नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग झील से पूरी तरह से पीछे हटने के बाद भारत और चीन शनिवार को अब गोगरा, डेपसांग और हॉट स्प्रिंग्स से सेनाओं को हटाने पर बातचीत शुरू हो गई है। एलएसी पर चीन की तरफ स्थित मोल्डो में सुबह दस बजे से यह बातचीत शुरू हो गई है। इसे पिछले नौ महीने से चल रही गंभीर तनातनी को खत्म करने का अहम पड़ाव माना जा रहा है। भारत की ओर से प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल की कमान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन संभाल रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि शनिवार की बातचीत में दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ अपने पीछे हटने के वास्तविक सत्यापन और सुबूतों को औपचारिक तौर पर साझा करेंगे। दोनों देशों के कोर कमांडर डेपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से पीछे हटने को लेकर योजना का खाका तैयार करेंगे। इन जगहों पर भी पिछले साथ अप्रैल-मई के जबरदसस्त जमावड़ा है। सूत्रों ने बताया कि इन मामलों में कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत जारी रहेगी। जरूरत पड़ी तो सैन्य और कूटनीतिक बातचीत समानांतर स्तर पर चलेगी।
पैंगोंग से पूरी तरह पीछे हटीं दोनों देशों की सेनाएं…
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके से भारत और चीन की सेनाएं साजोसामान के साथ पूरी तरह से पीछे हट गई हैं। पैंगोंग को पूरी तरह खाली करने के वास्तविक सत्यापन और सुबूतों के साथ भारत और चीन के कोर कमांडर शनिवार को दसवें दौर की अहम बातचीत करेंगे। पैंगोंग से पीछे हटने की सहमति के बाद कमांडर स्तर की यह पहली बातचीत है। इस बातचीत में एलएसी के पीछे हटने के दूसरे चरण की प्रक्रिया पर ठोस नतीजे की उम्मीद की जा रही है।
पैंगोंग झील से हटने का काम तय समयसीमा 24 फरवरी से पहले ही पूरा…
सेना सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स रिपब्लिकन आर्मी (पीएलए) 24-25 जनवरी को हुई सहमति के मुताबिक पैंगोंग का फिंगर इलाका और दक्षिण में स्थित मानसरोवर रेंज को खाली कर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में चली गई हैं। दोनों सेनाओं ने आपसी सहमति से पीछे हटने का काम तय समयसीमा से पहले ही पूरा कर लिया है। तय योजना के मुताबिक, पैंगोंग खाली करने का समय 22 से 24 फरवरी तय किया गया था।
सभी अस्थायी निर्माण और संचार लाइनें नष्ट कर दी गईं…
सूत्रों के मुताबिक इन इलाकों से सिर्फ टैंक और भारी साजोसामान ही नहीं हटाए गए हैं, बल्कि सभी अस्थायी निर्माण व संचार लाइनें भी नष्ट कर दी गई हैं। दोनों पक्ष सेटेलाइट तस्वीरों और अन्य तकनीक के जरिये लगातार एक दूसरे की गतिविधियों की तस्दीक कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग से हजारों सैनिकों और सैकड़ों टैंकों और साजोसामान के पीछे हटने की शांतिपूर्ण प्रक्रिया दोनों पक्ष के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। 11 फरवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस सहमति का एलान करते हुए कहा था कि पीछे हटने प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटे के भीतर दोनों कोर कमांडर बातचीत करेंगे।