{किश्त 110}
पूर्वराष्ट्रपति,मिसाइल मैन, भारतरत्न,डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का छत्तीसगढ़ से विशेष ही लगाव था।वे तो छत्तीसगढ़ की सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण जैसी अनेक विशेषताओं से अभिभूत थे।वैज्ञानिक के तौर पर डाॅ.कलाम,बस्तर में ही स्थापित रक्षा अनुसंधान, विकास संस्थान (डीआरडी
ए) में अनेक बार आये थे। बतौर राष्ट्रपति 6 नवम्बर 2006 को रायपुर आने पर राजभवन में छत्तीसगढ़िया ढंग से स्वागत किया गया था।तब छत्तीसगढ़ के प्रति मन की बात कविता केरूप में प्रस्फुटित हो उठी,तब के राज्यपाल लेफ्टि.जनरल के एम.सेठ के निर्देश पर डाॅ. कलाम के कार से उतरते ही स्वागत के लिये छग के दुर्लभ वाद्य यंत्रों की धुनों से स्वागत किया जाना था तो बस्तर के गौरमुकुट नृत्य कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी जानी थी।डाॅ.कलाम राज भवन पहुंचे,छत्तीसगढ़ी परिधान और आभूषण पहनी नन्हीं बालिकाओं ने उनका टीका लगाकर स्वा गत किया।स्वागत के बाद राष्ट्रपति को बैठक कक्ष जाना था,प्रोटोकाॅल तथा समयबद्ध कार्यक्रम को दरकिनार कर डाॅ.कलाम सीधे कलाकारों के पास पहुंचे,बिना किसी लाग- लपेट के कलाकारों सेतुरही लेकर बजाने लगे।राष्ट्रपति ने दुर्लभ वाद्ययंत्रों की धुनों को भी सुना एक अद्भुत नजारा था,देश का राष्ट्रपति सामान्य व्यक्ति की तरह ही छत्तीसगढ़ के लोक एवं आदिवासी कलाकारों के साथ पूरी तन्मयता और संजीदगी से ऐसे मिल रहे थे,जैसे वर्षों पुराना रिश्ता हो….!अतिविशिष्ट और आम आदमी का सारा भेद दूर हो चुका था।राष्ट्रपति डाॅ. कलाम उस दिन अत्यंत व्यस्त रहे। छ्ग राज्योत्सव समापन में शामिल होने वे पहुंचे थे।राजभवन में ही उन्होंने राज्यपाल सेठ एवं तब के सीएम डाॅ. रमनसिंह से छग की विशेषताओं, संभावनाओं और बेहतर भविष्य पर चर्चा की,कहा जाता है कि डाॅ. कलाम आनेवाले सभी ईमेल का अध्ययन स्वयं रात को में करते थे,उसका जवाब भी वह स्वयं देते थे।डॉ कलाम, राजभवन में रात में अपने कक्ष में जाने के बाद छ्ग को गौरवान्वित करनेवाली अपनी कविता लिखी।मूल रूप से डाॅ.कलाम कविता अंग्रेजी में लिखी थी और सुबह होने तक साथ ही आनेवालेअधिकारी या मित्र ने इसका हिंदी में अनुवाद भी कर दिया।डाॅ. कलाम की हिन्दी कविता टाईप की गयी। यह कविता 7 जून 2006 को राष्ट्रपति ने पुरखौती मुक्तांगन की शुरू वात,स्कूली बच्चों से बात चीत के दौरान पढ़ी गई।कविता अभी भी पुरखौती मुक्तांगन के साथ राजभवन के रेस्ट हाउस की शोभा बढ़ा रही हैै।डाॅ. कलाम की यह कृति छग की अमोल धरोहर है…..।
छत्तीसगढ़ के
गौरव की जय
छत्तीसगढ़ के जन-गण के गौरव की जय हो…।
घूमा हूं घने वनों के बीच यहां मैं जब-जब….
भारतभूमि के अंतर्मन में आकर…..
जैसे एक सुहाना सपना पल भर में साकार हो उठे….
पुलकित हुआ मेरा मन सुंदरता से अप्रतिम….
चित्रकूट-झरने की धुन पर जैसे डोला….
कुसुमित हुआ मेरा
मन मित्रों….
स्थापना दिवस की
इस गौरव बेला पर…..
वीर नारायण सिंह की कुर्बानी को करूं सलाम आज मैं….
इस महान धरती पर जहां पर भूमकाल की क्रांति हुई थी….
गुरु घासीदास ने शांति और समता का अमर संदेश दिया था…..
खूबचंद ने समृद्धि का स्वप्न रचा था…..
महानदी की घाटी में, विकसित भारत की जड़ें जम रही….
मेहनतकश इंसानों का श्रम इसके हृदय कमल में….
विकसित हरित स्वर्ण छवि सौरभमय सा….
छत्तीसगढ़ के जन-गण के गौरव की जय हो।
एपीजे.अब्दुल कलाम
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GLORY TO CHHATTISGARH
Glory to the great people of Chhattisgarh.
I have moved and moved many times,
In the dense forests of Chhattisgarh,
The heartland of the nation.
It was indeed a beautiful and memorable mission.
Joy entered into me to be part of fragrant flowers and the music of Chitrakote falls,
Beauty penetrated into me and cheered with happiness.
Again, my heart blossoms to see you friends,
On this great foundation day.
Let me salute the martyrdom of Veer Narain Singh on this day,
In this great land, unfolded the revolution – Bhoomkal,
Born was the peace mission and unity of minds of Guru Ghasidas,
Khoobchand dreamt a prosperous land.
In the valley of Mahanadi,
I see a developed India, happy India emerging.
Sweat of the hardworking people,
Radiating in the lotus heart of this land.
Glory to the great people of Chhattisgarh.
A.P.J.Abdul kalam
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(मूल कविता अंग्रेजी में)