शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
बस्तर के मूल आदिवासियों के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि एक बार एक पुलिस वाला एक आदिवासी को गिरफ्तार कर थाने ले जा रहा था, रास्ते में उसने इतनी शराब पी की उसे होश नहीं रहा तब गिरफ्तार आदिवासी ने उस पुलिस वाले को लादकर किसी तरह थाने पहुंचाया… ऐसे मूल चरित्र वाले आदिवासी क्षेत्र में एक पुलिस अधीक्षक पर आदिवासियों द्वारा हमले के पीछे का कारण जानना जरुरी है…? नक्सलियों के धूर पीड़ित नारायणपुर में क्या किसी साजिश के तहत ये हो रहा है…?बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में नक्सलियों के गढ़ के नाम से चर्चा पूरे देश होती थी। लेकिन इन दिनों यहां धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है।नारायणपुर में मूल आदिवासी जनजातियों में गोंड,माड़िया ,मुरिया,अबूझमाड़िया प्रमुख हैं। इस इलाके में आदिवासी सैंकड़ों वर्षों से रह रहे हैं।लेकिन अब कुछआदिवासी अपनी आस्था बदल रहे हैं।तेजी से इन इलाकों में धर्मांतरण हो रहा है।आदिवासी एक एक करके एक विशेष धर्म अपना रहे हैं।यहीं नहीं धर्म बदलने के साथ ही ये स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ आवाज उठाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैँ।अबूझमाड़ इलाके में अशिक्षा और विकास की बागडोर देरी से पहुंचना यहां के आदिवासियों के लिए बुरे सपने जैसा है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि आदिवासियों को विकास,बीमारी ठीक होने और पैसों का लालच देकर एक धर्म विशेष के प्रति आकर्षित किया जा रहा है ,भोले-भाले आदिवासी धर्म विशेष के लोगों की बातों में आकर अपना धर्म बदलने के लिए राजी हो गए…? धर्मांतरण कराने वाले ऐसे आदिवासी परिवार को अपना निशाना बनाते जो आर्थिक रुप से कमजोर रहता है या फिर उनके घर में कोई बीमार होता है?बीमारी ठीक होने की बात कहकर पहले धर्म बदलवाया जाता है,इसके बाद आर्थिक मदद करके ये जताया जाता कि उनके धर्म में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है। इधर घर्मान्तरण कर चुके आदिवासियों और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच झगड़े जैसी स्थिति बन गई है।अपना धर्म छोड़ चुके आदिवासी देवी-देवता,
रीति-रिवाज,गाथा पकना, शादी ब्याह, मरनी,छट्टी समेत ऐसी कितनी ही परंपराओं को नहीं मानते।वहीं सबसे बड़ा झगड़ा बीते कई महीनों से शव दफनाने को लेकर हो रहा है।प्रदेश सरकार को कड़ाई से वहाँ कार्यवाही करनी ही चाहिए।
विवेकानंद का 16 वां
स्मारक रायपुर में…
12जनवरी को युवा दिवस के अवसर पर छ्ग के सीएम भूपेश बघेल स्वामी विवेकानंद की स्मृति को चिरस्थायी बनाने डे भवन का शुभारम्भ कर उसे संरक्षित किया है ।स्वामी विवेकानंद के अमेरिका में तीन और भारत में 12 स्मारक हैं। रायपुर में बनने वाला स्मारक स्वामी विवेकानंद का 16वां स्मारक होगा। अपने बाल्यकाल में इसी ‘डे भवन ‘में कुछ समय स्वामी विवेकानंद (तब नरेंद्रनाथ)ने गुजारा था। रायपुर के लिये यह गौरव की बात है कि इस धरा पर स्वामी विवेकानंद ने अपने बचपन का सबसे ज्यादा समय बिताया। बचपन में वे राजधानी की मालवीय रोड से बूढ़ा तालाब की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित डे भवन में ही दिन-रात बिताया और पढ़ाई की। इतिहासकारों की मानें तो इस मकान में आज भी उनकी उपयोग की गई वस्तुएं सुरक्षित हैं। जब स्वामी जी यहां आए थे, तब स्वामी विवेकानंद की उम्र 14 वर्ष की थी। वे मेट्रोपोलिटन विद्यालय की तीसरी कक्षा (आज की कक्षा आठ के समकक्ष) में पढ़ रहे थे।इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद अपने पिता विश्वनाथ के साथ 1877 में यहां आए थे। स्वामीजी के पिता पेशे से वकील थे। वकालत के कार्य से रायपुर आए थे और अपने दोस्त राय बहादुर डे के यहां ठहरे हुए थे।वैसे विवेकानंद की याद में रायपुर के विमानतल का नामकरण सहित सबसे बड़े बूढा तालाब में विशाल मूर्ति पूर्व में ही लगाई जा चुकी है।
कागज खरीदी और
फिर चर्चा…?
एक सरकारी विभाग जो कि हर वर्ष कागज की खरीदी करता है। इस वर्ष भी उसमें खरीदी की प्रक्रिया हुई है मगर इसमें फिर गड़बड़ी की चर्चा है। बताते हैँ कि जिस कागज को 83 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आठ टन खरीदा गया था, उसी को 113 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 10 हजार टन खरीदा गया है। हालांकि विभाग के जिम्मेदारों का दावा है कि महंगाई बढ़ रही है, इसका असर खरीदी में दिख रहा है।कुछ लोग अफवाह फैलाते हैं। वैसे भी कागज की खरीदी को लेकर यह विभाग पहले भी विवादों में रहा है मगर कुछ इसी प्रकार के तर्क-वितर्क के बाद यहां के अफसर जब-जब कटघरे में आते रहे हैं तब-तब वह अपनी सफाई में कुछ नए शब्द इजाद करते रहे हैं।
छ्ग विस में महिला विधायकों का
प्रतिशत अधिक….
पूरे देश में सबसे अधिक छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिलाओं कोप्रतिनिधित्व है। इसमें खास बात है कि यहां कांग्रेस की भूपेश के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद 5 विधानसभा के उपचुनाव हुए। जिसमें 3 महिला प्रत्याशी को टिकट दिया। ये सभी अपने-अपने विधानसभा चुनाव में विजयी हुईंं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों पर 16 महिला विधायक हैं।वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की 90 सीट में से 13 सीटें महिलाओं ने जीत हासिल की थी। इनमें विधानसभा में अंबिका सिंहदेव (बैकुंठपुर), उत्तरी गणपत जांगड़े (सारंगढ़), रेणु जोगी(कोटा), डा. रश्मि सिंह (तखतपुर), इंदू बंजारे (पामगढ़), शकुंतला साहू (कसडोल), अनिता शर्मा (धरसींवा), डा लक्ष्मी धुर्व (सिहावा), रंजना साहू (धमतरी), संगीता सिन्हा (संजारी बालोद), अनिला भेड़िया(डौंडीलोहारा), ममता चंद्राकर (पंडरिया) और छन्नी साहू (खुज्जी) चुनकर पहुंची थीं। अभी तीन उपचुनाव के बाद दंतेवाड़ा में देवती कर्मा, खैरागढ़ में यशोदा वर्मा और भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सावित्री मंडावी समेत महिला विधायकों संख्या 16 हो चुकी है।एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट 2019 के अनुसार देश के अन्य राज्यों की विधानसभाओं में कुल सीटों के मुकाबले छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 14.4 प्रतिशत महिला विधायक हैं। जो कि दूसरे राज्यों की तुलना में सर्वाधिक थीं। हालांकि हरियाणा में अब महिला विधायकों की संख्या घटकर आठ हो गई हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में महिलाओं की भागीदारी 14.4 प्रतिशत से बढ़कर 17.7 प्रतिशत हो गया है। अब छत्तीसगढ़ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से आगे है।छत्तीसगढ़ कुल में 90 सीट में 16 महिला 17.77 प्रतिशत,मध्यप्रदेश में 230 सीट में 21 महिला 9.13 प्रतिशत,उत्तर प्रदेश में 403 सीट में 47 महिला 11.66 प्रतिशत,ओडिशा 147 सीट में 15 महिला 10.20 प्रतिशत हैं ।
दाऊ आनंद,छ्ग महतारी
और उम्मीद…..
छ्ग के सीएम भूपेश बघेल ने छ्ग महतारी की तस्वीर सभी सरकारी ऑफिस में लगाने का आदेश देकर छ्ग संस्कृति को नया रूप दिया है पर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के लिये अखंड धरना देने तथा सबसे पहले छ्ग महतारी की परिकल्पना करने वाले स्व.दाऊ आनंद अग्रवाल उपेक्षित ही हैँ। उनके संघर्ष के मद्देनजर किसी चौराहे, सड़क या सरकारी भवन का नामकरण करके उनकी स्मृति को चिरस्थायी किया जा सकता है। इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र के अनुसार राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान कलेक्टर परिसर रायपुर में छ्ग महतारी का एक छोटा सा मंदिर बनाकर छ्ग महतारी की प्रतिमा स्थापित करने की परिकल्पना की गई थी और राजश्री महंत रामसुंदर दास, सरयूंकांत झा आदि की मौजूदगी में मूर्ति की स्थापना की गईं थी। अब बात करें दाऊ आनंद की तो छत्तीसगढ़ राज्य के संघर्ष पुरुष और प्रणेता रहे हैं। उन्होंने अपना सर्वस्य जीवन, धन,सृजनशील छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना ,स्थापना और निर्माण के लिए समर्पित किया और 1974 से दिल्ली ,भोपाल और रायपुर में निरंतर ’जय छत्तीसगढ़’ के लिए अखंड धरना देकर राज्य निर्माण की मांग ही करते रहे । वे उच्च शिक्षित शालीन व्यक्ति थे। उन्होंने एलएलबी तक पढ़ाई भी की थी। छत्तीसगढ़ निर्माण के संघर्ष शील नेताओं के पहले क्रम के नेताओं में माने जाते थे, लेकिन उनकी पहचान एक किसान नेता के रूप में रही है। दाऊ आनंद ने छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए सरदार सुरजीत सिंह बरनाला को छत्तीसगढ़ आमन्त्रित किया और फिर उन्होंने राज्य निर्माण के लिए सहमति भरते हुए सहयोग का आश्वासन भी दिया। सरदार सुरजीत सिंह बरनाला ने उन्हें दिल्ली बुलाकर पीएम अटल बिहारी बाजपेयी से मिलवाकर उनसे छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए हामी भी भरवा ली थी स्व. दाऊ आनंद की याद को चिरस्थायी बनाने सीएम भूपेश कुछ करेंगे ऐसी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
आईपीएस अमित कुमार
एडीजी पदोन्नत…
1998 बैच के छत्तीसगढ़ कॉडर के आईपीएस अमित कुमार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बन गये हैं। सीबीआई में जवाइंट डायरेक्ट पद पर वर्तमान में पदस्थ हैं।वे रायपुर, दुर्ग आदि में एसपी रह चुके हैं।वे विगत 11सालों से प्रतिनियुक्ति पर हैं दरअसल कोयला स्केम के किसी जाँच मामले में वे सीबीआई के जाँच अधिकारी हैं और मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण वे मूल कॉडर में नहीं लौट पा रहे हैं। प्रतिनियुक्ति के कारण उन्हें प्रोफार्मा प्रमोशन दिया गया है यानि ज़ब भी वे मूल कॉडर में लौटेंगे तो उनकी एडीजी के पद पर पदस्थापना होगी।वर्तमान में छ्ग में पवन देव, हिमांशु गुप्ता, एस आर पी कल्लूरी, प्रदीप गुप्ता, विवेकानंद और दीपांशु काबरा एडीजी के पद पर कार्यरत हैं।
और अब बस
0 मोदी मंत्रिमण्डल में छ्ग से चेहरा बदलेगा या और कोई शामिल होगा?
0 भाजपा के पोस्टरों से डॉ रमन सिँह का नहीं होना क्या दर्शाता है..?
0 करीब 1दर्जन पुलिस अधीक्षकों सहित कुछ कलेक्टरों की पदस्थापना सूची क्यों अटकी है..?