कुल्हाड़ीघाट,कमार जनजाति और राजीव-सोनिया की यात्रा..

{किश्त 88}

गिरी या पर्वत से घिरे होने के कारण नाम गरियाबंद पड़ा ,पहले उसका नाम गिरिबंद था।मान्यता है कि जगन्नाथ पुरी में भोग लगाने के लिए चांवल इसी जिले के देवभोग से भेजा जाता था।बहरहाल आदिवासी बाहुल्य इस जिले में विशेष जनजाति ‘कमार’ का भी निवास है।वरिष्ठ पत्रकार राजनारायण मिश्रा की एक रिपोर्ट ‘अनजाने गांव की पहली पहचान’ पर तब के पीएम राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया के साथजिले के कुल्हाड़ीघाट(मैनपुर से 17 किमी दूर)आकर,कमार जनजातियों के लोगों से रूबरू हुए थे तब उन्हें तेंदू फल खिलाने वाली बोल्दी बाई भी अब नहीं रही..।कमारों के हालात में अभी अपेक्षित सुधार नहीं आया। राजीव-सोनिया को तेंदू खिलाने वाली बोल्दीबाई का कच्चा मकान आज भी है अब उसके नाती पोते ही बचे हैँ…. पीएम नरेन्द्र मोदी पत्रकारों से चर्चा करने से परहेज करते हैं,पत्रकार वार्ता भी नहीं लेते हैं वहीं एक वह भी दौर था जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद विमान उड़ानेवाले,पेशे से पायलेट राजीव गांधी ने देश के सबसे युवा पीएम के रूप में कार्यभार सम्हाला था तब उन्होंने छत्तीसगढ़ (मप्र का हिस्सा) रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार की एक रपट पर कमारों केजनजीवन का अध्ययन करने आदिवासी अंचल कुल्हाड़ीघाट की सपत्निक यात्रा की थी।तब अविभाजित मप्र के सीएम स्व.मोतीलाल वोरा थे और छग से मंत्री स्व.प्रो. रणवीर सिंह शास्त्री थे,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व.विद्याचरण शुक्ल ने रणवीर शास्त्री का राजीव से परिचय कराया था।राजीव ने चलते-चलते एक जगह हाथ लगाया था तो उनकी ऊंगली में गीला पेंट लग गया था…उन्होंने कहा था कि लीपा-पोती नहीं चलेगी,इनका जीवन सुधारने ठोस काम होना चाहिये ..।राजीव गांधी की कुल्हाड़ीघाट तथा दुगली (अब धमतरी जिला) की यात्रा 17 जुलाई 1985 को की थी।(मै भी कुल्हाड़ीघाट में उस समय बतौर रिपोर्टर मौजूद था)कुल्हाड़ीघाट, दुगली आने की पीएमओ से रायपुर कलेक्टर को खबर मिली,खोजबीन शुरू हुई ये गांव है कहां?तब गरियाबंद और धमतरी रायपुर जिले के अंतर्गत आते थे,पत्रकार राजनारायण मिश्र उर्फ ‘दा’ की ग्रामीण रिपोर्ट ‘में घाट की तस्वीर प्रस्तुत की गई थी।शासन की कुसंगति कमार जनजाति के जीवन स्तर पर आइना ही दिखाया गया था। वैसे रिपोर्ट1979 में प्रकाशित हुई थी तब जनतापार्टी की सरकार थी।रिपोर्ट में था कि नसबंदी आपरेशनके दौरान तहसील दारआये थे।वहां के लोग न तो एमएलए को जानते थे न ही मंत्री को..!तब वहाँ के लोगों ने बताया था,नागर बैैल छाप (जनतापार्टी का चुनाव चिन्ह)पर वोट देने पर उन्हें,’नागरबैल’मिलेगा इसी भ्रम में मतदान किया था। शिक्षा,खेती किसानी, रहवास की समस्या,स्वास्थ्य व्यवस्था पर तीखे कटाक्ष रिपोर्ट में किये गये थे।बाद में जनतापार्टी का विघटन हो गया,केंद्र,मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी,राजीव गांधी पीएम बने,वोरा मप्र के सीएम बने थे।उस समय राजीव के निजीसचिव डीपी त्रिपाठी थे।वे रायपुर जिले सहित राजनारायण मिश्र से अच्छे से परिचित थे।उन्होंने मिश्र की ‘कमार’ जनजाति बाहुल्य कुल्हाड़ी घाट की रिपोर्ट पीएम तक पहुंचाई, उसी के बाद राजीव-सोनिया के साथ कुल्हाड़ीघाट के दौरे पर आये थे।उन्होंने गांव की दशा सुधारने से लेकर कमार जनजातियों की सुरक्षा के लिए भी कई निर्देश दिये थे।राजीव के प्रवास के 3 महीने बाद राजनारायण मिश्र ने फिर कुल्हीघाट की यात्रा की तथा ‘राजीव के आने से उपजे सपनों का क्या होगा’ के शीर्षक से फिर रिपोर्ट तैयार की थी।छ्ग राज्य बना 3 साल अजीत जोगी मुख्यमंत्री रहे (जोगी तो रायपुर कलेक्टर भी रहे जब गरियाबंद क्षेत्र रायपुर जिले के अधीन था)बाद में 15 साल डॉ. रमनसिंह की भाजपा सरकार रही पर कमार जनजाति का अपेक्षा कृत विकास नहीं हो सका.. हां भाजपा की ज़ब छ्ग में सरकार थी,छ्ग से रास सदस्य मोहसिना किदवई ने राजीव-सोनिया की यात्रा के 29 साल बाद कुल्हाड़ी घाट को गोद भी लिया पर हालात में अधिक सुधार नहीं आ सका…? बाद में छ्ग में भूपेश के नेतृत्व में कांग्रेस कीसरकार बनी।सोनिया-राहुल कांग्रेस के मुखिया हैँ।भूपेशबघेल,रानी दुर्गावती के एक कार्यक्रम में बोल्दी के साथ मंचसाझा करने वाले थे पर अपरिहार्य कारणवश वे उस कार्यक्रम में नहीं जा सके..!अब बोल्दी भी नहीं रही,वह झोपड़ी जरूर है,जहांशबरी की तर्ज पर राजीव-सोनिया को छग का प्रमुख फल तेंदू खिलाया गया था…,बेटे की बीमारी से मौत हुई, फिर बाद में बोल्दी की भी मौत हो गईं.. उसकी विधवा बहु, बच्चों के साथ एक झोपडी में रह रही है।

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