अटलजी की यादें…और उनका चुनाव पूर्व सही अनुमान……

पुण्यतिथि पर विशेष

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

अटलजी उस समय विपक्ष के बड़े नेता थे वे(छत्तीसगढ़ उस समय मप्र का हिस्सा ) 1984 में लोस चुनाव के दौरान रायपुर प्रवास पर आए थे, उस समय इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद चुनाव हो रहे थे ।मैं बतौर पत्रकार अटलजी से मिलने उनकी भतीजी करुणा शुक्ला(चाची)के साथ गया था,उस समय अटलजी से मुलाक़ात और बातचीत की बहुत इच्छा थी।अटलजी से सर्किट हॉउस में मुलाकात हुई… मेरा परिचय जाने बिना ही उन्होंने करुणा शुक्ला से कहा कि इस बार लगता है भाजपा अपने सबसे बुरे दौर पर रहेगी… हमने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी,फिर ज़ब चाची ने मेरा परिचय पत्रकार के रूप में कराया तो उन्होंने कहा… ये छापने की बात नहीं है…?बाद में ज़ब लोकसभा चुनाव का परिणाम आया तो समूचे भारत में भाजपा के केवल 2 सांसद ही चुने गये थे… तब लगा की जनता की नब्ज पहचानने का पूर्वनुमान अटलजी जैसे नेता को ही हो सकता है….?1984 में बीजेपी को देश में केवल 2 सीटें हीं मिली थीं..पहली लोस हनामकोड़ा(आंध्रप्रदेश)
1984 के आम चुनाव में देशभर में इंदिरा सहानूभूति लहर के बावजूद यहां बीजेपी के चंदूपाटिया रेड्डी ने जीत का परचम लहराया था।1984 के आम चुनाव में बीजेपी के चंदू पाटिया ने कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को पटखनी दी थी।1984 की इंदिरा सहानूभूति लहर के बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीवी नरसिम्हा राव को 209564 जबकि भाजपा के चंदू भाई को 263762 वोट मिले थे……और नरसिम्हाराव चुनाव हार गए थे।हालांकि इसके सात साल बाद 1991 में हुए आम चुनावों में नरसिम्हाराव नांदियाल सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते थे…1984 के पहले हुए आम चुनावों में बीजेपी कभी भी इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी दूसरा लोक सभा क्षेत्र था मेहसाणा(गुजरात)1984 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को गुजरात के मेहसाणा में एके पटेल ने जीत दिलाई थी।1984 के आम चुनाव में पटेल ने कांग्रेस के आरएस कल्याणभाई को हराया था।एके पटेल बीजेपी को 287555 और कांग्रेस के रायनका सागरभाई कल्याणभाई को 243659 वोट मिले थे.इसके बाद के कई चुनावों में यह सीट पटेल के खाते में ही दर्ज रही……….अटलजी से मुलाक़ात का दूसरा मौका था ज़ब अटलजी का फिर रायपुर प्रवास हुआ… उनकी पत्रकार वार्ता सर्किट हॉउस (आजकल का राजभवन)में आयोजित थी… पत्रवार्ता शुरू होने के पहले अटलजी ने पूछा… शंकर पांडेजी कौन हैं…? मैंने कहा.. मैं… फिर पूरी पत्रकार वार्ता हुई… समाप्त होने तक मैं तथा उपस्थित कुछ पत्रकार यही सोचते रहे किअटलजी ने मेरा नाम क्यों पूछा..? बाद में पत्रकार वार्ता समाप्त होने पर मैंने निकलते-निकलते पूछ ही लिया कि… भाई साहब आपने मेरा नाम क्यों पूछा…? वरिष्ठ नेता अटलजी ने कहा… मेरे मित्र पत्रकार मधुकर खैर से मैंने रायपुर आकर फोन किया तथा पूछा था कि आपसे पत्रवार्ता में मुलाक़ात होगी क्या..? तो उन्होंने कहा था कि तबियत ठीक नहीं होने के कारण नहीं आ सकूंगा… शंकर पांडे से मेटर लेकर आपकी पत्रवार्ता बनाकर भेज दूंगा.. इसीलिये मैंने तुम्हारा नाम लिया था और कोई बात नहीं थी… तब मेरी जान में जान आई… मै तनाव में था कि मुझ जैसे पत्रकार को अटलजी कैसे जानते हैं…।(फोटो 1984 यानि लगभग 39 साल पुरानी)

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