शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
बीजू (बिजयानंद) पटनायक (1916 – 1997) भारत के एकमात्र व्यक्ति हैं जिनकी मृत्यु पर उनके शरीर को तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था। भारत, रूस और इंडोनेशिया….। बीजू 2 बार ओडिशा के मुख्यमंत्री भी रहे.,केंद्रीय मंत्री भी रहे.बीजू पटनायक एक पायलट थे, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में था, तो उन्होंने डकोटा लड़ाकू विमान उड़ाकर हिटलर की सेना पर बमबारी की थी । उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया गया और उन्हें सोवियत संघ द्वारा मानद नागरिकता प्रदान की गई थी । जब कवड़ियों ने कश्मीर पर हमला किया, तो वह बीजू पटनायक ही थे जिन्होंने 27 अक्टूबर 1947 को एक विमान उड़ाकर और सैनिकों को श्रीनगर ले जाकर दिल्ली से श्रीनगर तक एक दिन में कई यात्राएँ कीं। इंडोनेशिया कभी डच यानि हॉलैंड का उपनिवेश था और डचों ने इंडोनेशिया के एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। डच सैनिकों ने इंडोनेशिया के आसपास के पूरे समुद्र को अपने नियंत्रण में रखा और उन्होंने किसी भी इंडोनेशियाई नागरिक को बाहर नहीं जाने दिया। 1945 में इंडोनेशिया को डचों से मुक्त कराया गया और फिर जुलाई 1947 में प्रधान मंत्री सुतन सजहिर को डचों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने भारत से मदद मांगी। तब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बीजू पटनायक को तत्कालीन इंडोनेशियाई पीएम सजहिर को भारत लाने के लिए कहा था। 22 जुलाई 1947 को बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ज्ञान (पायलेट का लायसेंस प्राप्त )ने अपनी जान की परवाह किए बिना डकोटा विमान से डचों के नियंत्रण क्षेत्र में उड़ान भरते हुए वहां उतरे और बड़ी बहादुरी दिखाते हुए इंडोनेशिया के प्रधान मंत्री को भारत लेकर आए थे और बाद में इंडोनेशिया पूरी तरह से स्वतंत्र देश बन गया। जब इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को नवागंतुक का नामकरण करने बुलाया था । तब बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की बेटी का नाम मेघावती रखा। इंडोनेशिया ने 1950 में बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को अपने देश का मानद नागरिकता पुरस्कार ‘भूमि पुत्र’ प्रदान किया था। बाद में उन्हें स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में इंडोनेशिया के सर्वोच्च मानद पुरस्कार ‘बिंटांग जस उत्तम’ से सम्मानित किया गया। बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद, इंडोनेशिया में सात दिनों का राजकीय शोक मनाया गया और रूस में एक दिन का राजकीय शोक मनाया गया और सभी झंडे उतारे गए…..यहाँ यह बताना जरुरी है कि बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक 2000 से ओडिसा के अभी तक सीएम हैँ.
केवल राज्य सभा में जाना बचा है….
छ्ग की वर्तमान कांग्रेस में वरिष्ठता और अनुभव आदि के हिसाब से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत का भी कद काफी बड़ा है.उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत लोकसभा सदस्य है l चरणदास के पिता बिसाहू दास महंत अविभाजित म.प्र. में कई बार मंत्री रहे, आपातकाल में 1977 के चुनाव में भी विधायक बने तथा कांग्रेस के उस दुर्दिन में भी म.प्र. कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बने। डॉ. चरणदास महंत 26 जनवरी 1980 के पहले नायब तहसीलदार बन चुके थे तभी उनकी ज्योत्सना से सगाई हो गई। दरअसल भोपाल में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही चरणदास, ज्योत्सना के संपर्क में आए और एक तरह से दोनों का प्रेम विवाह ही हुआ यह बात और है कि घर वालों की सहमति भी मिल गई थीं.मप्र के तत्कालीन सीएम अर्जुनसिंह तथा पूरा मंत्रिमंडल इनके विवाह का गवाह बना था.पिता की अचानक मृत्यु के बाद भी राजनीति में उतरने डॉ चरणदास तैयार नहीं थे पर उन्हें अर्जुन सिंह, ने एक तरह से उन पर भावनात्मक दबाव बनाया कि “आखिर उनके पिता के कामों को आगे कौन बढाएगा….?”दबाव के कारण 1980 का विस चुनाव लडऩा पड़ा और वे विधायक बन गये। ज्योत्सना महंत (श्रीमती चरणदास) का कहना है कि उनकी सगाई नायब तहसीलदार महंत से हुई थी पर विवाह विधायक महंत से हुआ? अर्जुन सिंह को राजनीतिक गुरु मानने वाले डॉ. चरणदास ने म.प्र. में गृह, वाणिज्यकर, कृषि, जनसंपर्क मंत्री का पद भी सम्हाल चुके हैं, डॉ महंत,छ्ग की वर्तमान राज्य पाल सुश्री अनसुया उइके के साथ अर्जुनसिंह मंत्री मण्डल में राज्य मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैँ. डॉ महंत 98,99 तथा 2009 में लोकसभा सदस्य बने तथा डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री का पद भी सम्हाला। वैसे पिता मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैँ और उन्ही की तरह डॉ महंत 2006 में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद भी सम्हाला, पोर्टफोलियो के हिसाब से डॉ. चरणदास महंत वर्तमान में छग कांग्रेस के भारी नेता है। उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत डॉ चरण के चुनावों में प्रचार में शामिल होती थी पर कोरबा लोकसभा से पहली बार निर्वाचित भी हुई हैँ जबकि पिछले चुनाव में मोदी और हिंदुत्व की बड़ी लहर चली थीं. डॉ चरणदास महंत मप्र की विधानसभा के कई बार सदस्य,कई विभागों के मंत्री, लोकसभा सदस्य, मनमोहन मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री रहे तथा वर्तमान में छ्ग विधानसभा के अध्यक्ष हैँ, वे अपनी राजनितिक पारी में केवल राज्य सभा सदस्य ही नहीं बन सके हैँ….?
राजनीति और पाठ्यक्रम….
छत्तीसगढ़ की राजनीति में सीएम भूपेश बघेल,डॉ. रमन सिंह के बाद एक नाम चर्चा में हमेशा रहता है वह है बृजमोहन अग्रवाल का….। छात्र राजनीति से अविभाजित म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ की राजनीति में उन्होंने अपनी अच्छी खासी जगह बनाई है। म.प्र. में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके स्व. पंडित श्यामाचरण शुक्ल ने कांग्रेसियों को नसीहत दी थी कि यदि राजनीति करनी है, चुनाव लडऩा है तो जाओ बृजमोहन अग्रवाल से राजनीति सीखो…..। आम जनता से कैसे रिश्ता बनाया जाता है और उसे कैसे निभाया जाता है…? वैसे बृजमोहन के भाजपा ही नहीं कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके मधुर रिश्ते है तो पत्रकारों से भी उनके संबंधों को लेकर कुछ राजनेताओं को भी उनसे जलन होना स्वाभाविक है। नये छत्तीसगढ़ के गठन के समय जब बृजमोहन का पार्टी से निलंबन हुआ था तब म.प्र. के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि बृजमोहन की विधानसभा में अनुपस्थिति कल्पना के बाहर है…. वे म.प्र. विधानसभा में सक्रिय विधायकों में एक रहे हैं।
बहरहाल बृजमोहन अग्रवाल के मित्र तथा तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री भाई प्रेमप्रकाश पांडे ने छत्तीसगढ़ में जनता के बीच से “नेता ” बनाने की दिशा में एक पहल शुरु की थी । भाई पांडेजी के निर्देश पर तब प्रदेश की जनता को राजनीति की प्रमुखता के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी नेतृत्व को उभारने के लिए शिक्षण संस्थान खोलने की तैयारी की जा रही थीं….। तब यह चर्चा थी कि कुछ समय बाद प्रदेश में छात्र ‘बैचलर ऑफ नेतागिरी’, ‘मास्टर ऑफ नेतागिरी’ ‘ बैचलर ऑफ लीडरशिप’, ‘मास्टर ऑफ लीडरशिप’ ‘बैचलर ऑफ पॉलिटिक्स’ आदि की उपाधि लेंगे और उनमें से कई राजनीति में भी उतरेंगे। वैसे कोर्स कैसा होगा इसको लेकर भी उत्सुकता थी ।पर भाई पांडे का उच्च शिक्षा मंत्री पद गया और उनकी योजना फाईलों में खो गईं…. खैर राजनीति में एक वाकया काफी चर्चा में रहता है। एक बेटे ने अपने राजनीतिक पिता से कहा कि राजनीति सीखना है? पिता ने उसे छत पर चढ़ाया और कहा कि नीचे कूदो, मैं थाम लूंगा। बेटा जब कूदा तो बाप दूर हो गया और बेटे को गिरने के बाद चोट लगी…तब पिता ने कहा कि राजनीति का पहला सबक यही है कि किसी पर भरोसा मत करो अपने बाप पर भी नहीं….?
खैर यदि भविष्य में राजनीति की कक्षाएं शुरू होती हैँ तो एक्सपर्ट के रूप में डॉ. रमनसिंह, भूपेश बघेल,बृजमोहन अग्रवाल, टी एस सिंहदेव, प्रेमप्रकाश पांडे, चंद्रशेखर साहू, रामविचार नेताम आदि को तो बुलाया ही जा सकता है…..।
भात, अचार और मंत्री….
छ्ग सरकार में शामिल एक मंत्री का “धान तिहार” में एक जिले के गांव का दौरा और कलेक्टर का भोजन का इंतजाम चर्चा में है. मंत्री तथा उनके बड़बोले सहायक ज़ब भोजन करने पहुंचे तो पता चला कि केवल भात ही बना है. भूख जोर से लगी थी इसलिए भात, अचार के साथ ही किसी तरह गले से नीचे उतरा गया… पर मंत्री ने उस जिले के कलेक्टर को भी साथ में भात, अचार भी खिलाया…. मंत्री तो इस छत्तीसगढ़िया व्यवस्था पर खामोश रहे पर सहायक ने भात, अचार से स्वागत करने वाले अफसर पर कार्यवाही के लिए दबाव बनाया है…..?
और अब बस…
0 तीन कृषि क़ानून की वापसी हो गईं है, राष्ट्रपति के भी हस्ताक्षर हो गए हैँ.
0 किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई इसकी जानकारी केंद्र सरकार के पास नहीं है संसद में यह जवाब आया है….?
0 छ्ग भाजपा की प्रभारी डी. पूरेंदेश्वरी क्या खांटी नेताओं के बीच गुटबाजी खत्म कर पाएगी….
0एक बड़े पुलिस अफसर के खिलाफ यह क्यों कहा जा रहा है कि 3 सालों में उन्होंने केवल रिश्ते बिगाड़े ही हैँ….?