जम्मू-कश्मीर : घाटी में पहली आर्ट गैलरी स्थापित, 300 साल पुरानी कलाकृतियों की निशुल्क प्रदर्शनी…

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी की पहली आर्ट गैलरी स्थापित कर दी है। नागरिक सचिवालय के रूप में इस्तेमाल में लाए जाते रहे 18वीं सदी के शेरगारी पैलेस को कला और सांस्कृतिक केंद्र में बदला गया है। श्रीनगर में स्थापित आर्ट गैलरी में 300 साल पुरानी कलाकृतियों को रखा गया है। कलाकार भी अपनी कलाकृतियों को यहां प्रदर्शनी के लिए रख सकते हैं।

कश्मीर के कलाकारों के पास अभी तक अपने काम को प्रदर्शित करने के लिए कोई आर्ट गैलरी नहीं थी। अब इस इमारत का उपयोग घाटी में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। घाटी के कलाकार भी दशकों से मांग कर रहे थे कि उनके लिए एक ऐसा मंच बनाया जाए जहां वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें।

स्थानीय कलाकार नौशाद गयूर के कहा कि यह एक अच्छी पहल है, क्योंकि हम इसके लिए काफी समय से संघर्ष कर रहे थे। उम्मीद है कि यह कश्मीर की समकालीन कला को एक नया आयाम देगा। घाटी के लोग कला के साक्षी बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक लोगों को कला के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, कलाकारों के पास अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए कोई प्लेटफार्म नहीं था। अब नई पीढ़ी के कलाकार यहां आएंगे और प्रेरणा लेंगे।

सरकार ने केंद्र सरकार की मदद से तीन साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। शेरगारी पैलेस 1772 में बनाया गया था, जब अफगान गवर्नर जवांशेर खान ने कश्मीर पर शासन किया था। बाद में इसका उपयोग डोगरा शासकों द्वारा किया गया। इसके बाद परिसर को तत्कालीन राज्य विधानसभा और विधान परिषद में बदल दिया गया और इसे प्रशासनिक सचिवालय के रूप में भी इस्तेमाल किया गया।

अभिलेखागार (आर्काइव्ज) विभाग के उपनिदेशक मुश्ताक अहमद बेग ने कहा, हमने पूरे परिसर के लिए लगभग 137 करोड़ की वित्तीय सहायता के लिए भारत सरकार को एक डीपीआर प्रस्तुत की थी। यह जम्मू और कश्मीर में पहला इस प्रकार का परिसर होगा जो सांस्कृतिक केंद्र बन जाएगा जहां हम विभिन्न कलाकृतियों को प्रदर्शित करने जा रहे हैं जो हमें एसपीएस संग्रहालय से प्राप्त हो रही हैं और उन्हें यहां विभिन्न भवनों में प्रदर्शित किया जाएगा।

150 से अधिक पेंटिंग प्रदर्शित…
मुश्ताक अहमद बेग ने कहा कि हमारे पास विभिन्न संस्थानों से पेंटिंग आई हैं। 2019 में शुरू किया गया काम अभी भी जारी है। हमने इसे इसके मूल गौरव में बहाल किया है। इस इमारत में हुए खतमबंद (लकड़ी की नक्काशी) की छत के साथ ही कश्मीर में खतमबंद की शुरुआत हुई थी। इस कला को ‘मौज’ कहा जाता था। उन्होंने कहा कि हमने 150 से अधिक पेंटिंग यहां प्रदर्शित की हैं। कलाकार यहां आ सकते हैं और हम प्रदर्शनियों के लिए जगह मुहैया कराएंगे। यहां एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की आर्ट गैलरी होगी।

प्रवेश निशुल्क…
चूंकि कश्मीर घाटी में कोई आर्ट गैलरी नहीं है इसलिए इस केंद्र को पहले से ही काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिलहाल सोमवार को छोड़कर हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक यहां एंट्री फ्री रखी गई है और कोई भी यहां आ सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। कला से जुड़े लोगों के साथ ही छात्र यहां आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस वर्ष 15 अगस्त को यह गैलरी शुरू की थी और यह वास्तव में अच्छा चल रहा है। यहां के अधिकारियों ने इसके लिए दिन-रात काम किया है। यह कश्मीर की पहली आर्ट गैलरी और संग्रहालय है। सरकार का मानना है कि यह कश्मीर में कला और विरासत का केंद्र बन सकता है।

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