चर्चित एसआई के कारनामों की शिकायत पर जांच नहीं, संरक्षण से बढ़ रहे हौसले..!

किशोर महंत कोरबा : अक्सर फिल्मों में यह देखने को मिलता है कि किसी को फंसाने के लिए उसके खिलाफ झूठा मामला बनाने किस-किस तरह के प्रपंच रचे जाते हैं किंतु असल जिंदगी में इसे धरातल पर पाली थाना में पदस्थ एक एसआई मतलब छोटे दारोगा चरितार्थ कर रहे हैं। लॉकडाउन में महज मास्क न पहनने की सजा पर 20 हजार रुपए की अवैध वसूली के मामले पर 2 बार हुई शिकायत की जांच एक रत्ती भी आगे नहीं बढ़ सकी है कि उक्त एसआई का एक और कारनामा सामने आया है।

अब उन्होंने एक ग्रामीण किराना व्यवसायी को उस गुनाह की सजा दी है जो उसने किया ही नहीं है। दरअसल ग्राम नुनेरा का निवासी संतोष साहू पिता साखाराम साहू और उसका पुत्र भुनेश्वर उर्फ पप्पू साहू 24 वर्ष किराना दुकान का सञ्चालन करते हैं। गत 20 मई को एसआई अशोक शर्मा की शाम लगभग 5 बजे उनकी दुकान में दस्तक होती है और अवैध खाद्य सामग्री एवं मादक पदार्थ रखने के संदेह में पूरी दुकान की ख़ाक छान लेते हैं पर कुछ नहीं मिलता। ऐसे हालात में उनके हाथ कोई सुराग नही लगने पर बिना किसी कारण दूकान मालिक को शाम 6 बजे थाना आने के लिए कहकर चले जाते हैं। शाम 6.30 बजे संतोष साहू के पहुंचने पर थाना की बजाय परिसर स्थित अपने निवास में ले जाकर अशोक शर्मा के द्वारा 1 लाख रुपए की मांग रखी जाती है और न देने पर तंबाखू पदार्थ बेचने के मामले में फंसाकर जेल भेजने की बात रखी जाती हैं।

संतोष के पास किराना दुकान का नगदी रकम 10 हजार रुपए उसके पाकिट में रहने पर भयवश एसआई के हाथों में थमा देता है।लेकिन साहब है कि और 50 हजार की रकम तत्काल व्यवस्था करने डिमांड करते है। इस हालत में संतोष साहू अपने परिचित को फोन से बात कर अशोक शर्मा को 50 हजार देने के लिए कहते है तब संतोष के जान पे आई विपदा कुछ कम होती है। और उसे घर जाने दिया जाता है।बाकी रकम 40 हजार रुपए देने के लिए बार-बार संतोष और उसके पुत्र के मोबाइल नंबर 9165636347 पर साहब के द्वारा मोबाइल नंबर क्रमांक- 8410914444 के माध्यम से शेष रकम का मांग किया जाता है और बार-बार थाना आकर उनके कमरे में मिलने और बाकी पैसे देने तथा दे सकने में असमर्थता जताने पर दिए हुए रुपए वापस ले जाने और अब देखो मैं क्या करता हूं, इस तरह के लहजे में बातचीत कर भयादोहन किया जाता है।

जिसकी आडियो क्लीप पुलिस अधीक्षक से पीड़ित द्वारा की गई शिकायत के साथ संलग्न कर दी गई है। पीड़ित संतोष साहू बताता है कि इतना सब होने के बाद 22 मई को ट्रैक्टर क्रमांक सीजी-10एय2-2047 का चालक भागवत श्याम उर्फ जगत पिता दशरथ ग्राम गोकनई एवं हेल्पर दुखीराम पिता लहोरन गोंड़ ग्राम नुनेरा के ट्रैक्टर में जिसे किराए से लिया गया था, उसमें 125 बोरी विष्णु भोग धान बेचने के लिए रतनपुर जा रहा था। उक्त धान 18 अक्टूबर 2019 को जबकि धान की खरीदी हो रही थी और शासन के निर्देश पर किराना व्यवसायियों के धान को जांच कर कार्यवाही की जा रही थी उस वक्त पाली तहसीलदार के द्वारा 416.20 क्विंटल धान को जब्त कर सील किया गया था और 7 मार्च 2020 को कृषि विपणन बोर्ड ने 5 गुना मंडी टैक्स लेकर छोड़ा था,

उसी धान का शेष 125 बोरी को विक्रय करने जा रहा था। उक्त धान भरा ट्रैक्टर को पाली थाना के आगे उप निरीक्षक साहब अशोक शर्मा द्वारा अपनी मांग 1 लाख रुपए का पूरा नहीं करने से द्वेषपूर्ण वाहन और धान को पकड़कर थाना ले जाता है तथा वाहन थाना परिसर में खड़े रखने के बाद चालक व हेल्पर को छोड़ दिया जाता है। तथा एसआई के द्वारा पिछला रकम 40 हजार रुपए बकाया लेकर आने की बात करते हुए नहीं देने पर फर्जी मामला तैयार कर कार्यवाही का दबाव बनाया जाता है। पैसे की व्यवस्था न होने पर और आखिरकार खीजकर दिए हुए रुपए वापस ले जाने की बात कह 23 मई को साजिश रचकर ट्रैक्टर के ट्राली में भरे धान की बोरी को हटाकर शेष जगह पर धान की बोरी के ऊपर पीडीएस का सरकारी चावल वाला सीलबंद बोरी को रखवा दिए जाने पश्चात अपने परिचित 2 व्यक्तियों को गवाह बनाकर, ट्रैक्टर चालक को आरोपी बनाकर चोरी का धान, चावल होने के संदेह में कार्यवाही कर जेल भेजने की कार्यवाही किया जाता है। अब पीड़ित संतोष साहू द्वारा मामले की लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा से किया गया है एवं अशोक शर्मा द्वारा ली गई तलाशी का सीसीटीवी फुटेज, ट्रैक्टर में धान लोड करते हुए सीसीटीवी फुटेज, अशोक शर्मा एवं भुनेश्वर साहू के मध्य मोबाइल से हुए वार्तालाप का आडियो क्लीप पेन ड्राइव में एवं छग राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा टैक्स वसूली संबंधी रसीद की छायाप्रति भी उपलब्ध कराई गई है। आश्चर्य और जांच की बात है की आखिर ट्रेक्टर में सरकारी बोरी बन्द सील व रैपर युक्त चावल की बोरियां कहां से ला कर रखवाईं गई?

पाली थाना क्षेत्र में एसआई अशोक शर्मा अपने पदस्थापना के बाद से ही कारगुजारियों के कारण सुर्खियों में बने है लेकिन अंगद के पांव की तरह जमे रहकर वे गरीब ग्रामीणों और भुलवश उनके चंगुल में फंसे लोगों का भयादोहन कर वसूली से बाज नहीं आ रहे। यहां तक कि अपने खिलाफ बोलने और लिखने वाले स्थानीय पत्रकारों को भी उन्होंने नहीं छोड़ा है और नोटिस भेज भयादोहन करने का भी प्रयास किया है।

एक बात तो तय है कि उक्त साहब के हाथों बेवजह प्रताड़ित एवं उगाही के शिकार पीड़ित फरियादियों को न्याय ना मिल पाना साहब के सत्तासीन पार्टी नेताओं और कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों के संरक्षण प्राप्त होने से इनकार नहीं किया जा सकता, अन्यथा छोटी सी शिकायत पर तत्काल कार्यवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों के समक्ष आखिर कौन सी मजबूरी हो गई है कि आईपीसी और सीआरपीसी धाराओं के साथ खेलने वाले एसआई पर न तो कार्यवाही हो रही और न ही पीड़ितों को न्याय मिल पा रहा है। पीड़ितों ने कहा है कि यदि इन्हें जिला स्तर पर न्याय नहीं मिलता है तो वे शासन स्तर तक जाकर न्याय की मांग करने के साथ न्यायालय की भी शरण लेने पर मजबूर होंगे।

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