{किश्त 198 }
छत्तीसगढ़ के राजाओं की रियासत, सियासत से जुड़े दुर्लभ अभिलेख रायपुर के महंत घासीदास संग्रहालय में मौजूद हैं। यहां देश का सबसे पुराना ‘काष्ठ स्तंभ’ लेख भी रखा गया है, जो दूसरी सदी ईसवी का है। अभिलेख को पुराने बिला सपुर जिले के किरारी गांव के हीराबांधा तालाब से प्राप्त किया गया है। ब्राम्ही लिपि में लिखे अभिलेख में शासकीय अधिकारियों के नाम,पदनाम का उल्लेख है। पुरातत्ववेत्ता बताते हैं कि यह काष्ठस्तंभ,सात वाहन शासक के हैं, जिसके अभिलेख हिंदुस्तान में एक मात्र दुर्लभ पुरावशेष हैं।भारत में अनेक स्थानों से शिलालेख एवं स्तम्भ लेख प्राप्त हुए, जिनसे भारत के स्वर्णिम इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, भारत में केवल एक काष्ठ स्तम्भ (लकड़ी का खंभा) प्राप्त हुआ है। यह काष्ठ स्तम्भ छत्तीसगढ़ के वर्त मान सक्ती जिले के माल खरौदा तहसील के किरारी गांव से प्राप्त हुआ है, जिस वजह से इसे किरारी काष्ठ स्तम्भ कहते है। यह भारत का इकलौता काष्ठ स्तंभ है जिसकी खोज 1921 में की गई थी।किरारी काष्ठ स्तम्भ अप्रैल, 1921 में हीराबांधा तालाब से मिला था। 1921 में तालाब के सूख जाने पर खाद के लिए तालाब की मिट्टी निकालने के दौरान स्तम्भ मिला था। लेकिन तालाब से निकलने पर यह स्तम्भ सूख गया, जिससे इसमे लिखित अभिलेख खराब हो गये। गांववालों ने वापस पानी मे डालना शायद सही समझा, परंतु गांव के ही पुरोहित लक्ष्मीप्रसाद उपाध्याय ने उपयोगिता को समझते स्तम्भ में उत्कीर्ण अक्षरों की कागज में एक प्रतिलिपि बना ली।सातवाहन कालीन अभिलेख स्तम्भ की ऊंचाई 13 फ़ीट 9 इंच थी,ऊपरी हिस्से में कलश था (एक फीट दो इंच ), जो एक सकरे गर्दन से शेष स्तम्भ से जुड़ा हुआ था। बाद में कलश वाले हिस्से को शेष स्तम्भ से काट दिया गया, यह वर्तमान में महंत घासी दास स्मारक संग्रहालय में सुरक्षित है। “बीजा-साल” की लकड़ी का बना है यह स्तम्भ., अभिलेख की भाषा सातवाहन कालीन “प्राकृत” और लिपि “ब्राम्ही” है, लेख अब काफी नष्ट हो चुका है। इसमें अनेक अधिकारियों के नाम और पदनाम उल्ले खित हैं।पदनामों में से बहु तेक का उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी मिलता है। उदाहरण के लिए- वीर पालित और चिरगोहक नमक नागर रक्षी (कोत वाल) वामदेय नामक सेना पति,खिपत्ति नामक प्रति हार(दो वरिक) नागवंशीय हेअसि, गणक(लेखपाल) घरिक नामक गृहपति, असाधिक नामक भाण्डा गारिक (संग्रहागार अधि कारी) हस्त्यरोह अश्वारोह पाद मलिक (पुरोहित या पंडा) रथिक, महानसिक (रसोई संबंधी प्रबंध करने वाला) हस्तिपक धावक (आगे दौड़नेवाला)सौगंधक (शपथ दिलाने वाला) गोमां डलिक,यानशाला युधगारि क,प्लवीथिद पालिक, लेख हारक(राजकीय दस्तावेजों को संरक्षित करनेवाला) कु लपुत्रक (गृह निर्माण करने वाला राजमिस्त्री,अभियंता) महासेनानी (सेना का सर्वो च्च अधिकारी)….,राज्य के पदाधिकारियों का इस लेख में उल्लेख होने से अनुमान है कि प्रस्तुत स्तम्भ अवश्य ही किसी बड़े समारोह,यज्ञ के आयोजन के अवसर पर खड़ा किया गया होगा…! आयोजन करनेवाला राजा शक्तिशाली रहा होगा। इसी से इसे यज्ञ स्तम्भ भी कहा जाता है। किरारी के काष्ठ स्तम्भ के अभिलेख का सर्व प्रथम अध्ययन डॉ हीरानंद शास्त्री ने किया।अध्ययन एपिग्राफिका इंडिका (19 25-26) में ही प्रकाशित कराया गया था,बाद में बालचंद जैन ने उत्कीर्ण लेख में इसका देवनागरी में प्रकाशन 1961 में किया था।