नागपुर रेल्वे स्टेशन की जमीन मात्र 1रू में दी थी खैरागढ़ के राजा ने..

{किश्त 164}

नागपुर का रेल्वे स्टेशन का हेरिटेज स्टेशनों में शुमार है, अंतराष्ट्रीय स्तर पर बनाने की कवायद चल रही है। पर बहुत ही कम लोगों को पता है कि 99 साल पूर्व छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ के राजा ने मात्र 1रूपये में इस स्टेशन की जमीन को तब गवर्नर सर फ्रेंक को दी थी, यह बात 1925 की है।नाग पुर रेलवे स्टेशन अपनी स्था पना के लगभग 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है,विकास की सीढिय़ां चढ़ता स्टेशन अब हेरिटेज स्टेशनों में शुमार है। स्टेशन बनाने 1925 में खैरागढ़ राजा ने ब्रिटिश सरकार को 1 रुपए में जमीन दी थी, वर्तमान में इस स्टेशन का क्षेत्रफल 44 एकड़ है।उस समय छत्ती सगढ़ भी सीपी एंड बरार के अधीन था,इसलिये हो सकता है कि तब के राजा वीरेंद्र बहादुर सिँह ने 1रू के टोकन में ही यह जमीन ऐसे ही दान स्वरुप दे दी हो क्योंकि 1925 में इतनी बड़ी जमीन 1रू में तो नहीं बेची जाती थी। खैर इसकी कीमत आज करोड़ों में है। नागपुर स्टेशन की स्थापना 15 जनवरी 1925 को तब के गवर्नर सर फ्रैंक ने की थी,मध्य रेलवे नागपुर मंडल के इस स्टेशन की इमारत सावनेर से लाये बलुआ पत्थर से बनाई गई थी ।नागपुर रेलवे स्टेशन महा राष्ट्र के सबसे पुराने और व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है।रेलवे ने 1867 में नाग पुर में शुरुआत की,जब बॉम्बे-भुसावल-नागपुर लाइन के एक हिस्से को यातायात के लिए खोला था,1881 में छत्तीसगढ़ के नागपुर राज्य रेलवे के माध्यम से कोलकाता से जुड़ा था,मौजूदा भवन का शिलान्यास 1906 में किया गया था। पर इसका आधि कारिक उद्घाटन 15जनवरी 1925 को तब के गवर्नर सर फ्रैंक स्ली ने किया था ।1924 से पहले, मूल रेलवे स्टेशन शुक्रवारी झील के पास अपने वर्तमान स्थल के पूर्व की ओर स्थित था। वर्तमान रेलवे स्टेशन को भी आजादी पूर्व के दिनों में स्थापित किया गया था।
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रेल पटरियों का चौराहा

भारत के नागपुर में मौजूद खास ‘डायमंड क्रॉसिंग’ पर चारों दिशाओं से रेल आती हैं। नागपुर के संप्रीति नगर स्थित मोहननगर में यह डायमंड क्रासिंग मौजूद है। डायमंड क्रॉसिंग एक ऐसी जगह होती है जहां चारों दिशाओं से रेलवे ट्रेक्स एक दूसरे को क्रॉस करते हैं, बिलकुल चौराहे की तरह एक दूसरे को क्रॉस करते हैं।अनोखी क्रॉसिंग को रेल पटरियों का चौराहा भी कह सकते हैं।देखने में बिलकुल डायमंड की तरह लगती है। इसलिए डायमंड क्रॉसिंग कहते हैं।यहां चारों तरफ से रेलवे ट्रै्क्स के अलग-अलग ट्रेनों के रास्ते तय हैं। पूर्व दिशा में गोंदिया से आने वाला ट्रैक हावड़ा- राउर केला-रायपुर लाइन है।एक ट्रैक यहां दक्षिण इंडिया से आता है, एक ट्रैक दिल्ली से,जो कि उत्तर दिशा से आ रहा है। इसी जगह पश्चिम मुंबई से भी एक ट्रैकआकर मिलता है। इस तरह एक ही स्थान पर चार ओर से आ रहे ट्रैक्स मिलते हैं और डायमंड क्रॉसिंग का निर्माण करते हैं।
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नागपुर रेल्वे स्टेशन भारत के चुनिंदा स्टेशनों में एक है। इमारत की वैभव एवं विशिष्ट शिल्पकारी को बनाए रखने के लिए एल ईडी आधारित प्रकाश योजना कार्यान्वित की गई है। तेजी से विकास के बाद आज स्टेशन से 92 मेल एक्सप्रेस 200 मालगाडिय़ां रोज गुजरती हैं।वर्तमान में नागपुर रेलवे स्टेशन पर 8 प्लेटफार्म बने हुए हैं। जहाँ चारों दिशाओं आने-जाने वाली गाडिय़ां रुकती हैं।जानकारी के अनुसार रेलवे स्टेशन से 1940 तककेवल 10 गाडिय़ां ही गुजरती थीं। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, वैसे-वैसे गाडिय़ों की संख्या बढ़ती गई।1965 में 40 से ज्यादा गाडिय़ां इस स्टेशन से होकर दौडऩे लगी,जिसमें न्यू दिल्ली- चेन्नई, जीटीएक्स प्रेस का सामावेश था।1980 के बाद से गाडिय़ों की संख्या स्टेशन पर हो रहे विकास व यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण तेजी से बढ़ाया गया। वर्तमान स्थिति में 100 से ज्यादा गाडिय़ां स्टेशन से रोज विभिन्न दिशाओं की ओर चलती हैं।

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