खेलों की जमीन पर चल रहा धन उगाही का खेल

 

ढाई हजार करोड़ की जमीन पर कब्जा जमाने वाले रसूखदारों पर कार्रवाई की हिम्मत नही

इंदौर, प्रदीप जोशी। मंगलवार को इंदौर में भारत साउथ अफ्रिका मैच से पूर्व नगर निगम और मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के बीच टैक्स को लेकर उठे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है। अब इंदौर शहर की जनता में भी आवाज उठने लगी है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि शहर के सबसे महंगे इलाके में कोड़ियों के दाम पर चार खेल संगठनों को जमीन क्यों और किस कारण से दी गई ? अगर जमीन दी भी तो इन खेल संगठनों का शहर और शहरवासियों के प्रति खास कर अपने अपने खेलों के प्रति क्या योगदान है ?
आपकों जानकर आश्चर्य होगा कि महज 5 खेल संगठनों के कब्जे में बीस एकड़ जमीन है, जिसका वर्तमान बाजार भाव करीब ढाई हजार करोड़ रुपए होता है। शासन द्वारा लीज पर दी गई जमीन पर किस तरह धन का खेल हो रहा है यह अब सबके सामने आना ही चाहिए। खास कर प्रशासन को चाहिए कि इन चार खेल संगठनों की हकिकत शासन और जनता के सामने उजागर करे। गौरतलब है कि शासन ने रेसकोर्स रोड़ पर 1976 में 15 एकड़ जमीन क्लब के संचालन के लिए नाम मात्र के शुल्क पर लीज पर दी थी। इसके बाद 1984 में बास्केट बॉल क्लब, लॉन टेनिस एसोसिएशन और टेबल टेनिस एसोसिएशन को तीन तीन एकड़ जमीन लीज पर दी गई है। खास बात यह है कि जमीन दिए जाने के दस साल बाद लीज डीड का निष्पादन हुआ यह क्यों हुआ यह भी जांच का विषय है।

ढाई हजार करोड़ की जमीन पर किस खेल का उत्थान
बहरहाल हम यह नहीं पूछेंगे कि कोविड़ के दौर में जब लोग मर रहे थे इलाज, राशन और अन्य जरूरतों के लिए मारे मारे भटक रहे थे तब ये रसूखदार पदाधिकारी कहा थे। हम आपसे नहीं जानेंगे कि इंदौर शहर स्वच्छता में लगातार छह बार नंबर वन बन गया तो इसमे आप महान लोगों की क्या भूमिका रही? हम यह भी नहीं पूछ रहे कि आप शासन से मिली लीज की जमीन पर क्या क्या धंधे कर रहे है और उन धंधों से कितना धन उगा रहे है। हम तो सिर्फ यह जानना चाहते है कि क्रिकेट, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस जैसे खेल खेलने वाले शहर के किशोर और युवा खिलाड़ियों के उत्थान के लिए आपने क्या किया ? कितने गरीब खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलवाई गई कृपया यह बता दिजिए। नहीं तो सिर्फ इतना बता दिजिए कि इन खेलों में इंदौर अथवा मध्यप्रदेश की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कितनी बनी।

टिकट काला बाजारी पर साध ली चुप्पी
आज जो संगठन नगर निगम पर टैक्स वसूली के नाम पर ज्यादतियां करने का आरोप मढ़ रहे है, इस कार्रवाई को शहर की इज्जत से जोड़ रहे है उनकी हकिकत मंगलवार को मैच शुरू होने से पूर्व ही सामने आ गई थी। आम जनता की जुबान पर सवाल है कि ऑन लाइन और आॅफ लाइन टिकिट बिक्री का झोल क्या है ? पर एमपीसीए के जिम्मेदार पदाधिकारी जो कार्रवाई को लेकर कल तक मुखर हो रहे थे आज जुबान पर ताला लगा कर बैठे है। शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और ज्यादा घातक है। जनता के हिमायती बनने वाले नेता रसूखदारों के गुनाहों पर इसी चुप्पी के जरिए पर्दा डालने का काम कर रहे है।

सौ करोड़ की सर्विस लेन हो गई गायब
शासन द्वारा नाम मात्र के शुल्क पर चार प्रमुख खेल संगठनों को लीज पर दी गई जमीन के व्यवसायिक उपयोग के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर नगर निगम की और से जवाब पेश किया गया था कि हम सभी संगठनों से संपत्ति कर वसूल रहे है। इस मामले में निगम ने दस साल के वसूली रिकार्ड भी कोर्ट के समक्ष पेश किए थे। साथ ही टेटे एसोसिएशन द्वारा खेल प्रशाल (अभय प्रशाल) की बाउंड्री वॉल तोड़ने की कार्रवाई भी निगम प्रशासन द्वारा की गई थी। बहरहाल बात उस सर्विस लेन की जिसे इन चार संगठनों ने दबा दिया। यही नहीं एक पूरी सर्विस लेन को दबाने का काम हो गया और नगर निगम को पता भी ना चला। यह सर्विस लेन 56 दुकान के पीछे आश्रम रोड़ से यशवंत क्लब वाले रोड़ तक आती है। 16 फीट चौड़ी सर्विस लेन लैंड शासकीय रिकार्ड में तो दर्ज है और इसकी वर्तमान कीमत सौ करोड़ से ज्यादा है। मामला हाईकोर्ट में उठ चुका है बावजूद इसके प्रशासन के जिम्मेदार मौन धारण किए हुए है।

खेल संगठनों को मिली जमीन का ब्यौरा

*यशवंत क्लब :
15 एकड़ भूमि
1976
*पहचान :* रईसजादो की कलाली

*एमपीसीए :*
10 जून 1984
20 अगस्त 1992
11 एकड़ भूमि
*पहचान :* हर बार टैक्स को लेकर विवाद

*लॉन टेनिस ऐसो :*
18 जून 1984
30 अगस्त 1987
3 एकड़ भूमि
*पहचान :* खेल से ज्यादा खानपान के चर्चे

*टेबल टेनिस ऐसो.*
18 जून 1984
16 जून 1996
3 एकड़ भूमि
*पहचान :* गरबा, सेल, विभिन्न कंपनियों के दफ्तर

*बास्केट बॉल ऐसो.*
18 जून 1984
29 जनवरी 1993
3 एकड़ भूमि
*पहचान :* कपड़े , जूते की सेल और गरबा

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