शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
पटना में 14 विपक्षी दलों की एक बैठक से भाजपा चिंतित है,कहा जा रहा है कि वह फोटो सेशन था ….? वैसे इस बैठक में कॉंग्रेस ही सबसे बड़ी तथा पुरानी पार्टी है। कम से कम पूरे देश में उसकी पहचान तो है ही… अब यह विचार करना जरुरी है कि गठबंधन से कांग्रेस को क्या फायदा होगा….?तमिलनाडु,बिहार, महाराष्ट्र की लोक सभा की 100 सीटों में कांग्रेस का पहले से ही गठबंधन है। राजस्थान छत्तीसगढ़ ,मप्र,कर्नाटक,गुजरात,हरियाणा,हिमाचल,उत्तराखंड,असम,पंजाब और गोवा में उसे किसी की जरूरत नही है।लड़े,जीते या हारे.. उसका अपना दम है। 200सीटें यहां हो गयी।केरल, आंध्र प्रदेश,तेलंगाना में भाजपा का कोई नामलेवा नही….तो वहां भाजपा को हराने के लिए किसी से गठबंधन करने की जरुरत ही नहीं है।जहां तक दिल्ली,उड़ीसा,उत्तर प्रदेश,कश्मीर और पश्चिम बंगाल का सवाल है तो यहां सामने वाली पार्टी कुछ दे,तो ठीक,न दे तो भी ठीक…कांग्रेस मुक्त भारत का नारा तो फेल हो ही गया,मगर क्षेत्रीय दल मुक्त भारत,एक हद तक संभावनाशील है।यह बात और है कि पहले कांग्रेस के विरुद्ध सभी विपक्षी दल होते थे पर आजकल भाजपा के विरुद्ध सभी दल हो गये हैं।
आपातकाल,इंदिराऔर
नरेंद्र मोदी की प्रशंसा…
25 जून1975 यानि 48 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘इमरजेंसी’ यानि आपातकाल’ देश पर थोपा था। कांग्रेस पार्टी के तब के अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने इंदिराजी का यशोगान करते हुए एक नारे का इजाद किया था…इंडिया इज इंदिरा… इंदिरा इज इंडिया… पूरे आपातकाल में यह नारा गूंजता रहा और लगभग हर कांग्रेसियों की जबान पर यह नारा था।तब विपक्ष के नेता तथा बाद में प्रधानमंत्री बने स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कविता लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ को चमचों का सरताज कहा था। आपातकाल की सालगिरह आती है तब बरूआ का नारा और अटलजी की कविता की भी चर्चा होती है। दरअसल 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरागांधी के रायबरेली के 1971 के चुनाव में अनियमितता का दोषी ठहराकर उनकी संसद सदस्यता रद्द कर आगामी 6 साल के लिए चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी उसके बाद इंदिराजी ने आपातकाल की देश में घोषणा कर दी थी। बहरहाल उसी समय देवकांत बरूआ के ‘इंदिरा इज इंडिया’ के नारे के बाद अटलजी ने कविता लिखी थी…
“इंदिरा इंडिया एक है
इति बरूआ महराज
अक्ल घास चरने गई
चमचों के सरताज!
चमचों के सरताज,
किया भारत अपमानित
एक मृत्यु के लिए कलंकित
भूत भविष्यत!
कह कैदी कविराय,
स्वर्ग से जो महान है,
कौन भला उस भारत
माता के समान है?”
खैर आपातकाल के बाद कांग्रेस की जो देश में हालत हुई वह किसी से छिपी नहीं रही… पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र में बनी थी उपरोक्त संदर्भ का उल्लेख इसलिए करना पड़ा क्योंकि वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो देवकांत बरूआ से सैकड़ों कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘देवता’ही ठहरा दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भाषा से खिलवाड़ करते हुए घोषित कर दिया था कि मोदी ‘सुरेन्द्र’ है। राहुल ने समपर्ण मोदी को मजाकिया ढंग से ‘सुरेन्द्रर’ (सरेंडर) लिख दिया था जगतपाल नड्डा ने इसे सुरेन्दर बना दिया सुरेन्द्र का दूसरा नाम इंद्र है और वे देवताओं के राजा होते हैं। नड्डाजी की मंशा के अनुसार नरेन्द्र मोदी इंसानों के ही नहीं देवताओं या भगवानों के भी नेता है। वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो मोदी को भगवान का वरदान ही ठहरा दिया है। बहरहाल स्वामीभक्ति,चाटुकारिता, व्यक्ति पूजा की यह तो पराकाष्ठा ही मानी जा सकती है…। खैर अब अटलजी जैसे कवि,नेता रहे नहीं, नहीं तो एक नई कविता का जन्म हो जाता? वैसे नड्डाजी की ही बात नहीं इसके पहले भी कुछ नेता मोदी को ‘अवतार’ घोषित कर चुके हैं।
सिंहदेव बने डिप्टी सीएम
कंवर पहले रह चुके हैं….
आखिर ‘बाबा’ को छ्ग का डिप्टी सीएम बना ही दिया गया (वैसे भारत के संविधान में उप प्रधानमंत्री या उप मुख्य मंत्री पद का उल्लेख ही नहीं है)अविभाजित मप्र में छ्ग के प्यारेलाल कंवर (कोरबा) भी डिप्टी सीएम रह चुके हैं।7दिसम्बर 1993 से 29मई 1998 तक प्यारेलाल कंवर, दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में डिप्टी सीएम रहे थे।उनके साथ सुभाष यादव भी डिप्टी सीएम थे।बाबा छ्ग राज्य बनने के बाद पहले और छ्ग निवासी के रूप में दूसरे डिप्टी सीएम होंगे।वैसे सिंहदेव को कांग्रेस आलाकमान ने डिप्टी सीएम बनाकर एक तरह से भूपेश बघेल से उनके मतभेद भी दूर करने का एक प्रयास किया है इसी के साथ अब बाबा के किसी अन्य दल में जाने या नया दल बनाने कीअटकलों पर भी विराम लग गया है।प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2018 में हुए विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस ने विधानसभा की 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 15 साल तक सत्ता में काबिज रही भाजपा 15 सीटों पर ही सिमट गई थी। जीत के बाद कांग्रेस ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था। सीएम बघेल के कुर्सी पर काबिज होते ही कई बार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच अनबन की खबरें आती रहीं। ऐसे में चुनाव से पहले टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चल दिया है।सिंहदेव ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भले ही नगर पालिका अध्यक्ष पद से की हो, लेकिन सरगुजा राजपरिवार से होने के नाते उनकी राजनैतिक हैसियत इससे कहीं अधिक रही। टीएस सिंहदेव के पिता एमएस सिंहदेव मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव और बाद में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उनकी मां देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मध्यप्रदेश में दो बार मंत्री रहीं। तब कहा जाता था कि सरगुजा के लिए मुख्यमंत्री राजपरिवार ही है।
आईपीएस संजय पिल्ले, आईएएस अमृत खलखो होंगे रिटायर..
छ्ग में पुलिस और प्रशासन में एक बड़ा फेरबदल होना तय माना जा रहा है। पुलिस में अपनी लम्बी पारी खेलकर 31जुलाई को छ्ग के सबसे वरिष्ठ आईपीएस संजय पिल्ले रिटायर हो रहे हैं,वे जेल डीजी के पद पर हैं जाहिर है कि इस पद पर किसी वरिष्ठ आईपीएस की नियुक्ति की जाएगी,वैसे संजय पिल्ले को छ्ग सरकार कहीं समायोजित भी कर सकती है।इधर ईडी जाँच के चलते अफसरों , नेताओं की जेल में आवाजाही भी चल रही है तो जेल में किसी खासअफसर की नियुक्ति की जाएगी ऐसी चर्चा है।
इधर राजभवन के सचिव तथा श्रम विभाग के आयुक्त अमृत खलको का भी 31 जुलाई को रिटायरमेंट है तो दोनों पद पर नई नियुक्ति तय है। पिछली बार सचिव को हटाने पर पूर्व राज्यपाल नाराज हो गईं थी।वैसे चर्चा है कि खलखो को एक साल की संविदा नियुक्ति मिल सकती है,वैसे भी आईएएस डॉ आलोक शुक्ला, डीडी सिंह आदि को संविदा नियुक्ति मिलती रही है।वैसे अमृत खलखो की सेवानिवृति के बाद सक्रिय राजनीति में भी उतरने की भी चर्चा है…?
और अब बस
0भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की छ्ग में सक्रियता के पीछे आगामी चुनाव ही हैं…
0सर्व आदिवासी समाज आरक्षित 29 सीटों के अलावा 20अन्य सीटों पर भी चुनाव लड़ेगा…?
0छ्ग में विस चुनाव भूपेश बघेल विरुद्ध नरेंद्र मोदी होना तय माना जा रहा है?