*संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल का दूसरा दिन
भारत सरकार के आरोग्यसेतु एप सहित सभी प्रकार की डाटा एंट्री बन्द
रायपुर। संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज दूसरा दिन कोरोना संक्रमितों के हाहाकार में गुजरा । जहां प्रदेश नए संक्रमितों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है वहीं संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल स्थिति को और बदतर बना रही है । इस बीच सरकार की तरफ से किसी प्रकार की वार्ता की पेशकश अभी तक नहीं हुई है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार प्रदेश के कोरोना मरीजों को लेकर कितनी गंभीर है । लापरवाही का आलम ये है कि वैकल्पिक व्यवस्था करने के दावों के बीच कल और आज भारत सरकार के आरोग्यसेतु एप सहित कोरोना मरीजों का डाटा तक अपडेट नहीं हो सका । कोरोना मरीजों का लाइव डाटा कितना महत्वपूर्ण है ये इसी से समझा जा सकता है कि इसी के आधार पर संक्रमण की स्थिति और इससे बचाव के उपाय सरकार द्वारा किए जाने हैं । जब तक डाटा अपडेट नहीं होता है तब तक यही नहीं मालूम हो पाएगा कि किस जिले में संक्रमण किस हद तक फैल चुका है और कहां इसमें कमी आई है ।
उधर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों पर सत्ता पक्ष के कुछ नेता ब्लैकमेल का आरोप लगाते भी पाए गए, जिसके जवाब में NHM संघ के प्रांताध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि ये आरोप सरासर गलत और दुर्भावना से ग्रसित है । कोरोना प्रारम्भ हुए छह माह हो चुके हैं और अब तक उन्होंने जी जान से मेहनत की है और कोरोना मरीजों की सेवा की है । लेकिन छह माह में भी जब केवल जुबानी जमाखर्च के रूप में कोरोना वारियर्स कह के, एक भी सुविधा नहीं दी गई, जिसके लिए बार-बार आवेदन-निवेदन किया गया, तब भरे दिल से उनके संघ ने हड़ताल का निर्णय लिया है । सिन्हा ने आगे बताया कि परिवार को कोरोना मुक्त रखने के लिए वे और उनके साथी 15-20 दिन तक घर ना जाकर हस्पताल में ही रहकर मरीजों की सेवा करते रहे हैं, लेकिन कभी तो घर जाना ही है, जब जाते हैं तो उन्हें अपने एक कमरे के मकान में परिवार के साथ ही रहना पड़ता है, जिससे परिवार भी कोरोना संक्रमण के खतरे में आ जाता है । यही स्थिति हर संविदा स्वास्थ्यकर्मी की है । कोरोना संक्रमित होकर यदि उनमें से कोई दम तोड़ देता है तो उसके परिवार को ना तो अनुकम्पा नौकरी की पात्रता है, ना ईपीएफ की, ना ही समूह बीमा की । ऐसे में हर संविदा स्वास्थ्यकर्मी डर के साए में अपना काम कर रहा है कि उनके बाद उनके परिवार का क्या होगा । सिन्हा ने कहा कि जब कोरोना की शुरुआत हुई थी तब कतिपय तत्वों द्वारा पैरामेडिकल स्टॉफ के साथ मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया, तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पैरामेडिकल सहित आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को कोरोना वारियर्स का नाम देते हुए सम्मान दिया । प्रदेश सरकार ने भी स्वतंत्रता दिवस समारोह में कोरोना वारियर्स का सम्मान किया लेकिन मात्र दो दिन में, अपना हक मांगते ही हम ब्लैकमेलर हो गए ? सरकार बने दो साल होने जा रहे हैं, अब तक अपने घोषणा पत्र के मुताबिक सरकार ने संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के नियमितीकरण हेतु कौन सी पहल की है, सरकार यही बता दे, लेकिन उल्टे विधानसभा तक में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संविदा को नियमित करने का कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं है । जब इस तरह की घटनाएं और बयान सामने आए तब जो रोष उत्तपन्न हुआ, उसी की परिणति ये हड़ताल है ।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली जैसे कुछ प्रदेशों ने अपने कोरोना वारियर्स के लिए 50 लाख तक का बीमा करवाया हुआ है, वहीं छत्तीसगढ़ ने इस मामले में कोई पहल नहीं की है । ऐसे में इन कोरोना वारियर्स के आरोप सही ही लगते हैं कि सम्मान के नाम पर केवल जबानी जमाखर्च ही किया जा रहा है । उल्टे सरकार ने NHM संघ के नेताओं को निशाना बनाने की रणनीति के तहत 24 घण्टे में काम पर ना लौटने पर सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया है । सिन्हा ने इसे लालफीताशाही करार दिया और कहा कि किसी एक पर भी यदि कार्रवाई हुई तो वे सभी सामूहिक त्यागपत्र देने पर मजबूर होंगे ।
प्रदेश के कोरोना मरीजों के प्रति नैतिक दायित्व के प्रश्न पर सिन्हा ने बताया कि उनके संघ द्वारा, हड़ताल पर रहते हुए, स्वयंसेवक के रूप में अपनी सेवाएं देने हेतु पहल की है और तत्संबंधी पत्र समस्त कलेक्टर्स को प्रेषित किया गया है । हम इसके लिए किसी प्रकार के वेतन या अनुदान को स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन हम केवल प्रदेश की जनता के भले के लिए सेवाएं देना चाह रहे हैं । शासन द्वारा स्वयंसेवक के रूप में हमारी सेवाएं लिए जाने की अनुमति देते ही हम तत्काल सेवा में लग जाएंगे और हमारी हड़ताल, हमारा विरोध पूर्व की भांति ही मांग पूरी होने तक जारी रहेगा ।