सजा तो बहुत दी है जिंदगी ने मगर….. दुख इस बात का है कि कसूर नहीं बताया…..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

केंद्र की मोदी सरकार को पता नहीं क्यों बुजुर्गों से क्या चिढ है…….? अपनी ही पार्टी के लालकृष्ण आड वाणी, मुरलीमनोहर जोशी को 75 साल का होने पर राजनीति से रिटायर कर मार्गदर्शन मण्डल में भेजा, अब पीएम मोदी सितम्बर 25 में 75 के हो जाएंगे..? खैर करोना के समय से बुजुर्गोँ को रेल्वे रियायत समाप्त कर दी गई,सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई)के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने बताया कि भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतें वापस लेकर पांच वर्षों में लगभग 8,913 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व कमाया है।संसद में कईबार वरिष्ठ नागरिकों के ट्रेन टिकटों पर रियायत बहाल करने का सवाल उठायागया है, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहते हैं कि रेलवे पहले से हर यात्री को औसतन 46% की रियायत देती है।ज्ञात हो 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष, ट्रांसजेंडर तथा 58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को 20 मार्च 2020 से पहले सभी वर्गों के ट्रेन टिकटों पर क्रमशः 40% और 50% की छूट मिलती थी। कोविड महा मारी की शुरुआत के बाद रेल मंत्रालय ने इस छूट को वापस ले लिया था।

अब ‘फ्री सेम्पल’ दवाइयों
पर भी टैक्स…..                       

अब जब आप डॉक्‍टर के पास जाएं तो संभव है कि उनके टेबल पर सैंपलवाली दवाएं न दिखें…? ऐसा इस लिये क्‍योंक‍ि सरकार नेअब दवा कंपनियों पर नकेल कसी है,दवा कंपनियों को प्राइवेट डॉक्‍टरों को दी जाने वाले सैंपलदवाओं पर टैक्‍स देना होगा,वहीं किसी भी तरह के उपहार,ट्रिप,कैश वाउचर परटीडीएस कटेगा।असल में अब कंपनियों की ओर से दी जाने वाली फ्री सैंपल दवाओं या उपहार पर टैक्स फ्री लिमिट लागू हो गई है, इसी को लेकर दवा कंपनियों ने वित्त मंत्रा लय से गुहार लगाई है,दवा कंपनियों ने वित्त मंत्रालय से मांग की है कि सरकार फ्री सैंपल,टीडीएस मुक्त करे।दरअसल इस साल बजट में सेक्शन 194 R का प्रावधान किया था,ये कहा गया था कि 20 हजार से अधिक कैश या कैश के अलावा कोई कूपन, गिफ्ट आदि किसी भी बिजनेस चलानेवाले या प्रोफेशनल को दिया गया तो उस पर 10% टैक्स काटना होगा, दवा कंपनियों की दलील है कि फ्री सैंपल के लिए सीमा काफी कम है, कई बार एक ही कंपनी की अलग-अलग दवाएं होती हैं वो डॉक्टर्स को देते हैं, डॉक्टर अक्सर फ्री सैंपल की दवाएं उन्हें देते हैं जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं इनमें भी अधिकांश बुजुर्ग मरीज होते हैं।

75 साल का क्राइटेरिया
संविधान में नहीं ,पार्टी
ने नियम बनाया… 

छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के वरिष्ठ पूर्व सांसदों में गिने जाने वाले,पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री,3 राज्यों में राज्यपाल रहे रमेश बैस का मानना है कि सांसद-विधायक का टिकट इसकी अपेक्षा अब नहीं है,जहाँ तक 75 साल का क्राइटेरिया संविधान में नहीं है केवल पार्टी नेअपना नियम बनाया है। उन्होंने साय मंत्रिमंडल का विस्तार जल्दी होने सहित शराब पर राज्य सरकार को सोचनेकी भी सलाह दी है,राज्यपाल का कार्यकाल पूरा करने के बाद वे वापस छग आ गए हैं।आते ही पार्टी ज्वाइन किया है। संगठन मंत्री व प्रभारी को उन्होंने कहा है कि,पार्टी उनका पूराउपयोग कर सकती है। उनके पास अब पूरा समय है।पार्टी,जो भी जवाबदारी देगी,उसके लिए तैयार हैं।साय मंत्रि मंडल के विस्तार पर हो रही देरी को लेकर कहा, मंत्रि मंडल का विस्तार जल्दी करना चाहिए। डेढ़ साल सेअधिक का समय हो गया है,उन्होंने प्रदेश में शराब बंदी के सवाल पर कहा कि, शराब के बारे में छ्ग सरकार को सोचना चाहिए और कंट्रोल करना चाहिए। सर्वे में भी सामने आया है कि देश में सबसे अधिक कहीं शराब की खपत होती है तो वो छत्तीसगढ़ है। यह चिंता का विषय है।आने वाली पीढ़ी को देखते हुए सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए।

सुको का फैसला और छ्ग
राजभवन पर असर की चर्चा…   

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विधानसभा से पारित विधे यकों को राज्यपाल द्वारा लंबे समय तक रोके रखने को लेकर दिये गये फैसले का असर अब छत्तीसगढ़ की राजनीति पर भी पड़ सकता है? सुको ने तमिल नाडु के राज्यपाल आरएन रवि को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि राजनीतिक कारणों से विधेयकों को लंबित रखना संविधान सम्मत नहीं है।इसी फैसले को लेकर छत्तीसगढ़ की बात करें तो पिछले पांच विधानसभा कार्यकालों से पारित करीब 9 विधेयक आज राजभवन-राष्ट्रपति भवन में लंबित हैं,इनमें कई विधेयक राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण, विवादा स्पद रहे हैं। प्रमुख लंबित विधेयकों में जोगी शासन काल का धर्म स्वातंत्र्य विधे यक,फिर रमन केकार्यकाल में रामविचार नेताम द्वारा प्रस्तुत धर्म स्वातंत्र्य विधे यक,राष्ट्रपति भवन मेंलंबित हैं। बघेल सरकार के शैक्ष णिक संस्थाओं,नौकरियों में ओबीसी,अजा आरक्षण विधेयक,केंद्रीय कृषिकानून से संबंधित राज्य के अनु रूप पारित 3 संशोधन विधे यक, कुलपति नियुक्ति में राज्यपाल के अधिकारों में कटौती से संबंधित संशो धन विधेयक और निक्षेपों के हितों के संरक्षण संशो धन (चिटफंड कंपनी) विधे यक शामिल हैं,सबसेचर्चित और कांग्रेस भाजपा, राज भवन के बीच तनातनी खड़े करने वाले विधेयकों में आर क्षण,कुलाधिपति के अधि कार कटौती के विधेयक रहे।आरक्षण विधेयक को अनुसुइया उइके के समय से अब तक रोका गया है।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह पूरी संभावना है कि छग के राज्यपाल अब इन विधेयकों को या तो विधानसभा को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं या फिर उन पर अंतिम निर्णय लेंगे,यदि विधेयक वापस लौटाए जाते हैं, तो राज्य सरकार संशोधित रूप में फिर से पारित कर भेज सकती है…!

और अब बस……..

0 छ्ग में एक आईएफएस अशोक पटेल की भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी की जमकर चर्चा है…!
0 रायपुर पुलिस ने आईपी एल क्रिकेट मैच के लिये महादेव ऐप के जरिये ऑन लाइन सट्टा संचालित करने के आरोप में दो राज्यों में छापेमारी कर 14 लोगों को गिरफ्तार किया है।
0छग विशेष जन सुरक्षा अधिनियम के तहत कम्यु निस्ट पार्टी ऑफ इंडिया माओवादी, उससे जुड़े 6 संगठनों पर लगेप्रति बंध की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।
0छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड की करीब 400 संप त्तियों पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया हैइनमें से 78 संपत्तियां तो रायपुर जिले की हैं।

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