनिल टुटेजा का पहले कॉंग्रेस विरोध करती थी और भाजपा समर्थन… पर अब उल्टा हो गया है…?
0एक डिप्टी कलेक्टर 20 हजार और वनपाल 50हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया…..?क्या हो गये हैँ छ्ग के हालात…?
0ईडी द्वारा छ्ग के 4आईपीएस अफसरों को पूछताछ के लिये नोटिस देने की चर्चा है…?