शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
लेखक मुंशी प्रेमचंद ने कहा था….लोग कहते हैँ कि आंदोलन, प्रदर्शन और जुलूस निकालने से क्या होता है..? इससे साबित होता है कि हम जीवित हैँ, अटल हैँ और मैदान में अटल हैँ…
40रूपये वाला पेट्रोल 100 के करीब पहुंच गया है, डीजल भी 90के आसपास है पर जनता, भाजपा की केंद्र सरकार से सवाल नहीं कर रही है…. रसोई गैस की सब्सिडी धीरे धीरे खत्म कर दी गईं.. गैस सिलेंडर 400रु से 800रु तक पहुंच गया है, मनमोहन सरकार के समय गैस की क़ीमतों में वृद्धि होने पर गैस सिलेंडर लेकर हंगामा करने करने वाले भाजपा नेता (स्मृति ईरानी की पुरानी फोटो )अब खामोश है…. जनता भी सवाल नहीं कर रही है… सरसों का तेल 70से 140 ₹,दालें 60से 120₹, प्याज़ 10 से 50₹ टमाटर10से 25₹हो गया है और जनता कोई सवाल नहीं कर रही है… lजीडीपी माइनस में चली गई है,टैक्स की लूट के बाद भी सरकार के पास पैसा नहीं है… कृषि,शिक्षा के जरूरी बजट पर कैची चलती है तो कोई विरोध की आवाज नहीं…..सरकारी उपक्रम बेचे जाते हैं पर जनता खामोश है… किसान जब सीमा पर आकर अपना हक मांगने लगे तो कुछ लोग जिनकी अपनी जेब सरकार काटती जा रही है वह किसान आंदोलन के खिलाफ बोलने लगते हैं…. आटे,दाल,चावल की कीमत 3विवादित कृषि कानून के चलते बढ़ेगी तो नुकसान तो मध्यम वर्ग के लोगों का ही होगा… कोरोना काल के चलते बेरोजगारी बढ़ी है… लोगों की आय भी घटी है फिर भी लोग चुप हैँ…? देशहित की बात करकुछ लोग?सभी मुद्दों पर या तो चुप हैँ या दुहाई दे रहे हैँ कि देशहित ये जरूरी था…. पूरे देश में कुछ लोग राम मंदिर के लिए चंदा करने निकल पड़े हैं घर-घर जाकर चंदा ले रहे हैं…. जबकि राम के नाम पर चंदा वैसे ही एकत्रित हो जाता….सरकार के कुछ करीबी धनकुबेर ही पूरा मंदिर बनवा देते पर जन जागरण के नाम पर अपनी नाकामियों को छुपाने तथा आगामी आम चुनाव के लिए अभी से क्वायद शुरू हो गई है….
धान का कटोरा और….
छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन में इतना चावल/ धान पैदा हो जाता है कि यहां की तीन करोड़ के लगभग आबादी 3 साल तक बैठ कर खा सकती है तो भी खत्म नहीं होगी! छत्तीसगढ़ के 90 फ़ीसदी धान उत्पादक करने वाले किसानो क़ो केंद्र सरकार नजरअंदाज कर रही है…पहले भूपेश बघेल ने ₹25 00प्रति क्विंटल में धान खरीदी में रोड़ा हटाया गया फिर भूपेश बघेल द्वारा राजीव किसान न्याय योजना के तहत बोनस देने के मामले में भी अब पूछताछ की खबर है?इधर भूपेश बघेल सरकार द्वारा इस वर्ष रिकार्ड धान खरीदी के बादअब केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा “राजनीति ” शुरू कर दी गई है..?राज्य सरकार के 90हजार टन धान खरीदा है lजिससे औसत 60लाख टन चाँवल बनेगा केंद्र सरकार ने 40लाख टन चावल लेने की सहमति दी थी पर भारतीय खाद्य निगम की सेंट्रल पुल में 24लाख टन चावल लेने की अनुमति दी है…इस फैसले के बाद 16लाख टन चावल यानि करीब 24लाख चावल बच जाएगा इसकी खपत का ना तो जरिया है और ना ही भंडारण की व्यवस्था है इसलिए राज्य सरकार ने इसे ओपन बाजार में नीलाम करने का निर्णय लिया है जिसे चावल /धान खराब होने से बच भी सकता है और आर्थिक क्षति भी कमी की जा सकती हैl एक तरफ हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल की कीमत ₹100 प्रति लीटर बढ़ने के लिए देश की पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत ढूंढा नहीं गया…. इधर छग सरकार भी ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनने भी छत्तीसगढ़ में एथेनाल बनाने की अनुमति केंद्र सरकार से मांगी है पर केंद्र सरकार ने भी अभी तक अपनी सोच प्रकट भी नहीं की है… क्या इसके पीछे भी राजनीतिक सोच है…?
छत्तीसगढ़ “धान का कटोरा” आदि काल से माना जाता है कृषि वैज्ञानिक डॉ आर एंन रिछारिया ने 23 हजार से अधिक धान की किस्म का संग्रह किया था विश्व में दूसरे नंबर पर धान के जर्म प्लाज्म इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में हैँ धान की खेती छग में बहुतायत में किसान करते हैं इसलिये अन्य प्रदेशों के साथ ही छत्तीसगढ़ के साथ एक नीति उचित नहीं है. केंद्र सरकार किसानों को लागत की दोगुनी कीमत देने की बात करती है इसे छत्तीसगढ़ के लिए उदारता से सोचना ही होगा…..?
बड़ा प्रशासनिक फेरबदल जल्दी….
छत्तीसगढ़ में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल अब अप्रैल महीने में ही होने की संभावना है । वैसे माना जा रहा है कि अप्रैल में बड़ी संख्या में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक बदले जा सकते हैं। साथ ही पदोन्नत आईएएस और आईपीएस को अधिक तव्वजो मिल सकती है।
छत्तीसगढ़ में हालांकि प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट काफी समय से चल रही है। कुछ मंत्रियों ने भी अपने सचिवों को बदलने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया है। वहीं कुछ प्रभारी मंत्री भी प्रभार वाले जिलों के कलेक्टर और एसपी से नाखुश हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहले जनवरी-फरवरी में छोटा फेरबदल होने की चर्चा थी पर अब ऐसा लगता नहीं है। विधानसभा सत्र मार्च तक चलेगा। विधानसभा सत्र के दौरान वैसे भी तबादलों की परंपरा नहीं है। अब ऐसा माना जा रहा है कि अप्रैल में फील्ड से लेकर सचिवालय स्तर तक फेरबदल विधानसभा सत्र के बाद हो सकता है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर, एसपी सहित कुछ वरिष्ठ अफसरों की कार्यप्रणालीतथा जनता की मांग को समझने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समूचे छग का दौरा किया है । जिसमें कलेक्टर और एसपी को उनके कार्यों के आधार पर ए,बी,सी केटेगिरी में बांटा गया है । सूत्रों की मानें तो ए केटेगिरी वाले कलेक्टरों को किसी दूसरे बड़े जिले में पदस्थ करने की योजना है। वहीं बी. और सी. केटेगिरी के कलेक्टरों को जिलों से हटाकर सचिवालय में पदस्थ करने पर चर्चा का दौर चल रहा है। बताते हैं कि प्रदेश के कुछ जिलों में प्रमोटी आई ए. एस, आई.पी. एस, की पदस्थापना बतौर कलेक्टर तथा एसपी की जा सकती है। वैसे भी सीधे आईएएस और आईपीएस को कलेक्टर, एसपी बनाने तथा प्रमोटी अफसरों की उपेक्षा करने का आरोप सरकार पर लगता भी रहा है। सूत्रों की मानें तो अप्रैल में बड़े प्रशासनिक फेरबदल में एसीएस, पीएस और सचिव स्तर के भी अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं।
नगरनार प्लांट का विनिवेश….और नक्सलवाद
आदिवासी अंचल बस्तर के नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट को विनिवेश करने के केंद्र सरकार के फैसले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विरोध किया है वहीँ छग सरकार द्वारा खरीदने की भी पहल की है हालांकि पूर्व मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पुनर्विचार करने का अनुरोध आपने शासनकाल में किया था हालांकि वे अभी इस मामले में चुप्पी साध लिया हैl डॉ. रमन सिंह ने दलील दी थी कि इस विनिवेश से नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर में प्रतिकूल स्थितियां पैदा हो सकती है। स्थानीय जनमानस भी विनिवेश के खिलाफ है। इस मामले के बाद नक्सलवाद पर काबू करना मुश्किल हो जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी में दावा किया गया है कि पत्र में पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा था कि यदि स्टील प्लांट का विनिवेश किया गया तो बस्तर और दंतेवाड़ा में नक्सल एक्टीविटीज पर कंट्रोल करने का अभियान प्रभावित हो सकता है। पिछले दो-तीन साल से बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। विनिवेश होने से लोगों में असंतोष बढ़ेगा और नक्सली इस असंतोष का फायदा उठा सकते हैं। जैसा कि नक्सली अभी तक करते आ रहे हैं और अंसतोष को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेंगे। पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री ने स्टील प्लांट के विनिवेश के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया था । सूत्रों के अनुसार पत्र में विनिवेश के खिलाफ कई तरह से दलीलें देकर फैसले को वर्तमान परिस्थितियों में अनुकूल नहीं बताते हुए इस पर पुनर्विचार करने कहा था
पत्र में डॉ रमन सिंह ने स्पष्ट किया था कि बस्तर में जनमानस विनिवेश के विरोध में है। लोगों को संदेह है कि स्टील प्लांट के विनिवेश से रोजगार के अवसर प्रभावित होंगे। विकास एवं रोजगार को लेकर निजी कंपनियां सरकारी कंपनी जैसी प्रतिबद्घता नहीं दिखाएंगी। इससे स्टील प्लांट को लेकर बस्तरवासियों की आशा टूटने का खतरा है। सूत्रों के अनुसार पत्र में 2013 में एनएमडीसी के द्वारा स्टील प्लांट के परिचालन के लिए पार्टनर तलाशने ग्लोबल टेंडर जारी करने का भी उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि उस समय ग्लोबल टेंडर के बाद एक भी कंपनी ने एनएमडीसी के साथ स्टील प्लांट में पार्टनर बनने इच्छा नहीं दिखाई दी थी। एनएमडीसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है और इस पर यहां बस्तर में लोगों का विश्वास है। लोग स्टील प्लांट को भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के अधीन ही देखना चाहते हैं।
बताया गया कि पत्र में सिंह ने विनिवेश के मुद्दे परतत्कालीन स्टील मिनिस्टर बीरेन्द्र सिंह के साथ हुई चर्चा का भी हवाला दिया था कहा गया है कि पिछले दिनों स्टील मिनिस्टर से चर्चा में भी राज्य शासन ने एनएमडीसी स्टील प्लांट के विनिवेश के फैसले को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया था। यह भी दावा सामने आने की बात कही जा रही है कि स्टील प्लांट के विनिवेश के केन्द्र सरकार की आर्थिक मामलों की कमेटी के निर्णय से अभी तक छग सरकार को आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया गया है ल
राजिम मेला और कुम्भ…
कुंभ पर्व का हिंदू धर्म के विशेष महत्व है। करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन तथा नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर हर बारहवें साल कुंभ पर्व का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।
इलाहाबाद या प्रयाग में गंगा, जमुना तथा सरस्वती नदी का संगम है पर वहां सरस्वती नदी लुप्त है, वहीं छत्तीसगढ़ के राजिम में भी तीन नदियों का जीवंत संगम है। यहां महानदी, पैरी तथा सोढूर नदियों का मिलन होता है। वैसे इस संगम की पवित्रता इस बात का प्रमाण है कि काफी समय से कई लोग इस संगम में अपने बड़े बुजुर्गों की अस्थियों का भी विसर्जन करते हैं। मान्यता है कि इस संगम में शंकर परिवार का वास है। जानकार कहते हैं कि महानदी को महादेव से जोड़ा जाता है तो पैरी, पार्वती का अपभ्रंश नाम माना जाता है, वहीं सोढूर यानि जिनकी सूढ़ हो (गणेशजी) इस तरह नदियों की पवित्रता, संगम को भगवान शंकर के परिवार से भी जोड़ा जाता हैl
और अब बस
0 मुख्य मंत्री के सचिवालय में दो अफसर एक -दूसरे के आमने सामने आ गये हैँ l
0 बस्तर में आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी को लगता था कि उनका बस्तर में विकल्प नहीं है है। अब डीआईजी सुंदरराज विकल्प बनकर उभर रहे हैँ