जनसंपर्क आयुक्त मयंक श्रीवास्तव व कुलपति केजी सुरेश के मुख्यातिथ्य में नारद जयंती पर पत्रकार सम्मान आयोजित

– रचनात्मक डिजिटल मीडिया के लिए बड़ी संभावनाएं लेकिन इससे उपजी चुनौतियों से निपटने कारगर कदम उठाने भी जरूरी: के.जी. सुरेश                                          – नारद ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे, वे रामायण और महाभारत जैसी रचना के प्रेरणास्त्रोत भी थे : मयंक श्रीवास्तव 

नारद जयंती पर संस्कृति भवन आडिटोरियम में हुआ आयोजन, मुख्य वक्ता माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति के.जी. सुरेश ने दिया संबोधन, पत्रकारों को किया गया सम्मानित

रायपुर।  पूरा विश्व पैंडेमिक की तरह इंफोडेमिक से भी जूझ रहा है। कई बार डिजिटल मीडिया के माध्यम से त्रुटिपूर्ण सूचनाएं, गलत तथ्यों को लेकर फैलाई जा रही सूचनाएं और तोड़ मरोड़ कर पेश की जाने वाली सूचनाओं से जो भ्रम फैलता है उससे समाज को काफी नुकसान पहुंचता है। यद्यपि डिजिटल मीडिया में रचनात्मकता के लिए बहुत संभावनाएं हैं। इससे उपजी चुनौतियों से निपटने कारगर कदम उठाये जाएं, राष्ट्रीय मीडिया साक्षरता अभियान चलाएं जाएं ताकि फेक न्यूज आदि से निपटा जा सके तो डिजिटल मीडिया हमारे समाज के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकती है। यह बात नारद जयंती पर आयोजित देवऋषि नारद पत्रकारिता सम्मान के मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति के.जी. सुरेश ने डिजिटल क्रांति के समय पत्रकारिता विषय पर अपने संबोधन में की। इस मौके पर जनसंपर्क विभाग के आयुक्त  मयंक श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर देवर्षि नारद सम्मान से डॉ. अवधेश मिश्र, वरिष्ठ छायाकार भूपेश केशरवानी को स्वर्गीय रमेश नैयर सम्मान एवं वरिष्ठ पत्रकार भोलाराम सिन्हा को स्वर्गीय बबनप्रसाद मिश्र सम्मान से पुरस्कृत किया गया।

श्री सुरेश ने कहा कि जिस तरह वर्ष प्रतिपदा और गुरुपूर्णिमा को आयोजन होते हैं वैसे ही नारद जयंती के दिन भी आयोजन होना चाहिए। जब वर्ष प्रतिपदा कहते हैं तो वैसा ही सात्विक भाव मन में आता है जो न्यू ईयर के विचार में नहीं आता। हमें भारतीय परंपरा के अनुसार नारद जयंती के दिन पत्रकारों के लिए, पत्रकारों हेतु और पत्रकारों द्वारा आयोजन करना चाहिए। उपनिषद में जो निर्भीकता का भाव होता है, वैसा ही भाव देवर्षि नारद हमें सिखाए हैं। पत्रकार की सादगी उनसे सीख सकते हैं। उन्होंने लोककल्याण के लिए सूचना का संचार किया। त्रस्त प्रजा के समाचार देवताओं तक पहुंचाए इसलिए भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि मैं ऋषियों में देवऋषि नारद हूँ।

डिजिटल मीडिया के सकारात्मक पक्षों के बारे में उन्होंने बताया कि पहले मीडिया सूचनाएं देता था, अब न्यू मीडिया फीडबैक भी देता है। मीडिया का लोकतांत्रिकीकरण हो गया है। इसके कारण डिजिटल मीडिया की ताकत बढ़ी है। सोशल मीडिया अब समाज को प्रभावित कर रहा है, दुनिया भर में कई बड़े आंदोलन खड़ा करने में डिजिटल मीडिया ने भूमिका निभाई। लेकिन डिजिटल मीडिया तभी प्रभावी है जब जमीन पर आंदोलन मजबूत हो। डिजिटल मीडिया के नाम पर कोई भी समाचार और विचार परोसा जा रहा है, लेकिन यह पत्रकारिता नहीं है। इस क्षेत्र में अनेक एक्टिविस्ट उतर आए हैं जबकि पत्रकार को फैक्टिविस्ट होना चाहिए, तथ्यों के आधार पर पत्रकारिता होना चाहिए। इन्हीं कारणों से डिजिटल मीडिया के नाम पर पत्रकारिता की विश्वसनीयता कम हुई है। पत्रकारिता में स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन स्वच्छंदता नहीं होनी चाहिए। पत्रकारिता में परीक्षण आवश्यक है लेकिन अधिकांशतः डिजिटल मीडिया में कोई परीक्षण नहीं हो रहा है, गलत प्रसारित हो जाने के बाद उसे हटा लेना आसान है इसलिए उसकी विश्वसनीयता अच्छी नहीं होती। डिजिटल मीडिया की सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता है। दूसरी चुनौती फेक समाचारों का है, कहीं का फोटो या वीडियो लेकर कुछ भी समाचार परोसा जा रहा है। सामान्य जनता ऐसे गलत समाचारों पर भी विश्वास करते हैं, इससे समाज गुमराह हो रहा है। ऐसी समाचारों के कारण भारत में पढ़े लिखे लोग भी कोविड का टीका नहीं लगवा रहे थे। यह देश के लिए भी खतरा है। इस फेक न्यूज की पहचान करना जरूरी है। जरूरत है नागरिकों को इस खतरे के प्रति जागरूक करने की है, मीडिया साक्षरता अभियान शुरू करने की आवश्यकता हैं। डिजिटल मीडिया की ताकत का उपयोग करके सकारात्मक और रचनात्मक विषयों को जनता तक पहुंचाने की आवश्यकता है। 

मुख्य अतिथि मयंक श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि नारद ब्रह्मांड के पहले पत्रकार थे, वे रामायण और महाभारत जैसी रचना के प्रेरणास्त्रोत भी थे। भागवत पुराण में देवऋषि नारद के प्रसंग आते हैं, जिससे पता चलता है कि वे कितनी तेजी से सूचनाएं प्रस्तुत करते थे। नारद संवाददाता थे, केवल समस्या नहीं बताते थे बल्कि समस्याओं का समाधान भी देते थे। आयुक्त जनसंपर्क श्रीवास्तव ने बताया कि लोग बहुत जिज्ञासु होते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि संचार के माध्यम उन्हें समग्र तस्वीर से परिचित कराएं। समाज में बहुत कुछ बुरा घट रहा है तो बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। इस सकारात्मकता से परिचित कराना बहुत जरूरी है, जिससे लोगों के मन में आशावादिता विकसित हो, वे बेहतर समाज के निर्माण में जुट पाएं।

संबोधन के बाद अतिथियों को स्मृति चिन्ह आयोजन समिति के संयोजक आर. कृष्णा दास ने दिया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रियंका कौशल ने किया और आभार प्रदर्शन आशुतोष मंडावी ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के प्रचार प्रमुख कैलाशजी, प्रांत के प्रचार प्रमुख संजय तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय, जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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