नई दिल्ली : घर खरीदने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब बिल्डर घर खरीदार के ऊपर एकतरफा करार नहीं थोप सकेंगे। न्यायालय ने साफ कर दिया है कि घर खरीदार एकतरफा शर्त मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत न्यायालय ने अपार्टमेंट बायर्स एग्रीमेंट की शर्त का एकतरफा और गैर वाजिब होना अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया है।
नौ फीसदी ब्याज के साथ पैसे लौटाने होंगे
इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि अगर बिल्डर ने प्रोजेक्ट को समय से पूरा कर ग्राहक को नहीं दिया, उसे घर खरीदार को पूरे पैसे वापस देने होंगे और इसके साथ ही ब्याज का भुगतान भी करना होगा। ऐसे में पैसे नौ फीसदी ब्याज के साथ लौटाने होंगे।
क्या है मामला?
दरअसल गुरुग्राम के एक प्रोजेक्ट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की। एक प्रोजेक्ट बिल्डर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। मामले में न्यायालय ने बिल्डर के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया। यह मामला एक करोड़ 60 लाख रुपये की रकम का है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इस मामले में घर खरीदार को पूरी राशि 12 फीसदी ब्याज के साथ चुकानी होगी।
बना बिके मकानों की तादाद कम करना बिल्डरों के लिए बड़ी चुनौती
साल 2020 कोरोना वायरस महामारी के बावजूद हाउसिंग सेक्टर के लिए बेहतर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2020 में बना बिके मकानों की तादाद नौ फीसदी कम हुई है, जो बिल्डरों के लिए बड़ी चुनौती होती है। पिछले वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान नए मकानों की सप्लाई और इसकी बिक्री में महत्वपूर्ण सुधार आया। हाउसिंग ब्रोकरेज फर्म प्रॉपटाइगर ने ‘रियल इनसाइट क्यू4 2020’ नाम से रिपोर्ट जारी की, जिसमें देश के आठ प्रमुख शहरों में हाउसिंग मार्केट की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।