लोकतंत्र में केंद्र -ताकतवर हो – या विश्वसनीय ?

लेखक: बृजमोहन श्रीवास्तव,राष्ट्रीय प्रवक्ता व राष्ट्रीय सचिव,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी .

10 जून 1999 में जब श्री शरद पवार जी ने अपने राजनैतिक साथियों व लाखों समर्थकों के साथ कांग्रेस से त्यागपत्र देकर एक नये राजनीतिक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी । उस समय देश में “विदेशी मूल के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जाये अथवा नहीं “के मुद्दे पर राजनीति में भूचाल आया हुआ था । राष्ट्र प्रेम मराठों के खून में हमेशा बहता है और इससे सराबोर श्री पवार ने जनभावनाओं को भी समझते हुए इसका विरोध किया जबकि यह विरोध किसी व्यक्ति विशेष के ख़िलाफ़ नहीं था। इस मुद्दे पर जिस प्रकार उन्होंने निर्णय लिया उससे उनकी छवि देश में राष्ट्रीयता व देश के लिये संघर्ष करने वाले राजनेता के रूप में बनी जो आज 23 वर्ष बाद भी यथावत है।

आज देश में फिर से समय की माँग है कि राष्ट्रीयता को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर आवाज़ उठायी जाए क्योंकि इस बार यह आवाज़ देश के 140 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य व जीवन,उनके रोज़गार और उन्हें आर्थिक दबाव से मुक्त करने के लिए उठाना ज़रूरी हो गया है ।भारत जैसे विविधता वाले देश में आज हमें एक ऐसा मज़बूत केंद्रीय नेतृत्व चाहिए जिस में प्रत्येक व्यक्ति का विश्वास हो और जिसकी नेतृत्व क्षमता व दूरदर्शिता का हर व्यक्ति कायल हो।आज केन्द्र में बहुमत की सरकार होने के बाद भी हालात यह हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में देश के मुखिया को आधे धन्टे इंतज़ार करा देती है । यह मुद्दा दम्भ से कहीं अधिक अविश्वास का है जो सिद्ध करता है कि भरोसा कम हुआ है। तमिलनाडु के वित् मंत्री या झारखण्ड व आँध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी विश्वास का संकट महसूस कर रहे हैं तो यह साफ़ है कि केन्द्र पर भरोसा कम हुआ है। यह बात सिर्फ़ हमारे देश तक सीमित नहीं है क्योंकि पड़ोसी मुल्क भी शायद अविश्वास की भावना से प्रभावित लगते हैं क्योंकि तभी उन्हें विस्तारवादी व शोषक देश भी भारत से बेहतर लग रहे हैं ।

देश की इन परिस्थितियों में अब केंद्र में ऐसे प्रमाणित राजनेता की ज़रूरत हैं जो भरोसा पैदा कर सके। विश्वास और दूरदर्शिता की कसौटी पर आज की राजनैतिक परिस्थितियों में श्री शरद पवार जी ही सबसे खरे राजनेता है। 50 वर्ष के राजनैतिक जीवन में कभी कोई चुनाव ना हारने वाले,देश व प्रदेश में सरकार के विभिन्न पदों पर काम करने का अनुभव व विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को सफलतापूर्वक प्रमाणित होने का सबसे अच्छा रिकॉर्ड निश्चित रूप से श्री शरद पवार के खाते में ही आता है ।पवार साहब सत्ता में रहे हों या सत्ता से बाहर पर सभी राजनैतिक दल के वरिष्ठ नेता,पदाधिकारी व साधारण कार्यकर्ता भी उनसे सीधा संवाद करने में संकोच नहीं करते है क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि वे उनकी बात तो सुनेंगे ही व उदारता पूर्वक मदद भी करेंगे।उनकी यह भी ख़ूबी है कि वो राजनीतिक रिश्तों को वगैर अहसास हुये पारिवारिक अपनेपन में ढाल लेते हैं । देश के उद्योगपति,व्यापारी व किसान आज भी सर्वाधिक विश्वास श्री शरद पवार पर करते हैं । उन पर देश के खिलाड़ियों व युवाओं का भी गहरा विश्वास है । उनकी राजनैतिक सूझबूझ व दूरदृष्टि तथा कठिन से कठिन परिस्थितियों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए दी गई उनकी सलाह के कई क़िस्से गाँवों व शहरों से लेकर देश की राजधानी दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में सुनाई देते है । देश या किसी भी प्रदेश के अफ़सर व कर्मचारी यह कहते हुए मिलेंगे कि जितने सम्मान व अपनेपन से श्री शरद पवार काम लेना जानते हैं ऐसा दूसरा राजनेता अभी कोई और नहीं है । श्री पवार के साथ काम करने वाले हज़ारों सेवानिवृत्त लोग आज भी उनके कहने पर विश्वास करते हैं क्योंकि उनका अनुभव बताता है किसी भी आदेश को देने के बाद समय आने पर वो ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर अपने अधीनस्थों का बचाव भी करते हैं । देश के सुरक्षा बलों में भी उनके हज़ारों प्रशंसक यह कहते हुये मिलेंगे कि त्वरित व सटीक फैसले लेने में उनकी कोई बराबरी नहीं कर सकता ।

पवार साहब ने अपने 50 वर्ष की इस लंबी यात्रा में संसार के विभिन्न नेताओं को भी अपनी कार्यप्रणाली से प्रभावित करते हुये उनका विश्वास जीता है ।आज भी विदेशी राजनेताओं में उनकी दूरदृष्टि व विश्वसनीयता चर्चित रहती है जबकि वे कभी विदेश मंत्री नहीं रहे हैं ।देश का मीडिया हो या विदेशी मीडिया,पवार साहब को वे सबसे विश्वसनीय राजनेता मानते हैं और यही कारण है कि उनके हर बयान को हमेशा मीडिया में महत्व मिलता है ।

आज देश के केंद्र में ऐसे ही विश्वसनीय राजनेता की ज़रूरत हर स्तर पर महसूस की जा रही है और यही कारण है कि विभिन्न अवसरों पर कई बार यह तुलना होने लगती है कि यदि देश की इस कठिन राजनैतिक या प्रशासनिक परिस्थिति में श्री शरद पवार होते तो वे क्या निर्णय लेते ? उनका यही गुण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना के 23 वर्ष बाद भी श्री शरद पवार को देश व प्रदेश की राजनीति में प्रासंगिक बनाए हुए है । यही कारण है कि जब देश के लोग भाजपा नेतृत्व से अलग हटकर अन्य दलों के नेताओं पर आशा भरी दृष्टि डालते हैं तो उसमें सबसे पहला नाम श्री शरद पवार का ही उनके सामने आता है।

वर्ष 2022 की फ़रवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश,
उत्तराखण्ड,गोवा और पंजाब के विधानसभाओं के
चुनाव परिणामों के बाद हो सकता है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन आगामी लोक सभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करे । उस समय देखना होगा कि गठबंधन के सभी साथी श्री शरद पवार साहब की क्षमताओं को किस प्रकार गठबंधन के हित में मूल्यांकन कर स्वीकार करते हैं ।यह निर्विवाद है की केंद्र में वास्तविक संघीय लोकतंत्र को सार्थक करने की क्षमता श्री पवार में है । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लाखों लाख कार्यकर्ता सम्पूर्ण भारत में अपने नेता के इशारे पर जान की बाज़ी लगाने के लिए आतुर है बस आव्हान के नगाड़े और तुरही की आवाज़ का इंतज़ार है ।                                                                             ( ये लेखक के निजी विचार हैं । )                                    मोबाईल : +91 9893052686
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