कोई चिराग जलाता नही सलीक़े से ….. सभी को शिकायत हवाओं से होती है …..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

द्रौपदी मुर्मू ने देश की राष्ट्रपति बनते ही एक दो नहीं बल्कि कई कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है। द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति बन गईं हैं . 20 जून 1958 को जन्मी मुर्मू अभी 64 साल की हैं. 25 जुलाई को पद संभालने के समय उनकी उम्र 64 साल 1 महीना और 8 दिन हो जाएगी।इनसे पहले यह रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम था, जो 1977 के चुनाव में निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए थे. 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद संभालने वाले रेड्डी सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति बने और उस समय उनकी उम्र 64 साल 2 महीने और 6 दिन थी. तब ऐसा पहली बार हुआ था जब विपक्ष की ओर से किसी उम्मीदवार को उतारा भी नहीं गया.अगर सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति की बात करें तो वो थे के.आर.नारायणन…. वें 77 साल 5 महीना, 21 दिन की उम्र में 25 जुलाई 1997 को राष्ट्रपति बने थे.
द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी नेता हैं, तो देश को के आर नारायणन और रामनाथ कोविंद के रूप में दो दलित राष्ट्रपति मिल चुके हैं। लेकिन आदिवासी समुदाय से देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर कोई नेता नहीं आ सका। इस बिरादरी से ना कोई प्रधानमंत्री मिला था और ना ही कोई राष्ट्रपति….कोई गृह मंत्री, वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री भी आदिवासी समुदाय से नहीं आया……द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी। मुर्मू इससे पहले 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. बतौर राज्यपाल भी वह इतिहास रचने में कामयाब रही थीं… वह झारखंड की पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।द्रौपदी मुर्मू का सबसे बड़ा कीर्तिमान यह है कि आजाद भारत में जन्म लेने वाली वह पहली ऐसी नेता हैँ जो राष्ट्रपति बने गईं हैँ।देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं वो सब के सब 1947 से पहले पैदा हुए थे . राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था और इससे पहले सभी राष्ट्रपति का जन्म तो 1930 से पहले हुआ था।15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद से 2014 तक देश के दोनों शीर्ष पदों (राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री) पर काबिज होने वाले सभी नेताओं का जन्म आजादी से पहले हुआ था।हालांकि मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नया इतिहास बन गया क्योंकि मोदी आजाद भारत में जन्म लेने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति के तौर पर अभी भी यह रिकॉर्ड टूटा नहीं था,लेकिन इस बार वह भी टूट गया है।देश के
इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक पार्षद राष्ट्रपति बन चुका है।ओडिशा में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर स्थित रमादेवी महिला कॉलेज से स्नातक की डिग्री (बीए) हासिल की. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षक के रूप में की. फिर वह राजनीति में आ गईं. साल 1997 में पार्षद के रूप में मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. फिर इसके 3 साल बाद 2000 में पहली बार विधायक बनीं और भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री भी रहीं.बाद में मुर्मू झारखंड की राज्यपाल बनीं और इस प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल भी बनीं. यही नहीं वह देश के किसी भी प्रदेश की राज्यपाल बनने वाली देश की पहली आदिवासी महिला नेता भी थीं। ओडिशा से इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली वह पहली राजनेता हैं . इससे पहले इस पद पर ज्यादातर समय तो दक्षिण भारत से आने वाले नेताओं का कब्जा रहता था. हालांकि पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का ताल्लुक बिहार से था और वह लगातार 2 बार राष्ट्रपति रहे। अब तक हुए 14 राष्ट्रपतियों में से 7 राष्ट्रपति का ताल्लुक दक्षिण भारत से रहा.जबकि देश की पहली महिला राष्ट्रपति देने का गौरव महाराष्ट्र को तब मिला, जब 2007 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल राष्ट्रपति बनी थीं. हालांकि अब देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति देने का रिकॉर्ड ओडिशा को मिल चुका है।

छ्ग में कांगेस के 2 विधायकों
ने की क्रास वोटिंग…..?

छ्ग में उप चुनावों की जीत के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 71 हो गईं है वहीं भाजपा के 14, जोगी कांग्रेस के 3 तथा बसपा के 2 इस तरह 19 विधायक हैँ। इन गैर कांगेसी विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा समर्थित द्रोपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान किया था तो कांग्रेस ने यशवंत सिन्हा को समर्थन दिया था… पर राष्ट्रपति चुनाव में छ्ग से द्रोपदी मुर्मू को कुल 21 मत मिले हैँ जबकि उन्हें 19मत मिलना था…!इसका मतलब कांग्रेस के 2 विधायकों का मत भी द्रोपदी मुर्मू को मिला है… अब क्रास वोटिंग करने वाले 2कॉंग्रेसी विधायक आदिवासी हैँ या गैर आदिवासी हैं इसका पता नहीं है…?

जगदीप धनखड़ की
जीत लगभग तय…   

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में जगदीप धनखड़ की जीत लगभग पक्की है….। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य करते हैं। दोनों सदनों में कुल सदस्यों की संख्या 780 है। जीत के लिए धनखड़ को कम से कम 391 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। भाजपा के पास अकेले ही 394 सदस्य हैं। इस तरह धनखड़ की जीत की औपचारिकता भर रह गई है। वैसे विपक्ष ने मरग्रेट अलवा को अपना उम्मीदवार बनाया है।71 वर्षीय धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल रहे हैं और अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। धनखड़ राजस्थान के झुंझुनूं से आते हैं। अगर धनखड़ जीतते हैं तो भैरोंसिंह शेखावत के बाद वह राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे….

छ्ग में महत्वकाँक्षा
और अंतर्कलह…..   

छ्ग सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले टीएस सिंहदेव बाबा के पंचायत मंत्रालय से इस्तीफा देने से छ्ग से लेकर दिल्ली तक जमकर चर्चा है…..
टीएस सिंहदेव ने अपने इस्तीफे में पंचायत विभाग में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि उनकी जानकारी के बगैर कई फैसले लिए गए. टीएस सिंहदेव ने सीएम को दिए गए इस्तीफे में बताया कि प्रदेश की गरीब जनता को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका. इसके अलावा उन्होंने मनरेगा योजना में भी हस्तक्षेप भी बात कही है।छत्तीसगढ़ के पूर्व पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफ के बाद ये संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी की अंतर्कलह कभी शांत ही नहीं हुई थी… यह केवल समय के साथ और बढ़ी है…. राज्य के दो दिग्गजों के बीच बढ़ती असमानता उपेक्षित बनी हुई है।सूत्रों का यह भी कहना है कि टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के साथ राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कई बैठकें कर चुके हैं. पिछले साल अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सिंहदेव अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा भी डाला था लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई थी. छ्ग में लगातार 15 वर्षों से सत्ता से दूर रहते हुए कांग्रेस को सत्ता में स्थापित करने में भूपेश बघेल – टीएस सिंहदेव की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। टीएस सिंहदेव की कार्यक्षमता और बेजोड़ कार्यशैली थी जब बस्तर से लेकर सरगुजा तक कांग्रेस ने अपनी जीत सुनिश्चित की। सरगुजा के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत सुनिश्चित करने लिए किसी भी चीज़ की कमी नहीं आने दी थी। इसके बावजूद कुछ सरगुजा के विधायकों ने सरकार के गठन से ठीक पहले उछाला मार कर पाला बदल लिया है , इसके बावजूद सिंहदेव ने ऊफ तक नहीं किया…. वैसे ढाई ढाई साल के सीएम फार्मूले की भी चर्चा समय समय पर होती रही… लगता है कि अब सिंहदेव के सब्र का बांध छलक रहा है……?वैसे विस सत्र के ठीक पहले बाबा के इस्तीफे के बाद रविन्द्र चौबे को पंचायत एवं ग्रामीण विभाग की जिम्मेदारी मिल चुकी है….

और अब बस

0 बुरकापाल नक्सली हमले के आरोप में 5साल से जेल में बंद सभी 122 आरोपियों (एक की जेल में ही मौत )को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है.मामले में दोष सिद्ध नहीं कर पाई पुलिस….2017 में हुई थी घटना जिसमे 25 जवान शहीद हुए थे..
0 छ्ग में सीएसपी (पुलिस)की तबादला सूची भी जल्दी आनेवाली है।
0राजधानी रायपुर की क़ानून व्यवस्था की बतौर एएसपी जिम्मेदारी दो राठौर (सुखनंदन और कीर्तन)को सौँपी गईं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *