केके मिश्रा ( लेखक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं )
बेबाक,कद्दावर नेता,यारों के यार, कांग्रेस की राष्ट्रीय व प्रादेशिक राजनीति में किंगमेकर के रूप स्थापित पहचान महेश जोशी अब हमारे बीच नहीं रहे। 70 के दशक में इंदौर में छात्रमोर्चा अपने चरमोत्कर्ष पर था,हम छात्र नेता के रूप में आंदोलनरत थे। श्री महेश जोशी जी चेहरा पढ़ने व भावी नेतृत्व गढ़ने में माहिर थे,उन्होंने NSUI के तत्कालीन संस्थापक,प्रदेश अध्यक्ष श्री किशन पंत को हमें कांग्रेस में लाने की जवाबदारी सौंपी। एक दिन पंत जी ने हमें उस वक्त के छात्रनेता श्री पी.डी.अग्रवाल की 10 नंदलालपुरा,इंदौर स्थित दुकान पर श्री ईश्वर व्यास के माध्यम से बुलवाया। उन्हीं की सायकल पर बैठकर मैं और श्री भंवर शर्मा वहां पहुंचे,पंत जी ने जोशी जी का संदेश देकर हमें वहीं कांग्रेस की सदस्यता दिलवाई। महेश जोशी जी सम्मानवश हम “दा साहब” कहते थे, अपने संरक्षण में उन्होंने हमें तराशा । NSUI की छात्र राजनीति करते हुए कई बार अपनी ही सरकार से छात्रों के हित में लड़ाई करते हुए दो-दो हाथ करने पड़े थे। लिहाज़ा, कई मर्तबा जेल भी जाना पड़ा चूंकि उन दिनों पूरे प्रदेश की छात्र राजनीति श्री जोशी जी के ही इर्दगिर्द होती थी,इसलिए स्व.प्रकाशचंद सेठी जी जैसे सख्त मुख्यमंत्री जब जोशी जी पर हमें समझाने का दबाव डालते तब जोशी जी मुख्यमंत्री को यह कह देते थे कि जिन छात्रों ने इन्हें चुना है,वे उनके साथ धोखा नहीं कर सकते।आखिरकार सेठी जी ने हम छात्रनेताओं को आपातकाल के दौरान मीसा में निरुद्ध कर जेल भिजवा दिया। 6-6 महीने हम जेल में रहे, जोशी जी उन दिनों राष्ट्रीय युवक कांग्रेस के शीर्षस्थ नेताओं में शुमार थे,प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांघी व तत्कालीन गृहमंत्री श्री ओम मेहता पर दबाव बनाकर हमें छुड़वाया,क्योंकि सेठी जी हमें छोड़ना नहीं चाह रहे थे।*
*इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज जिससे जोशी जी ने अपनी राजनैतिक सफ़र शुरू किया था, उन दिनों छात्र राजनीति का गढ़ था। उन्हीं के आशीष से मैं 42 वर्षों पूर्व 1978 में प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्रसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ। छात्र राजनीति से लेकर युवक कांग्रेस,कांग्रेस संगठन में उन्होंने हम जैसे कई साधारण कार्यकर्ताओं को तराशा,नवाजा भी। एक वक्त ऐसा भी आया जब सैद्धान्तिक तौर पर मुझे अपने इस “वास्तविक राजनैतिक गुरु” के ख़िलाफ़ भी आवाज़ उठानी पड़ी,वह विषम दौर था, किंतु इस विशाल हृदय वाले नेता ने अपने व्यवहार व उच्च राजनैतिक कद का स्मरण कराते हुए मुझे अपने प्रेम से फिर खरीद लिया। यहां यह उल्लेख करना भी मैं लाज़मी मानता हूं कि जब 2006 में मुझे स्व.सुभाष यादव ने मुझे भोपाल ले जाकर प्रदेश की राजनीति में सेवा करने का मौका दिया तो भोपाल में कई वर्षों तक मेरे रहने से लेकर भोजन इत्यादि की सारी व्यवस्था भी जोशी जी ने ही की। प्रदेशभर से सैकड़ों कार्यकर्ता भी यदि भोपाल 5 सिविल लाइंस स्थित घर में जोशी से मिलने आते थे,उन्हें बिना ख़ाना खिलाये वे नहीं जाने देते थे। उन्होंने अपने कई कार्यकर्ताओं,साथियों,खेलप्रेमी मित्रों को संगठन में नवाजा,ऊंचाइयां दी,पार्षद,विधायक,सांसद,मंत्री,मुख्यमंत्री बनवाया । गरीब कार्यकर्तों को शादी,बीमारी के दौरान हजारों रु.की आर्थिक मदद भी की किन्तु अपनी अंतिम सांस तक इस बात को कभी जुबां पर नहीं आने दिया।*
*करीब साढ़े चार दशक उनके साथ गुजारने के बाद उनके जीवन से जुड़े ऐसे कई स्मरणीय प्रसंग है, जिनका जिक्र करने में स्याही खत्म हो जाएगी, पर यह जरूर कहूंगा कि वे यारों के यार, बेबाक नेता, सच्चे कांग्रेसी,कार्यकर्ताओं के लिए लड़ने वाले कद्दावर नेता थे। शायद वह चरित्र अब न दिखाई दे,ऐसे पूज्य वास्तविक राजनैतिक गुरु को प्रणाम…आदरपूर्वक श्रद्धाजंलि।