नहीं रहे पत्रकारिता के स्तम्भ रमेश नैयर

 

छत्तीसगढ़ सहित देश की पत्रकारिता के लिये रमेश नैयर का निधन निश्चित ही अपूरणीय क्षति है। रामाश्रय उपाध्याय,राजनारायण मिश्र, रम्मू श्रीवास्तव,बसंत तिवारी, बबन प्रसाद मिश्र, सत्येंद्र गुमास्ता, जय शंकर नीरव काल के अंतिम हस्ताक्षर रमेश नैयर पत्रकारिता के विश्व विद्यालय थे, कुछ समय से वे लगातार बीमार चल रहे थे, उस कालखंड के वे ऐसे पत्रकार थे जो दिल्ली, चंडीगढ़ आदि स्थानों में जाकर छ्ग की पत्रकारिता का लोहा मनवाया था,उनसे मेरा परिचय 1978-80से था, उस समय वे गुढ़ियारी में रहा करते थे। प्रेस क्लब तथा पत्रकारों के लगभग सभी आंदोलनों में शामिल होते थे।
रमेश नैयर देश-प्रदेश में अपनी कलम का लोहा मनवाने वाले पत्रकारों में से एक थे. उन्हें प्लानमेन मीडिया हाउस ने ‘रत्न—छत्तीस’ के गौरव से भी सम्मानित किया था।‘देशबंधु’, ‘युगधर्म’, ‘एमपी क्रॉनिकल’, ‘लोक स्वर’ ‘ट्रिब्यून’ ,’संडे ऑब्जर्वर’ और ‘दैनिक भास्कर’ में लंबे समय तक पत्रकारिता करते रहे।82 वर्षीय रमेश नैयर का जन्म 10 फरवरी 1940 को अविभाजित भारत के गुजरात के कुंजाह में हुआ था। भारत -पाक बँटवारे के बाद वे भारत आ गये थे।वे अपनी निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए पूरे देश में एक मिसाल माने जाते थे।वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि स्व. नैयर ने छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी पत्रकारिता के प्रतिमान स्थापित किये हैं. वे अपने कृतित्व और व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी के पत्रकारों को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।राज्यपाल अनुसुईया उइकेने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, नेता-प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह,बृजमोहन अग्रवाल सहित कई नेताओं और पत्रकारों ने भी शोक जताया है। मेरी भी पत्रकारिता के एक प्रमुख स्तम्भ को विनम्र श्रद्धांजलि…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

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