बढ़े चलिये,अंधेरों में ज्यादा दम नहीं होता.. निगाहों का उजाला भी दियों से कम नहीं होता..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )       

छ्ग के खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में जीत से कांग्रेस, भाजपा को दलगत तो कोई लाभ नहीं होगा पर इसे आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर लड़ा जा रहा है…..इधर कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हुए तीन उप चुनावों में भारी अंतर से जीत चुकी है। चित्रकोट, दंतेवाड़ा और मरवाही विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस लगातार जीती है। ऐसे में सरकार खासकर मुख्यमंत्री पर लगातार चौथी जीत का दबाव भी है। अगर ऐसा होता है 2023 के विस आम चुनाव में कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में होगी। सरकार के सामने यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि कोई सत्ता विरोधी लहर शुरू हुई भी है या नहीं…..।यह चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राष्ट्रीय राजनीति में दावेदारी अधिक मजबूत हो सकती है। इधर पूर्व सीएम, राजनांदगांव क़े सांसद रह चुके डॉ रमन सिंह क़े लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है, राजनांदगांव से ही वे स्वयं तथा उनके बेटे अभिषेक सिंह भी सांसद रह चुके हैं।इधर भाजपा को उम्मीद है कि खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में पांच राज्याें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के विधानसभा चुनाव के परिणाम भी असर दिखाएंगे। इनमें से चार राज्यों में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है वहीं कांग्रेस से पंजाब छिन गया है। इधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां दूसरे राज्यों से अलग है। यहां उन चुनावों का कोई असर नहीं दिखने वाला है।छ्ग कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में उनकी पार्टी क़ी प्रत्याशी यशोदा वर्मा क़े विजयी होने क़े 24घंटे क़े भीतर ही नया जिला बनाने सहित पर्यटन, शिक्षा, रोजगारऔर स्वास्थ्य के कई मुद्दों को शामिल करके डॉ रमन सिंह सरकार क़े 15 सालों कार्यकाल पर भी यहां की अनदेखी का सीधा आरोप लगा दिया है।2018 में हुए विस चुनाव में जोगी कांग्रेस छत्तीसगढ़ के देवव्रत सिंह ने इस सीट पर भाजपा के कोमल जंघेल को केवल 870 वोटों के अंतर से हराया था। कॉंग्रेस तीसरे स्थान पर थी।नवम्बर 2021 में देवव्रत सिंह का निधन हो गया। इसके बाद से यह सीट खाली है। 2013 में कांग्रेस के गिरवर जंघेल यहां से विधायक थे। 2007 के उपचुनाव और 2008 के आम चुनाव में भाजपा के कोमल जंघेल ने यह सीट जीती। इससे पहले कांग्रेस के देवव्रत सिंह यहां से विधायक हुआ करते थे।पिछले चुनाव में जोगी कांग्रेस से देवव्रत सिंह विजयी हुए थे पर उस समय जोगी कांग्रेस क़े सुप्रीमो अजीत जोगी भी जीवित थे।उन्होंने डॉ रमन सिँह क़े छ्ग क़े कार्यकाल में राजनांदगांव लोस उप चुनाव में कॉंग्रेस क़े देवव्रत सिंह को जीत दिलाई थी। वैसे खैरागढ़ विस को कांग्रेस और महल का गढ़ माना जाता है.खैरागढ़ से रानी रश्मीदेवी 4 बार विधायक बनी वे देवव्रत की मां थी बाद में देवव्रत भी विधायक बनते रहे। पिछले विस चुनाव में वे जोगी कांग्रेस से विधायक बने देवव्रत हालांकि बाद में कॉंग्रेस में आना चाहते थे पर तकनीकी कारणों से संभव नहीं हो सका….. दादा-दादी वीरेंद्र बहादुर सिँह, रानी पदमावती भी सांसद, विधायक रहे तो बड़े पिता शिवेंद्र बहादुर सांसद बनते रहे ।बड़ी मम्मी गीता देवी भी विधायक, मंत्री रह चुकी हैँ।खैरागढ़ विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस ने यशोदा वर्मा लोधी को प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा से लोधी समाज से ही पूर्व विधायक कोमल जंघेल को टिकट दिया है जोगी कांग्रेस ने महल क़े दामाद नरेंद्र सोनी पर दांव लगाया है।

धारा 370,नेहरू, पटेल
और आडवाणी की किताब….   

फ़िल्म “कश्मीर फाइल्स” के शोर क़े बीच भाजपा क़े वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी आखिर कश्मीर के मुद्दे पर क्या सोचते हैं….? अपनी आत्मकथा में उन्होंने कश्मीर के बारे में जो लिखा वह भाजपा के आजकल के विचार से उलट है। धारा 370 को हटाते समय संसद में भाजपा सरकार के मंत्रियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को इसके लिए जिम्मेदार बताया था। लेकिन आडवाणी ने अपनी आत्मकथा ‘माय कंट्री माय लाइफ’ में लिखा है कि धारा 370 संविधान सभा में जिस दिन पास हुई तब पंडित नेहरू विदेश में थे…।आडवाणी ने इस घटनाक्रम का लंबा वर्णन किया कि किस तरह पूरी कांग्रेस पार्टी धारा 370 के खिलाफ थी? सरदार पटेल ने कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई। इस बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ। मौलाना आजाद सहित कोई भी नेता कांग्रेसियों को धारा 370 पर समझा नहीं सका।अंत में सरदार वल्लभभाई पटेल ने धारा 370 के व्यावहारिक पहलू और अंतरराष्ट्रीय जटिलताओं को समझाया। अंततः कांग्रेस पार्टी सरदार वल्लभभाई पटेल की इच्छा के सामने झुक गई और धारा 370 जब संविधान सभा में पेश हुई तो लगभग बिना बहस के पारित हो गई।आडवाणी ने यह भी लिखा कि जब सरदार से पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते थे कि कोई कहे कि नेहरूजी की अनुपस्थिति में उन्होंने पंडितजी का साथ नहीं दिया….। बाद में सरदार के निजी सचिव वी शंकर ने धारा 370 को सरदार पटेल की उपलब्धि बताया।इस तरह आडवाणी दो बातें साफ करते हैं। धारा 370 सरदार पटेल ने पास कराई थी । दूसरी बात है कि पंडित नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के रिश्ते बहुत गहरे थे और नेहरुजी की प्रतिष्ठा और जिम्मेदारी को सरदार अपनी प्रतिष्ठा और जिम्मेदारी मानते थे।

पहली बार विधानसभा में
छत्तीसगढ़िया सचिव…    

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहली बार छत्तीसगढ़िया सचिव क़े रूप में दिनेश शर्मा 4अप्रेल को विधिवत कार्यभार सम्हाल लेंगे। प्रमुख सचिव चंद्रशेखर गंगरारे क़े सेवानिवृत होने क़े बाद वरिष्ठता क़े आधार पर दिनेश शर्मा विधानसभा क़े प्रमुख की जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैँ। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढी भाषा के पुरोधा एवं वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में ख्यातिलब्ध डॉ पालेश्वर प्रसाद शर्मा के पौत्र व बिलासपुर के संभागायुक्त कार्यालय में अधीक्षक के पद पर कार्यरत रहे स्व. कृष्ण कुमार शर्मा के पुत्र दिनेश शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर के बाद उच्च शिक्षा हेतु बरकतउल्ला विश्व विद्यालय भोपाल से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद वर्ष 1987 से मध्य प्रदेश विधानसभा में राजपत्रित सेवा श्रेणी 2 के अधिकारी के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं प्रारंभ की। बिलासपुर व जांजगीर चांपा के मूल निवासी होने के कारण राज्य विभाजन के पश्चात उनकी सेवाएं छत्तीसगढ़ विधानसभा को सौंपी गई। जो अब छग विधानसभा में सचिव के पद पर पदस्थ हुए हैं।

शंकर भगवान, पेशी में
कोर्ट पहुंचे ……       

इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि भगवान को पेशी के लिए आना पड़ा हो….। पर वह जब आए तो उनसे मिलने की हिम्मत किसीअधिकारी में नहीं हुई, जिसे जहां से मौका मिला वह भाग खड़ा हुआ।एसयूवी कार में आए नायब तहसीलदार को किसी दूसरे की मोपेड में भागते हुए कई लोगों ने देखा। तहसील कार्यालय में जो लोग आए थे वह पेशी के लिए बैठे भगवान शिवजी (शिवलिंग) को प्रणाम करके जाने लगे। कुछ ने अगरबत्ती भी जलाकर भगवान से आशीर्वाद लिया। कोर्ट के बाहर किसी ने चुपके से अगली पेशी की तारीख 13 अप्रैल वाली नोटिस चिपका दी। भगवान शिव को एक रिक्शे में बैठाकर वापस कौहाकुंडा उनके मंदिर ले जाया गया। उनके साथ जो लोग आए थे बोले कि 13अप्रेल को फिर बुलाया है तो फिर भगवान को लेकर आएंगे।अवैध कब्जा को लेकर रायगढ़ के नायब तहसीलदार विक्रांत राठौर ने 10 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। जारी किए गए नोटिस में छठवें नंबर पर भगवान शिव का भी नाम था। भगवान शिव को भी चेतावनी दी गई थी कि वे 25 मार्च को न्यायालय में उपस्थित हो, अन्यथा उनके खिलाफ 10000 रु जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। वही कब्जा किये गए भूमि से बेदखल किया जाएगा। नोटिस जारी होने के बाद भगवान शिव की प्रतिमा को कौहाकुंडा स्थित मंदिर से निकलवा कर एक रिक्शे में रखा गया। रिक्शे में रखने के बाद शहर की सड़कों से होते हुए तहसील कार्यालय लाया गया था….।

और अब बस…

0बिलासपुर क़े छत्तीसगढ़ भवन क़े कमरों में कांग्रेस, भाजपा क़े किन नेताओं क़े निजी स्टॉफ ने कब्जा जमा रखा है।
0खैरागढ़ विस उप चुनाव में भाजपा क्यों बाहरी नेताओं को बुलाकर प्रचार कराने मजबूर है।
0कौन सा निगम अध्यक्ष, मंत्री पर भारी पड़ने का प्रयास कर रहा है।
0बिलासपुर संभाग क़े किस जिले क़े एसपी आजकल एक बड़े सटोरिये पर मेहरबान हैं?( 1अप्रेल 2022)

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