‘{किश्त 48}
बस्तर के परिदृश्य में प्रदर्शित फिल्म ‘हमारी अधूरी कहानी’ को लेकर बस्तर की एक पुरानी प्राचीन प्रेम कहानी जीवंत हो गई।कोण्डागांव की वादियों में एक सच्ची प्रेम कहानी ‘झिटकू-मिटकी’ की एक अधूरी प्रेम कहानी की चर्चा है। हालांकि इनकी मोहब्बत का दुखद अंत हुआ था पर शिल्पनगरी कोण्डागांव में इनके नाम से शिल्पकला केन्द्र स्थापित किया गया है।बस्तर के अधिकतर हस्तशिल्प में झिटकू-मिटकी की कृतियां आज भी उनके सच्चे प्रेम का संदेश देती है। झिटकू-मिटकी की स्मृति की कलाकृति की अमेरिकी,जापान,स्काटलैंड,हांगकांग सिंगापुर सहित थाईलैंड के संग्रहालयों और दूतावासों समेत भारत के कई राज्यों में बस्तर की पहचान बनाये हुए हैं।किवदंती है कि केश काल के पेण्ड्रावंड गांव में एक गोंड परिवार में सात भाइयों की एक लाडली बहन थी मिटकी….बहन विवाह के बाद उनसे दूर न हो इसके लिए झिटकू का नाम तय किया गया और उसी के घर आदिवासी परंपरा के चलते अपनी बहन मिटकी को लमसेना के रूप में रख दिया।इसी बीच दोनों के बीच एक साथ रहने के कारण प्यार बढ़ गया।दुर्भाग्य से तभी अकाल पड़ा,कहा जाता है कि किसी भाई को सपने में कुलदेवी के अकाल से निपटने किसी नेक इंसान की बलि का रास्ता सुझाया सभी भाईयों ने झिटकू की बलि तलाब में दे दी और बाद में मिटकी ने गमजदा होकर उसी तालाब में डूबकर आत्महत्या कर ली और प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया।खैर बड़े पर्दे की विद्याबालन की फिल्म अधूरी कहानी में सीजी 17 नंबर की बस दिखाई गई है,बस्तर का माईल स्टोन भी दिखाया गया है। यह बात और है कि बस्तर में लिली के फूल के बगीचे में फिल्म के हीरो इमरान हाशमी की अस्थियां फिल्म के अंत में बिखेरते दिखाया गया है जबकि लिली के बगीचे से बस्तर का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। खैर बस्तर का माईल स्टोन दिखाया गया और फिल्म छत्तीसगढ़ में ‘करमुक्त’भी कर दी गई थी।