NASA: धरती के पास से 21 मार्च को गुजरेगा सबसे विशालकाय एस्टेरॉयड

वाशिंगटन : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार 21 मार्च को पृथ्वी के बेहद करीब से विशालकाय एस्टेरॉयड गुजरने वाला है। एस्टेरॉयड 2001 एफओ32 का व्यास 915 मीटर (तीन हजार फुट) है। इसकी खोज बीस साल पहले हुई थी। यह पृथ्वी से 20 लाख किमी दूर से गुजरेगा। ऐसे में पृथ्वी पर इससे ज्यादा असर नहीं होगा।

नासा के अनुसार यह एस्टेरॉयड सुबह करीब चार बजे पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। इसके बाद वर्ष 2052 तक ये पृथ्वी के करीब नहीं आएगा। इसकी रफ्तार 1,24000 किलोमीटर प्रति घंटे होगी जो पृथ्वी के करीब से गुजरने वाले दूसरे एस्टेरॉयड की तुलना में बहुत अधिक है। नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) के प्रमुख वैज्ञानिक प्रो. लांस बेनर ने बताया कि इस एस्टेरॉयड के बारे में फिलहाल बहुत कम जानकारी है। इसके करीब आने के दौरान अनुसंधान से अंतरिक्ष के कई अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने में सफलता मिल सकती है।

रोशनी बताएगी एस्टेरॉयड का सच
नासा के खगोलविदों का कहना है कि एस्टेरॉयड के आकार व उसकी संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी उसकी सतह पर पड़ने वाली रोशनी से होगी। सूरज की किरणें जब इसकी सतह पर पड़ेगी तो चट्टान चमक उठेंगे। इसी की मदद से खगोलविद खनिजों के ‘केमिकल फिंगर प्रिंट’ तैयार कर विस्तृत जानकारी जुटाएंगे।

अगली सदी तक पृथ्वी पर खास प्रभाव नहीं
एस्टेरॉयड की दुनिया को करीब से समझने वाले खगोलविद दुनिया के अन्य हिस्सों से भी इसपर पर नजर रखेंगे। नासा ने कहा है कि पृथ्वी के करीब से गुजरने 95 फीसदी एस्टेरॉयड ‘2001 एफओ32’ से बड़े ही रहे हैं, लेकिन इनसे अगली सदी तक पृथ्वी पर किसी तरह का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। नासा पृथ्वी के करीब से गुजरने वाले हर एस्टेरॉयड पर नजर रखता है। 2029 में भी अपोपहिस नाम के एस्टेरॉयड के गुजरने का इंतजार है।

सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के निदेशक प्रो. पॉल कोडस चोडस का कहना है कि यह आकाशीय पिंड जब आसमान के दक्षिणी भाग से गुजरेगा तब उसमें बहुत अधिक चमक होगी। इसे देखने केलिए आधुनिक टेलीस्कोप का प्रयोग होगा जिसमें आठ इंच का अपर्चर होगा। इससे एस्टेरॉयड की हर गतिविधि को करीब से देखा जा सकेगा, हालांकि इसके लिए संभवत: उन्हें तारे के पूरे मानचित्र को भी अपने पास रखना होगा जिससे वे इसे पकड़ सकें।

 

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