{किश्त230 }
रायपुर के सिटी कोतवाली का इतिहास काफी पुराना है। इतिहासकारों के मुता बिक थाने की नींव मराठा काल में रखी गई थी और 1854 में छत्तीसगढ़ में अंग्रेज शासन शुरू होते ही भवन का निर्माण कराया गया। जहां पहले कचहरी लगाई जाती थी। जबकि 1857 की क्रांति की सुन वाई भी इसी कचहरी भवन में ही हुई थी।अब तो पुराने कोतवाली भवन की जगह नया बहुमंजिला भवन बन गया है।देश के कुछ पुराने शहरों में एक ‘कोतवाली’ थाना तो सबने सुना होगा। सभी पुराने शहर में एक थाने को कोतवाली कहा जाता है। कई बार इस थाने के आसपास के क्षेत्र को भी कोतवाली कहा जाता है। यह नाम सुनकर मन में जरुर ख्याल आता है कि यह कोतवाली नाम कैसे पड़ा…? पहले कोतवाली काअर्थ ऐसी जगह से होता था,जहां कोतवाल काकार्या लय होता था,कोतवाली का संदर्भ वर्तमान में पुलिस स्टेशन या थाने से होता है। लेकिन पुराने ज़माने में तो कोतवाली का अर्थ पुलिस के बड़े अधिकारी या जेल अधीक्षक के रूप में होता था।कोतवाली- कोतवाल शब्द मुगलकाल से लेकर ब्रिटिशकाल के दौरान भी प्रचलन में रहा। यह नया शब्द नहीं हैं।अब कोतवाली नाम से शहरों में एक थाना ही देखने को मिलता है कोत वाली शब्द पुलिस थाने के लिए आम बोलचाल में उप योग किया जाता है। इतना ही नहीं आज भी कई शहरों के सबसे पुराने थाने केनाम कोतवाली है। छ्ग ही नहीं देश में लगभग सभी पुराने शहरों में एक कोतवाली थाना है।यह नाम कोतवाल के कार्यालय के कारण से प्रचलन में आता। ऐसे में कोतवाल का अर्थ जान लेना चाहिए। कोतवाल का अर्थ भारत में पुलिस अधि कारी के लिए उपयोग में लिया जाता है। कोतवाल जिले या नगर का वह अधि कारी होता है,जिस पर नगर शांति का प्रभार होता था। अधिकारी नगर के मुख्य भाग में निवास करता था और वहाँ इसका कार्यालय होता था। कोतवाल शहर का सबसे बड़ा अधिकारी होता है, जिसके नीचे पूरे शहर का पुलिसतंत्र काम करता था, उदाहरणके लिये पुलिस सुपरिटेंडेंट…। इस अधिकारी के नीचे कई पुलिस स्टेशन और पुलिस निरीक्षक होते थे। साथ ही इस अधिकारी पर जिले और नगर के जेल के देख रेख का भी प्रभार रहताथा। वर्तमान में कोतवाल नाम से कोई पोस्ट या पद नहीं है।मुगलकाल, ब्रिटिश काल के दौरान प्रमुख नगरों में शांति व्यवस्था के लिये अधिकारी नियुक्त किए जाते थे, उन्हें कोतवाल कहा जाता था। इसी के कारण आज भी कोतवाल शब्द प्रचलन में है। आज भी पुलिस थाने के थानेदार को कोतवाल कहा जाता है। आजादी के पूर्व जहां कोतवाल का कार्या लय होता था उस स्थान को पुलिस थाने में तब्दील कर दिया है।कोतवाल के कार्या लय से थाने अथवा पुलिस स्टेशन में तब्दील हुए थाने को कोत वाली पुलिस थाना कहा जाता है।आज शहर के पुराने थाने का नाम कोत वाली होने का कारण पहले किसी ज़माने में ब्रिटिशराज द्वारा नियुक्त किये गये कोत वाल कार्यालय के कारण उस स्थान विशेष को कोत वाली कहा जाने लगा। इसी के कारण थाने का नाम भी कोतवाली हो गया। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि शहर में जो कोतवाली है,वो सबसे पुराना थाना है।आज कोतवाली में थानेदार होते हैं,जो कोतवाल नहीं हैकोत वाल तो जिले भर का अधि कारी होता है, वो आज के ज़माने में देखा जाये तो पुलिस अधीक्षक हो सकता है। किंतु आपको पुनः बता दे कि अब पुलिस महकमें में कोतवाल नाम की कोई पोस्ट नहीं है, बस जगह के कारण कोतवाली थाने के रूप से जरुर देखने को मिल जाते हैं। देश के किसी भी राज्य में पुलिस महकमे में कोतवाल का पद नहीं है।किंतु कोतवाल और कोत वाली शब्द का प्रयोग बहुता यत मिल ही जाता है। खास तौर से मुहावरों में कोतवाल शब्द का उपयोग किया जाता है। मुहावरों के अर्थ को निकाला जाये तो साफ पता चल जाता है कि कोत वाल का अर्थ क्या होता है…? और इस शब्द का इस्तेमाल कहां किया जाता है….?
” उल्टा चोर कोतवाल
को डांटे “
इस मुहावरे का अर्थ है कि अपराधी (चोर) अपना गुनाह स्वीकार करने की बजाय कोतवाल (पूछने वाले को) को ही गुनाहगार ठहरा रहा है अथवा चोर उल्टा कोतवाल को डांट रहा है। इसे यूं समझेँ कि कोतवाल के पास चोर को डांटने का अधिकार है,यह अधिकार सरकार द्वारा प्रदत्त है। किंतु कोतवाल द्वारा चोर को डांटने की बजाय चोर ही कोतवाल को डांट लगा रहा है। ऐसी स्थिति कभी कभार देखने को मिलती है। किसी व्यक्ति द्वारा गलती किये जाने पर पुलिस उसे घर पर तलाशने जाती है तो व्यक्ति पुलिस को ही डांटने लगता है और चिल्ला-चिल्ला कर पूछता है कि किसको पूछकर घर में घुसे हो…..? ऐसी स्थिति के लिए इसका जिक्र हैअब आप इस मुहावरे को देखे….
” सैयां भये कोतवाल तो अब डर काहे का “
उपर्युक्त मुहावरे से आशय है कि जब सैयां यानी पति पुलिस अधिकारी है तो डर किस बात का।पति थानेदार है तो जो मर्जी आए वो करो उसके ऊपर कोई नहीं है।नगर में जो गिरफ्तार कर सके,ऐसे में इस मुहावरे से स्पष्ट है कि कोतवाल के पास किसे गिरफ्तार करना है और किसे नहीं,यह अधि कार सुरक्षित है। मुहावरे से स्पष्ट है कि कोतवाल का पद थानेदार से बड़ा होता था। कई लोग कोतवाली और थाने को एक ही सम झते हैं। ऐसा इसलिये भी समझा जाता है क्योंकिकई नगरों में थाने का नाम कोतवाली होता है लेकिन सच कहें तो थाना और कोतवाली दोनों एक नहीं हैँ। कोतवाली,अधिकारिक रूप से कोई अस्तित्व नहीं है।अब जो कोतवाली है, किसी स्थान विशेष का नाम है,कोतवाली कोई सरकारी कार्यालय नहीं है और ना ही कोतवाल का कोई पद…! कोतवाली, आधिकारिक तौर पर ब्रिटिशराज के साथ समाप्त हो गया।कोतवाली, ब्रिटिशराज के दौरान एक पुलिस अधिकारी का कार्या लय होता था, अब वो पद नहीं रहा। उस स्थान पर जो पुलिस थाना संचालित हो रहा है उसे कोतवाली थाना कहा जाता है। थाना या पुलिस स्टेशन वर्तमान में कानून व्यवस्था में एक ऐसा स्थल है,जो थानेदार (इंस्पे क्टर / सब इंस्पेक्टर) के अधीन होता है और उस पर निर्धारित क्षेत्र विशेष की ही शांति व्यवस्था की जिम्मे वारी होती है। थाना शब्द आधिकारिक शब्द है जिसे अंग्रेजी में पुलिस स्टेशन कहा जाता है। प्रमुख थाने दार होता है जिसके नीचे सब इंस्पेक्टर, एएसआई, हवलदार और कांस्टेबल होते हैं। थाने के नियंत्रण में पुलिस चौकी भी होती है।