भारत-चीन सीमा पर सैन्य गतिविधियां तेज,आईटीबीपी और सेना के जवानों की छुट्टियां रद्द

उत्तराखंड : लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर चीन सेना के साथ तनातनी और मुठभेड़ के बीच उत्तराखंड के सीमांत जनपद की ओर से भी भारत-चीन सीमा पर सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। बुधवार रात को सेना के करीब 80 वाहनों में भारतीय सैनिक चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए हैं।

सूत्रों ने बताया कि सीमा क्षेत्र में सतर्कता बरती जा रही है। पर्याप्त मात्रा में हथियार और तोप भी सीमा क्षेत्र में भेजी गई हैं। छुट्टी पर गए आईटीबीपी और सेना के जवानों की छुट्टियां रद्द कर शीघ्र ड्यूटी ज्वाइन करने के आदेश हो गए हैं।

एसएसबी ने नेपाल सीमा पर बढ़ाई गश्त..

धारचूला(पिथौरागढ़) में जौलजीबी, बलुवाकोट, धारचूला से लेकर व्यास घाटी के कालापानी तक नेपाल सीमा के महाकाली नदी किनारे एसएसबी ने सुरक्षा बढ़ा दी है। जवान हर गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं।

कालापानी विवाद और लिम्पिया धुरा को अपने नक्शे में दर्ज करने बाद से सीमा में सेना, आईटीबीपी और एसएसबी अधिक मुस्तैदी के साथ सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। एसएसबी के 11वीं वाहिनी के कमांडेंट महेंद्र प्रताप का कहना है कि उनके जवान जौलजीबी से लेकर कालापानी तक दिन रात सजग एवं सतर्क होकर नेपाल सीमा में पेट्रोलिंग कर रहे हैं।

फिलहाल नेपाल और चीन सीमा में शांति है।
नेलांग बॉर्डर में आईटीबीपी और सेना के जवान मुस्तैद
उत्तरकाशी जिले से भी चीन की करीब सवा सौ किमी सीमा लगती है। वर्षों पूर्व गंगोत्री के निकट भैरोंघाटी से गर्तांग गली होते हुए नेलांग घाटी से तिब्बत के बीच व्यापार भी होता था, लेकिन वर्ष 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान सीमावर्ती नेलांग एवं जाढ़ूंग गांव खाली कराकर यह पूरा क्षेत्र सेना के सुपुर्द कर दिया गया था।

वर्तमान में क्षेत्र में नेलांग, नागा, नीलापानी, जाढ़ूंग, सोनम, त्रिपाणी, पीडीए, सुमला एवं मंडी तक सैन्य जरूरत के लिए सड़कों का निर्माण किया जा चुका है और इन स्थानों पर आईटीबीपी एवं सेना के जवान मुस्तैद हैं। जबकि अग्रिम पोस्ट थागला-1, थागला-2, टीसांचुकला, मुनिंगला पास एवं रंगमंच गाड़ दर्रों तक अभी सड़क नहीं पहुंची है। वर्ष 1989 में इस पूरे क्षेत्र को गंगोत्री नेशनल पार्क में शामिल कर दिया गया। बीते चार साल से नेलांग वैली पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनी हुई है।

अग्रिम पोस्टों से आगे हिमालय की ऊंची चोटियां और गहरी घाटियों के चलते यहां भौगोलिक परिस्थितियां बेहद दुर्गम हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में कभी भारतीय एवं चीन सेना का आमना सामना नहीं हुआ। बीते 21 मई को सेना की मध्य कमान के सेनाध्यक्ष ले. जनरल इकरूप सिंह घुमन बॉर्डर का दौरा कर चुके हैं।
सामरिक मजबूती के लिए सड़क निर्माण की जरूरत

इस बीच सेना ने सीमा की सबसे निकटवर्ती चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर एमआई-17 हेलीकॉप्टर और मल्टीपरपज विमान एएन-32 के साथ अभ्यास भी किया। आईटीबीपी 12वीं एवं 35वीं वाहिनी के हिमवीर बॉर्डर पर मुस्तैदी से डटे हैं। साथ ही हर्षिल में तैनात 9 बिहार रेजीमेंट के साथ ही गढ़वाल स्काउट, कुमाऊं स्काउट एवं लद्दाख स्काउट के जवान भी बॉर्डर पर पेट्रोलिंग कर रहे हैं।

भारत की ओर से सामरिक तैयारियों के लिहाज से ऑल वेदर रोड को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक उत्तरकाशी से भैरोंघाटी तक पर्यावरणीय कानूनों के चलते ऑल वेदर रोड को स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इसके साथ ही अग्रिम पोस्टों को सड़क से जोड़ने के लिए करीब 68 किमी लंबी सड़कों के प्रस्ताव भी अभी लंबित हैं।

जिले की ओर से भारत-चीन बॉर्डर पर आईटीबीपी एवं सेना तैनात है। बॉर्डर पर किसी तरह की गतिविधि को लेकर प्रशासन को कोई निर्देश या सूचना नहीं मिली है। बॉर्डर इलाके में सामान्य दिनों की तरह भेड़पालकों को चरान चुगान की अनुमति दी गई है। उत्तरकाशी से भैरोंघाटी के बीच ऑल वेदर रोड की डीपीआर तैयार की जा रही है। स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य शुरू कराया जाएगा।

– डा. आशीष चौहान, डीएम उत्तरकाशी

ग्रिफ ने तेज किया मुनस्यारी मिलम सड़क का निर्माण का कार्य
चीन सीमा के लिए निर्माणाधीन मुनस्यारी-मिलम सड़क का ग्रिफ ने निर्माण कार्य तेज कर दिया है। सड़क के निर्माण के लिए बड़े हेलीकॉप्टरों से सामान को पहुंचाया जा रहा है। ग्रिफ अभी तक मुनस्यारी से 14 किमी आगे लीलम तक सड़क का निर्माण कर चुका है और मिलम से मुनस्यारी की ओर करीब 13 किमी सड़क को काट चुका है।

गलवां घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद ग्रिफ ने भी सड़क का निर्माण कार्य तेज कर दिया है। यह सड़क ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

मुनस्यारी आईटीबीपी ने सभी पोस्टों को अलर्ट करते हुए निगरानी बढ़ाने की सूचना है। बुधवार को  हालांकि मौसम खराब था फिर भी बीआरओ द्वारा हेलीकॉप्टरों से सड़क निर्माण आदि सामानों को मिलम ले जाया जा रहा है। सुरक्षा के दृष्टिगत मुनस्यारी स्थित सैन्य अधिकारी इस संबंध में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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