दुर्ग। दुर्ग सांसद विजय बघेल ने जिले में कोरोना महामारी के विकराल होते रूप से चिंतित होकर जिले के कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे से जिला प्रशासन द्वारा महामारी को रोकने और प्रभावित मरीजों के इलाज के संबंधी जानकारी ली। इस दौरान दुर्ग में कोरोना महामारी की अनियंत्रित स्थिति को लेकर विजय बघेल ने चिंता जताई। कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे द्वारा सांसद विजय बघेल को जिले में कोरोना की स्थिति के बारे में जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की जानकारी दी गई।
कलेक्टर ने सांसद को यह बताया कि जिले में वर्तमान में 8000 से अधिक मरीजों का इलाज होम क्वारंटाइन से हो रहा है, जिस पर सांसद विजय बघेल ने पूछा कि होम क्वारंटाइन मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फल और प्रोटीनयुक्त आहार आवश्यक होता है और इस सबके बिना 8000 से अधिक होम क्वारंटाइन मरीजों की कोरोना से जल्द रिकवरी कैसे संभव हो सकेगी। सांसद विजय बघेल ने कलेक्टर से कहा कि 8000 से अधिक होम क्वॉरेंटाइन लोगों को लॉकडाउन के चलते प्रोटीनयुक्त आहार, फल, दूध इत्यादि नहीं मिल पा रहा है, जिससे बीमारी से मुक्त होने में उन्हें बाधा आ रही है और उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो रही है जो कि बेहद घातक है। इसके बारे में जिला प्रशासन गंभीरता से विचार करे और लॉकडाउन को शिथिल किये बगैर होम क्वॉरेंटाइन मरीजों को उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने हेतु प्रोटीनयुक्त आहार, फल, दूध इत्यादि की आपूर्ति के वैकल्पिक उपाय करे।
कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने सांसद विजय बघेल को बताया कि 08 अप्रैल 2021 तक टोटल टेस्ट 3,33,354 किये गए है, जिसमें पॉज़िटिव केस 46,142 है। पॉजिटिव केसेस में 86 प्रतिशत अंतिम 4 सप्ताह में मिले हैं। वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी दी कि जिले में टोटल वैक्सिनेशन 3,15,490 हुआ है, जिसमें 60 से ऊपर के उम्र के 1,07,319 लोगों ने प्रथम डोज़ व 3505 लोगों ने द्वितीय डोज़ लगा लिया है जबकि 45 से 59 के बीच के उम्र के 1,38,277 लोगो ने प्रथम डोज व 884 लोगों ने द्वितीय डोज लगा लिया है। जिला प्रशासन का पूरा जोर वैक्सीनेशन बढ़ाने पर ही है।
कोरोना का इलाज करने वाले अस्पतालों के बारे में जानकारी देते हुए कलेक्टर ने सांसद विजय बघेल को बताया कि शासकीय और पब्लिक सेक्टर मिलाकर कुल 7 हॉस्पिटल कोरोना का इलाज कर रहे है, जिसमें कुल बेड 1580 है और वेंटीलेटर की संख्या 37 है। इसी प्रकार प्रायवेट हॉस्पिटल कुल 18 है, जिसमें कुल बेड 603 है और वेंटीलेटर की संख्या 61 है। केंद्र सरकार द्वारा 8 वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे जिसमें से 2 वेंटिलेटर में कुछ दिनों पहले ही तकनीकी खराबी आई है, जिसका मेंटेनेंस जल्द ही करा लिया जाएगा।
जिला कलेक्टर ने सांसद विजय बघेल को आश्वस्त किया कि लॉक डाउन होने के कारण आने वाले कुछ दिनों में कोरोना प्रभावितों की संख्या में कमी आएगी और लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। प्रदेश में सबसे पहले दुर्ग जिले में लॉकडाउन लगाया गया है जिसके कारण कुछ ही दिनों में स्थिति नियंत्रित हो जाएगी।
कलेक्टर द्वारा सांसद विजय बघेल को दी गई जानकारी के अनुसार दुर्ग जिले में वर्तमान सप्ताह में सैंपलिंग के अनुपात में कोविड पॉजिटिविटी रेट 33 प्रतिशत है और पिछले 4 सप्ताह में कोविड 19 से होने वाली मृत्यु दर 9 प्रतिशत बढ़ गई है। सांसद श्री बघेल ने कहा कि दुर्ग जिले में कोरोना से बढ़ती मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष प्रयास करें क्योंकि प्रत्येक जीवन कीमती है किसी की भी मृत्यु उसके पूरे परिवार को उजाड़ कर रख देती है। जिला प्रशासन की टीम संवेदनशीलता और तत्परता के साथ काम करते हुए मृत्यु दर को रोकने का हर संभव प्रयास करें।
सांसद विजय बघेल ने कोरोना महामारी के लिए फंड की उपलब्धता के बारे में जानकारी मांगी और कहा कि किसी प्रकार की कोई कमी होने पर केंद्र सरकार हर प्रकार की सहायता करने के लिए तत्पर है, जिस पर कलेक्टर ने कहा कि उनके पास महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त फंड है, जिसके बाद सांसद विजय बघेल ने कलेक्टर से कहा कि यदि पर्याप्त फंड है तो कोरोना मरीजों के उपचार संबंधी व्यवस्थागत दोषों एवं कमियों को जल्द से जल्द दूर करें और मानव संसाधन का उचित प्रबंधन करते हुए लोगों को तत्परता के साथ सहायता पहुंचाएं।
कोरोना महामारी के संबंध में जिला प्रशासन की तैयारियों और गतिविधियों की जानकारी लेने के बाद विजय बघेल ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए छत्तीसगढ़ में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। संक्रमणकाल में प्रदेश के सीएम अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर अपनी कुर्सी बचाने के लिए छत्तीसगढ़ की जनता को बेसहारा छोड़ कर दूसरे राज्य में एक-एक महीना चुनाव प्रचार करने चले जाते हैं। महामारी के दौर में हजारों लोगों को राजधानी के इंटरनेशनल स्टेडियम में इकट्ठा कर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का मैच आयोजित करवाते हैं। मुख्यमंत्री दुर्भावना के साथ सोनिया गांधी के सामने वैक्सीन की कमी का रोना रोते हैं लेकिन सोनिया गांधी को अपने स्वास्थ्य मंत्री के कारनामे नहीं बताते, जिन्होंने जानबूझकर वैक्सीन को तीन-तीन महीने तक डंप करके रखा और उसे जनता तक नहीं पहुंचने दिया जाता है यहां तक कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वयं ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर वैक्सीन नहीं भेजने को कहा। जब राज्य स्वयं ही वैक्सीन भेजने के लिए केंद्र को मना करे और पुरानी वैक्सीन डंप करके रखे तो केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की अगली खेप भेजे जाने का प्रश्न ही नहीं उठता था। छत्तीसगढ़ प्रदेश एक अड़ियल, अनुभवहीन और अकर्मण्य स्वास्थ्य मंत्री होने का खामियाजा भुगत रहा है और प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने स्वास्थ्य मंत्री की गलती को नजरअंदाज कर केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं। प्रदेश में वैक्सीन की कमी के लिए स्पष्ट रूप से राज्य सरकार ही जिम्मेदार है लेकिन इसके बाद भी जैसे ही छत्तीसगढ़ से वैक्सीन भेजे जाने की मांग गई, केंद्र सरकार ने तत्परता के साथ वैक्सीन की आपूर्ति की है। महामारी से निपटने की बजाए जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना, वैक्सीनेशन को रोका जाना और अनावश्यक रूप से रोड सेफ्टी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच का आयोजन जैसे अनेकों आत्मघाती कदम राज्य सरकार ने उठाए, जिसके कारण प्रदेश में कोरोना विकराल हो गया। कांग्रेस सरकार ने केवल राजनीतिक विरोध के चलते प्रदेश की जनता का जीवन दांव पर लगा दिया। ऐसी अकर्मण्य सरकार को प्रदेश की जनता बिल्कुल भी क्षमा नहीं करेगी।