बस दुआएं ही दे सकने का जालिम दौर है…. दिन गुजर जाता है तो लगता सब खैर है….

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )      

एक देश-एक टेक्स, एक देश -एक चुनाव की बात करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग कीमतों के विषय में मौन है….। विश्व में भारत पहला देश है जहां वैक्सीन निर्माताओं को दर तय करने की छूट दे दी है। जो कोरोना वैक्सीन केंद्र सरकार को 150रुपये में मिलेगी वहीं विभिन्न राज्यों को300/400 में यह वैक्सीन मुहैया हो सकेगी… पर वह कब मिलेगी यह अभी तय ही नहीं है…। देश में 14 करोड़ लोगों को अभी तक 45 वर्ष से ऊपर की उम्र के लोगों सहित कोरोना वॉरियर्स को यह वैक्सीन लग चुकी है अभी 18 साल की उम्र से 45 साल तक की उम्र के करीब 80करोड़ लोगों को वैक्सीन लगना है पर वैक्सीन की उपलब्धता पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां यह बताना जरुरी है कि देश मे करीब साढ़े 7करोड़ वेक्सीन बनाने की फिलहाल क्षमता है.. क्या कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत एक “मेडिकल युद्ध” की तरफ अग्रसर हो रहा है….?   
भारत की सीरम इंस्टीट्यूट जो “क़ो विशील्ड वैक्सीन” बनाती है उसने केंद्र को तो 150 रुपये में वैक्सीन देने का निर्णय लिया है वहीं राज्यों को अब 400की जगह 300 रुपये में देने का निर्णय लिया है। वहीं निजी अस्पतालों को यह 600 रुपये में उपलब्ध होगा तो भारत बायोटेक जो “को वैक्सीन” बनाती है उसने केंद्र को तो 150 रुपये में वैक्सीन देना तय किया है वहीं राज्यों को अब 600 रुपये प्रति वैक्सीन की जगह 400 रुपये में देने का निर्णय लिया है तो निजी अस्पतालों के लिए 1200 रुपये प्रति वैक्सीन की दर तय की है सवाल उठ सकता है कि पहले तय की गई कीमतों में वैक्सीन निर्माता कंपनियां 100/200 रुपये की कमी करने की घोषणा की है मतलब पहले भी वह “आपदा में अवसर” का लाभ उठा रही थी….? राज्यों का सीधा कहना है कि यदि केंद्र को 150 रुपये में वैक्सीन उपलब्ध हो रही है तो राज्यों को क्यों 150-200 रूपये अधिक में मिलेगी.. केंद्र सरकार क्यों राज्यों को स्वयं खरीदकर वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा सकती है…। 50 प्रतिशत केंद्र तथा50 फीसदी राज्य सरकार को वैक्सीन उपलब्ध कराने की नीति बनाने वाले कौन है..? उन्हें इससे क्या लाभ होगा… क्या लोगों की जान से बड़ी कीमत लाभ-हानि की नीति है…?
बहरहाल देश में विदेशों में 6 करोड़ 60 लाख वैक्सीन केंद्र की मोदी सरकार नि: शुल्क भेज चुकी है पर भारत के युवाओं की चिंता करने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि विदेशों में वैक्सीन भेजने से अंतर्राष्ट्रीय छबि बनेगी… खैर पश्चिम बंगाल या असम के चुनाव परिणाम किसके पक्ष में जाएगा यह तो 2 मई को पता चलेगा पर उसके चलते ही देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की हालात दयनीय हो गई है, अस्पताल, दवाई, आक्सीजन से लेकर श्मशान घाट/ कब्रिस्तान की खबरें किसी से छिपी नहीं है…2 मई को यदि भाजपा के खाते में भले ही पश्चिम बंगाल असम या पांडिचेरी आ भी जाए तो भी उन चुनावों के लिए जो भारत के लोगों को कोरोना से लडऩे असहाय छोड़ दिया गया उसके लिए मोदी सरकार को इतिहास याद तो करेगा ही…?
खैर भाजपा ने राम मंदिर, हिंदुत्व के नाम पर चुनाव लड़ा था, उसे लगातार 2बार केंद्र सहित कुछ राज्यों में सरकार बनाने का मौका जनता ने दिया है… कोरोना काल में श्रीराम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी जा चुकी है वहीं दिल्ली में ऐतिहासिक संसद भवन की जगह नया संसद भवन बनाने का काम तेज है इसे नाम दिया गया है “सेण्ट्रल विस्टा” इस विस्टा प्रोजेक्ट में कुल 20 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है, खैर इससे मोदी साहब इतिहास बना लेंगे, शिलान्यास होगा, लोकार्पित होगा, पत्थरों में नाम खुदेगा और क्या चाहिये….जबकि पूरे देश में कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए करीब 30 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है। केंद्र की प्राथमिकता विस्टा प्रोजेक्ट है न कि भारत के नौजवानों की जान… पुराने संसद भवन से काम चल रहा है आगे भी चल सकता है यदि उसके 20हजार करोड़ को कोरोना वैक्सीन के लिए खर्च किया जाए तो राज्य -केंद्र से विवाद भी खत्म हो सकता है पर ऐसी सलाह मोदी जी को कौन दे सकता है… विपक्ष को तो वे खास तवज्जों देते नहीं है, उनकी पार्टी में उनसे सवाल पूछने की हिम्मत तो पितृपुरुष लालकृष्ण आडवाणी में भी नहीं है….? बाकी लोगों की तो उनके सामने कोई हैसियत है ऐसा लगता तो नहीं है…?

छग में आज से वैक्सीनेशन…

छत्तीसगढ़ में एक मई से 18 साल से 44 की उम्र वालों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकेगा…क्योंकि राज्य सरकार ने 50 लाख वैक्सीन का आर्डर दिया है पर वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने फिलहाल आपूर्ति में असमर्थता जाहिर कर दी थी पर भारत बायोटेक ने “डेढ़ लाख” वेक्सीन की आपूर्ति करने हामी भरी और छग ने एक मई से वेक्सीनेशन का निर्णय लिया है पर पहले चरण में अंत्योदय राशन कार्डधारियों क़ो “को वेक्सीन” लगाया जाएगा बाद मे उपलब्धता के आधार पर बीपीएल तथा सामान्य कार्ड धारियों का वेक्सीनेशन होगा । केंद्र सरकार ने ही एक मई से कोरोना वैक्सीन १८ साल की उम्र से ऊपर वालों के लिए शुरू करने की घोषणा की थी… पहले राज्यों को खरीदकर वैक्सीनेशन का फरमान केंद्र सरकार से आया, अलग -अलग केंद्र-राज्यों की दर होने के बाद भी अपनी आर्थिक बदत्तर स्थिति के बाद भी छग सरकार ने ५० लाख डोज का आदेश दे दिया पर वैक्सीन कंपनी ने ऑर्डर पर उपलब्धता पर कोई आश्वासन नहीं दिया था .यदि वेक्सीन बड़ी संख्या मे जल्द ही उपलब्ध नहीं कराएगी तो छग की स्वास्थ्य व्यवस्था और भी चरमरा सकती है,वैसे भी कोरोना की तीसरी लहर की अभी से मई मे आने की चर्चा तेज है…छत्तीसगढ़ की एकमात्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल महिला मंत्री, 9 लोकसभा, 2 राज्यसभा सदस्यों सहित भाजपा के बड़े नेता है कहां….? ऐसे मौके में केंद्र पर दबाव डालकर छग को बड़ी संख्या में वैक्सीन उपलब्ध कराने में मदद करना चाहिए, पर उन्हें तो प्रदेश सरकार पर सवाल उठाने से फुरसत नहीं है, सेस के हिसाब मांगने से परहेज नहीं है, ताज्जुब होता है कि भूपेश बघेल प्रधानमंत्री, स्वास्थ्यमंत्री को वैक्सीन उपलब्ध कराने पत्र लिखते हैं और भाजपा के नेता इस पर भी चुप है..?

हमसे बिछुड़ते लोग…?    

कोरोना महामारी के दौरान हमसे करूणा शुक्ला चाची, वरिष्ठ पत्रकार एम.ए. जोसफ,संगीतकार कल्याण सेन, पुलिस अफसर उदय राज सिंह परिहार, भोजेन्द्र उके, पत्रकार गणेश तिवारी, जिलाउल हसन, तिलक देवांगन, पन्नालाल गौतम, जनसंपर्क विभाग के सहायक सं चालक डॉ. छेदीलाल तिवारी आदि छोड़कर चले गये..।   
करूणा शुक्ला की ससुराल मुंगेली है उनका एक भतीजा मेरे साथ स्कूल से कालेज तक पढ़ा था, उससे मित्रता के चलते चाची तथा चाचा डॉ. माधव शुक्ल से नाता रहा है, बलौदाबाजार में जब उनके घर उस समय जाता था जब चाची राजनीति में नहीं थी तो सिर में पल्लु रखकर हम लोगों को चाय-नाश्ता कराती थी बाद में वे भाजपा तथा कांग्रेस की बड़ी नेत्री बन गई पर मुलाकात का दौर जारी रहा, भतीजे चाची का रिश्ता भी रहा कभी भी नेता-पत्रकार का रिश्ता बन ही नहीं पाया…।
भाई एम.ए. जोसफ का नाम तो सिटी रिर्पोटरों के लिए बड़ा नाम है। संभवत: छत्तीसगढ़ में लंबे समय तक सिटी रिपोर्टर रहने वाले पत्रकार बनने का रिकार्ड उनके नाम है, उनसे पत्रकारिता में आने के बाद मुलाकात होती रहती थी। मित्र स्व. मोहन राव के नवभारत में जाने के बाद तो जोसेफ भाई से मुलाकात और बढ़ गई थी, छतीसगढ़ राज्य बनने के पहले हमने विधानसभा रिपोर्ट सीखने भी भोपाल साथ साथ गये तब साँची आदि भी गये थे…, ( फोटो उसी दौरे की जिसे जोसफ भाई ने ही मुझे फेसबुक मे उपलब्ध कराया था…)बाद में वे मेरे साथ हरिभूमि में कुछ दिनों तक विशेष संवाददाता बतौर काम भी किया तब हरिभूमि के संपादक गिरीश मिश्र थे पर नवभारत छोड़कर हरिभूमि उन्हें रास नहीं आई और वे जल्दी ही अलग होकर प्रखर समाचार, देशबंधु आदि में जाकर फिर स्वतंत्र पत्रकारिता करने लगे…। मेरी करीब एक माह पूर्व उनके घर में करीब एक घंटे की लंबी मुलाकात भी हुई थी वे भी हम लोगों को छोड़कर चले गये। कल्याण सेन से 3-4 बार मुलाकात हुई पर खास रिश्ता नहीं बन पाया, पन्नालाल गौतम तथा तिलकराम देवांगन मेरे साथ युगधर्म में काम कर चुके हैं, पन्ना जी से अभी तक संबंध बना रहा, जिलाऊल हसन तो छोटा भाई था, वह मुस्लिम होने के बावजूद जब भी मिलता था तो गुरुतुल्य मानकर मेरा चरणस्पर्श करता था, इधर उपनिरीक्षक से एडीशनल एसपी बने उदय राज सिंह परिहार तथा भोजन्द्र उइके से भी मेरे अफसर – पत्रकार के नहीं आत्मीय संबंध थे।छेदी लाल तिवारी के तो जनसम्पर्क से अख़बारों के दफ्तरों मे डाक बाँटने, पीएचडी करने से सूचना सहायक से सहायक संचालक बनने का मै गवाह रहा हूं, उसके संघर्ष का साक्षी भी रहा हूं….. खैर
आसपास के लोग बिछुड़ रहे है हम केवल श्रद्धांजलि ही देकर मन को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं इनकी आकस्मिक मौत के लिए हम कभी कोरोना को माफ नहीं कर सकेंगे…..।

और अब बस….

० 80 के दशक तक 30 अप्रैल का दिन लाखों लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण होता था क्योंकि उस दिन परीक्षा (स्कूली) परिणाम आता था पर २ साल से तो इस दिन का महत्व ही कम हो गया है?
० म.प्र. के वन विभाग के एक अधिकारी ने 2पेड़ों की अवैध कटाई करने वाले एक आदिवासी युवक पर 1.20 करोड़ का जुर्माना किया है। 50 साल की अवधि में ये सागौन के झाड़ू 60 लाख का लाभ देते इसी आधार पर जुर्माना किया है।
० मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के बीच गलतफहमी पैदा करने में कौन लोग सक्रिय हैं…?

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