{किश्त163}
1910 के आसपास ज़ब जार्ज पंचम भारत प्रवास के मद्देनजर उनकी याद में या उनके आगमन को लेकर कवर्धा-मंडला के जंगल के बीच सुपखार डाक बंगला निर्माण की शुरुआत हुई थी और कालांतर में यहां देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, पीएम पंडित जवा हरलाल नेहरू,इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी आदि रुक चुके हैं। घने जंगल,जंगली जानवर और सुबह सुबह परिंदोँ की आमद से निश्चित ही यह देश के बेहतरीन, अद्भुत डाक बंगलों में एक है। इसके संरक्षण की जरू रत है। झोपडीनुमा जंगल बीच में सूपखार का डाक बंगला है जहां चिल्फी घाटी होकर पहुंचा जा सकता है, मप्र के मंडला से भी यहां पहुंचने का रास्ता है। उबड़- खाबड सड़क, घने जंगल से गुजरकर यहां पहुंचना आसान नहीं है।इसमें आज भी हाथ से खींचने वाला पंखा है,आज भी बिजली नहीं है, पीने के पानी के लिये नल नहीं है। फोन होने का तो सवाल ही नहीं है।कवर्धा अभ्यारण्य में घने जंगल, जंगली जानवरोँ के रहवासी क्षेत्र में भारत की आजादी के काफ़ी पहले पूस की छत डालकर इस पिरामिडनुमा डाक बंगला का निर्माण जार्ज पंचम के भारत आगमन या आने के कार्यक्रम के तहत बना था। हालांकि जॉर्ज यहां आये थे या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी हैं। जार्ज 1911 में भारत आए थे, वे राजा-सम्राट के रूप में ऐसा करने वाले एकमात्र सम्राट थे। उनके साथ पत्नी रानी मैरी भी थीं।1911 जॉर्ज पंचम,क्वीन मैरी भारत आनेवाले ब्रिटेन के पहले राजा-रानी बने। उनके बंबई (अब मुम्बई) आगमन को यादगार बनाने के लिए ही ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ बनाया गया।खैर छ्ग के सुपखार के आसपास चीड़ का वृक्षा रोपण भी किया गया थाजो अभी भी मौजूद हैं तथा इस डाक बंगले के सजग प्रहरी की भूमिका में हैं। करीब 113-114 साल से ख़डी डाक बँगले की ईमारत को अब संरक्षण की जरूरत है।