कोरोना महामारी के इस दौर में नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं।
मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद करना जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना मुमकिन नहीं है। मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में बने कोविड-19 में तैनात नर्स अंकिता और काजल को जब भी वक्त मिलता है वह झुग्गी बस्तियों में जाकर लोगों को कोरोना के खतरे और इससे बचाव की जानकारी देती हैं। इनकी तरह अन्य नर्स भी अपनी ड्यूटी जिम्मेदारी से निभा रही हैं।
1965 में हुई थी शुरुआत
नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई 1820 को हुआ था। उनके जन्मदिन पर ही इस दिन की शुरुआत की गई। सबसे पहले 1965 में यह दिवस मनाया गया। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नर्सों के सराहनीय कार्य और साहस के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार की शुरुआत की गई।
जागरूकता जरूरी है
झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोग इससे अंजान थे, उन्हें नहीं पता था कोरोना कैसे होता है, इससे कैसे बचा जा सकता है। ऐसे में जागरूकता के अभाव में इन लोगों की जान तो खतरे में पड़ती ही साथ, ही इन लोगों के संपर्क में आने से अन्य कई लोगों का जीवन भी संकट में आ सकता है। इसीलिए हमने इन लोगों को
जागरूक करने की पहल शुरू की।
झुग्गी बस्तियों में जाकर वहां रहने वाले लोगों खासकर बच्चों को सोशल डिस्टेंस कैसे बनाना है, इसकी जानकारी दी है। साथ ही उन्हें यह भी बताते हैं कि बार बार साबुन से हाथ धोने हैं, घर से बाहर नहीं जाना है, सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही घर से निकलें और मास्क लगाकर रहें। हमने उन्हें कोरोना कितना खतरनाक है इसकी भी जानकारी दी है। – काजल, नर्स
मरीज की सेवा ही पहला धर्म
हमारे पेशे में मरीज की सेवा करना ही पहला धर्म है। मैं रमजान में पूरे रोजे रख रही हूं। ड्यूटी के साथ रोजे रखना कठिन कार्य है, लेकिन ऊपर वाला सब हिम्मत देता है। मेरी ड्यूटी कोविड वार्ड में है। अपने घर भी नहीं जा पाती। घर वालों के आशीर्वाद से अपनी ड्यूटी कर रही हूं। संकट की घड़ी में सभी को अपना जिम्मेदारी निभानी चाहिए। – रुखसार, नर्स
बच्चों से भी नहीं मिल रही
मेरी ड्यूटी कोरोना संदिग्ध वार्ड में लगी है। घर में छोटे बच्चे होने के कारण मैं उनसे भी नहीं मिल पा रही हूं। खुद भी सोशल डिस्टेंस का पालन कर रही हैं। मरीज के साथ-साथ अपने परिवार को भी सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। महामारी के इस दौर में सभी को ईमानदारी से अपना काम करना चाहिए। – अमरीता सिंह