शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
भारत में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ जैसी किताब लिखकर इतिहास को भले ही समृद्ध किया हो लेकिन इतिहास के प्रति दिलचस्पी तो मौजूदा प्रधानमंत्री ने ही जगाई है।
भाजपा का दूसरा युग प्रारंभ होने के ‘बोस फाईल्स’ का जैसा हल्ला मचाया गया, सुभाषचंद्र बोस के प्रति अन्याय, उनके गायब होने और नेहरू सरकार की भूमिका को लेकर कहानियां फैलाई गई…. लेकिन फाइलों में जो निकला वह बिलकुल उलट था। पहली बार भारत के स्वतंत्रता संग्राम नायकों की नई छवि भी नौजवानों के सामने आई है। पहली बार पता चला कि सुभाषचंद्र बोस की बेटी के लिए पंडित नेहरू ने हर महीने आर्थिक मदद की व्यवस्था कराई थी। उसी के बाद पता चला कि नेताजी ने न केवल प्रेम विवाह किया था बल्कि उनकी एक बेटी भी है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस इलाज के लिए 1934 में आस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे वे वहां अपनी पुस्तक ‘द इंडियन स्ट्रगल’ भी लिखने प्रयासरत थे।उस समय 23 साल की एमिली शेंकल बतौर टायपिस्ट उनकी मदद कर रही थी तब 37 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख हस्ताक्षर सुभाष बाबू अपने से 14 साल छोटी एमिली के काफी करीब आ गये और 26 दिसंबर 1937 को एमिली के 27 वें जन्मदिन पर आस्ट्रिया के बारगास्तीन में दोनों ने शादी कर ली थी। उसके बाद वे भारत आकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार सम्हाला था। इधर उसके बाद 29 नवंबर 1942 को एमिली ने एक बेटी अनिता को जन्म दिया। उसके बाद अपनी बेटी को देखने गये और उसी के बाद नेताजी किसी गुप्त मिशन पर चले गये फिर कभी लौटकर नहीं आये….? उनकी बेटी कालांतर में मशहूर अर्थशास्त्री के रूप में उभरी. खैर पंडितजी को सुभाष बाबू का विरोधी बताने बकायदा अभियान अभी 5-6 साल में चलाया गया। असल में नेताजी की ‘सैन्यवाद प्रवृत्ति’ को महात्मा गांधी और उनके अनुयायी उचित नहीं मानते थे पर नेताजी वैचारिक रूप से स्वयं को नेहरू के काफी करीब पाते थे। सुभाष बाबू ने एक तरफ महात्मागांधी को राष्ट्रपिता का संबोधन दिया तो आजाद हिंद फौज की एक ब्रिगेड का नाम भी नेहरू के नाम पर रखा था।
अब नेहरू ने क्या किया इस पर भी नजर डाल लेते हैं… लालकिले में आजाद हिंद फौज के अफसरों के खिलाफ जो मुकदमे चले थे तो नेहरू ने बतौर बचाव पक्ष वकील की भूमिका का निर्वाह किया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जनवरी 2016 में ‘बोस फाईल्स’ सार्वजनिक की गई तो पता चला कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 1954 में नेताजी की बेटी की आर्थिक मदद के लिए 2 लाख रुपयों का एक ट्रस्ट बनाया था और उससे 500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक मदद दी जाती थी। उस ट्रस्ट के पं. जवाहरलाल नेहरू और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी.सी. रॉय ट्रस्टी थे। 1965 में बेटी की शादी के बाद आर्थिक सहयोग बंद हो गया। तब 500 रुपये महीना बड़ी रकम थी तब कई बड़े अफसरों को इतना ही वेतन मिलता था।
नेहरू ने कभी इसका जिक्र नहीं किया, न कभी विज्ञापन में या भाषणों में… जिस ‘बोस फाईल्स’ को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और उससे जुड़े संगठन लगातार नेहरू-पटेल के संबंध में लंबी-लंबी हांकते रहे कभी पाकिस्तान बनने तो कभी कश्मीर मसले पर …. खैर मोदी सरकार के अभी तक के राज में ‘फाईल्स’ में यही खुलासा होता रहा कि नेहरू-गांधी और पटेल में कोई मतभेद ही नहीं था मनभेद तो हो सकता है किसी में भी…. खैर अब ‘बोस फाईल्स’ के माध्यम से नेहरू पर हमला कुछ बंद सा है वाट्सअप युनिवर्सिटी में…।
मुख्य सचिव की दौड़ और अफसरों की कमी
छत्तीसगढ़ में अगले मुख्य सचिव का फैसला 30 नवंबर को ही होगा ऐसा लगता है क्योंकि छग सरकार आर.पी.मंडल के 6 माह की सेवावृद्धि की केंद्र को भेजे गये अनुरोध की प्रतिक्षा करेगी वैसे सेवावृद्धि नहीं होने पर उन्हें ‘कहीं’ समायोजित करने की चर्चा तेज है। वैसे अभी तक की स्थिति में अगले मुख्य सचिव के लिए अमिताभ जैन का नाम फाइनल माना जा रहा है जिस तरह से उन्हें भूपेश सरकार ‘तरजीह’ दे रही है उससे कुछ संकेत तो मिल ही जाता है। हाल ही में एक बैठक में मंडल, अमिताभ की मुख्यमंत्री के साथ फोटो भी चर्चा में है। दरअसल मंडल के 87 के बैचमेट बी.बी.आर. सुब्रमणयम जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव सेंट्रल डेपूटेशन के तहत बनाये गये हैं उनकी वापसी तो संभव नहीं है दूसरे बैचमेट सी.के. खेतान की वापसी मंत्रालय में असंभव लग रही है। इसके बाद 89 बैच के आईएएस अमिताभ का नंबर वरिष्ठता में आता है वे अपने बैच के अकेले अफसर है छग में…। 90 बैच का कोई आईएएस छग में नहीं है। 91 बैच की आईएएस रेणु जी पिल्ले हैं तो 92 बैच के है सुब्रत साहू….,अभी दोनों ही एडीशनल चीफ सेक्रेटरी है। अमिताभ के सीएस बनने के बाद प्रदेश में यही 2 एसीएस बचेंगे। वहीं इनके बाद 93 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में है। इसके बाद प्रमुख सचिव 94 बैच की रिचा शर्मा, निधी छिब्बर, विकासशील और मनोज पिंगुआ हैं जिनमें मनोज पिंगुआ को छोड़कर बाकी तीन को केंद्र सरकार ने हाल ही में एडीशनल सेक्रेटरी इम्पेनल किया है, वैसे अमिताभ और रेणु पिल्ले केंद्र में एडीशनल सेक्रेटरी इम्पेनल पहले ही हो चुके हैं वहीं अमित अग्रवाल एडीशनल सेक्रेटरी के तौर पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। खैर 94 के बाद 95 बैच की मनिंदर कौर, गौरव द्विवेदी है इसके बाद 97 बैच की निहारिका बारिक हैं। 98 बैच के सुबोध कुमार सिंह, एम. गीता हैं तो 99 बैच के सोनमणी वोरा का नंबर आता है। इसके बाद 2001 बैच की शहला निगार, 2002 बैच के डॉ. कमलप्रीतसिंह एवं डॉ. रोहित यादव हैं। 2003 बैच की ऋतु सेन, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, 2004 बैच की पी. संगीता, आर. प्रसन्ना, अमित कटारिया, अवलंगन पी, अलरमेल मंगई डी का नंबर आता है। बहरहाल यदि अमिताभ मुख्य सचिव बन गये तो उनका कार्यकाल 2025 तक रहेगा वैसे अभी तक साढ़े 4 साल करीब मुख्य सचिव रहकर विवेक ढांड ने रिकार्ड बनाया है।
मुकेश के बाद एक बड़ा पुलिस अफसर निशाने पर…
भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद कुछ पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरना शुरू हो चुकी है। डीजी स्तर के अफसर मुकेश गुप्ता तथा आईपीएस रजनीश सिंह निलंबित चल रहे हैं तो एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अफसर पर भी गाज गिर सकती है जो पिछली सरकारों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं। वैसे शहीद तथा राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक रहे विनोद कुमार चौबे की मौत की भी जांच शुरू हो चुकी है वहीं बिलासपुर के एसपी रहे आईपीएस राहुल शर्मा की भी रहस्यमय मौत के मामले की फाईल भी दोबारा खुलेगी, राज्य सरकार ने ईमानदार तथा संजीदा डीजी जेल संजय पिल्ले के नेतृत्व में 6 सदस्यीय टीम बनाई है जो जांच करेगी। 2002 बैच के राहुल शर्मा की आत्महत्या मामले में हालांकि सीबीआई ने जांच की है पर कुछ खुलासा नहीं हो पाया हालांकि इस मामले में एक सीनियर आईपीएस अफसर तथा जूडिशनरी से जुड़े नाम भी चर्चा में आये थे। न्यायालय ने तो उस पुलिस के चर्चित अफसर के खिलाफ डीई करने की भी अनुशंसा की थी पर तत्कालीन रमन सरकार ने डीई ही नहीं कराई बल्कि उन्हें पदोन्नति भी दे दी पर डीई नहीं होने के कारण केंद्र में उन्हें इंपेनल ही नहीं किया है। सूत्र कहते हैं भूपेश सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण पद भी किसी की सलाह पर दे दिया था पर बाद में उन्हें हटा दिया है अब वे कुछ लोगों के साथ मिलकर सरकार की किरकिरी करने में कोई कसर नहीं रख रहे हैं…। वैसे उक्त पुलिस अफसर भी जांच के बाद निपट जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा…?
और अब बस….
0 छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सचिवालय में पदस्थ छत्तीसगढिय़ा आईएएस तारण प्रकाश सिन्हा अब जनसंपर्क के साथ ही संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी भी सम्हालेंगे।
0 दिसंबर माह में पुलिस मुख्यालय में एकबड़े प्रशासनिक फेरबदल की अटकल लगाई जा रही है।
0 देश की सबसे बड़ी अदालत सुको ने बड़ा फैसला दिया है कि सीबीआई जांच के लिए राज्य की अनुमति जरूरी है। वैसे छग सहित 8 राज्य सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले चुके हैं।
0 डॉ. रेणु, जोगी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गई है… वैसे अजीत जोगी दृढ़ता के लिए जाने जाते थे तो रेणु भाभी को नम्रता के लिए जाना जाता है।
0 किस मंत्री के 3 विभागों में 2 बेटे सम्हाल रहे हैं और एक विभाग के तो वैसे भी नाम के मंत्री हैं।
0 मंडी संशोधन बिल छग विधानसभा से पारित हो गया है पर राज्यपाल ने अभी कानून बनाने की अनुमति नहीं दी है।