शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
यदि नेहरू का नाम लेना शर्मिंदगी और अपराध है तो इसके लिये आज की परिभाषा में कई लोगों को अपराधी ठहराया जा सकता है..? नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक बार कहा था कि… भारत में महात्मा गाँधी के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय कोई है तो वह जवाहर लाल नेहरू… और युवाओं में तो गांधी से अधिक लोकप्रिय हैं। शहीद भगतसिंह ने कहा था कि इस समय हिंदुस्तान में जो नेता उभरकर सामने आए हैं वे सुभाष चंद्र बोस और पंडित जवाहर लाल नेहरू..दोनों आजादी के कट्टर समर्थक हैं…।भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन ने कहा था कि नेहरू,दुनिया के महान पुरुषोँ में एक हैं। सरदार पटेल ने कहा था कि राष्ट्र के आदर्श, जनता के नेता, देश के प्रधानमंत्रीऔरआमजनों के नायक के रूप में उनकी महान उपलब्धि एक खुली किताब जैसी है।मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा था कि जवाहर लाल बड़े स्नेहशील और उदार ह्रदय के व्यक्ति हैं तथा व्यक्तिगत ईर्ष्या-द्वेष के लिये उनके मन में कोई जगह नहीं है..। महान आइंस्टीन भी नेहरू की लेखकीय कौशल के मुरीद थे। शायर फिराक गोरखपुरी ने एक बार कहा था कि…..
तुम मुख़ातिब हो,करीब भी…
तुमको देखें कि तुमसे बातें करें..
साहित्यकार रामधारी सिँह दिनकर ने तो “लोकदेव नेहरू “के नाम से पूरी किताब ही लिख दी… क्या सभी ने अपराध किया था….? दरअसल एक बार पीएम मोदी का परिचय ही अमेरिकी सीनेट के.स्टेनिहोयर ने यह कहकर कराया था कि आप गाँधी-नेहरू के देश से आए हैं?अब रही बात नेहरू के सरनेम की तो नेहरू की एक ही बेटी थी इंदिरा गाँधी… उनके बेटे राजीव गाँधी के बेटे राहुल गाँधी और प्रियंका… राहुल ने विवाह नहीं किया है, प्रियंका के बच्चे मिराया और राहान बढ़रा सरनेम लिखते हैं.. आखिर नाना या परनाना का सरनेम कोई कैसे ले सकता है… यह सवाल और शर्मिंदगी की बात भारत की उच्च सदन में उठाना ही बेतुका है।
ब्राह्मण कहां जिम्मेदार हैँ
भागवत साहब …..?
संघ के सर्वेसर्वा मोहन भागवत ने हाल ही में कहा है कि जाति भगवान ने नहीं बल्कि पंडितों ने बनाया है…? वे शायद भूल गये कि भगवान श्रीकृष्ण ने खुद भागवत गीता में कहा है…
चातुवर्णय मया सृष्टँ गुणकर्मविभागश:।
तस्य कर्तारमपि मां विद्वय कर्तारमव्ययम।।(4/13)
अर्थात… हे अर्जुन ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र… इन चार वर्णों का समूह, गुण और कर्मों के विभागपूर्वक मेरे द्वारा ही रचे गये हैँ। इस प्रकार सृष्टि -रचानदि कर्म का कर्ता होने पर भी मुझे अविनाशी परमेश्वर को तु वास्तव में अकर्ता ही जान… गीता के रचयिता वेदव्यास खुद गैरब्राम्हण हैं। इसलिए पंडितों को दोष देना उचित नहीं है।
जस्टिस नजीर की
ताज़पोशी……
आंध्र प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल,जस्टिस अब्दुल नजीर अयोध्या समेत कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उनके खाते में ट्रिपल तलाक मामला , अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामला , नोटबंदी और निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार आदि मामले शामिल हैं।सेवानिवृत होने के कुछ दिनों बाद ही उनकी राज्यपाल के रूप में ताजपोशी पर अब सवाल उठने लगे हैं?
भारत का मिडिया और
सरकारी छापा….?
“न्यूज़ क्लिक” पर 114 घंटे तक ईडी का छापा, फिर आयकर का छापा,”भारत समाचार” पर आयकर छापा,”दैनिक भास्कर” पर आयकर का छापा,”एनडीटीवी” पर आयकर का छापा,”द क्विंट” पर आयकर का छापा,”द वायर” पर मुकदमा,”एचडब्ल्यूएल” न्यूज पर आयकर का छापा,बीबीसी पर आयकर का छापा , स्वर्गीय विनोद दुआ पर देशद्रोह का मामला,अभिसार शर्मा पर 14 करोड़ के चोरी का मुकदमा,अभिसार शर्मा, पुण्य प्रसून बाजपेई, मिलिंद खांडेकर, रवीश कुमार,अजित अंजुम की नौकरी छीन लेना….?यह सभी मीडिया संस्थान और पत्रकार हैं जो सरकार से सवाल पूछने पर प्रताड़ित और परेशान किये गये है…?
“रमेश बैस” का बना है
नया रिकार्ड…
रमेश बैस ने नगर निगम रायपुर के ब्राम्हण पारा वार्ड मेंबर चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की, फिर मंदिर हसोद के विधायक बने,उसके बाद रायपुर लोकसभा से 7 बार सांसद बनते रहे, अटल बिहारी मंत्रिमण्डल के हिस्सा बने, बाद में त्रिपुरा,झारखण्ड के बाद अब महाराष्ट्र के राज्यपाल बने हैं.. उनके राजनीतिक सफऱ का मै बतौर पत्रकार भी साक्षी रहा हूँ… उनके राज्यपाल बनने के बाद जरुर मुलाक़ातें कम हुई… पर ज़ब भी उनसे मुलाक़ात हुई तो मुझे ऐसा नहीं लगा कि किसी लाट साहब (राज्यपाल)से मिल रहा हूँ…वहीं रमेश भाई लगे जो पहले लगते थे…..दिग्गज कांग्रेसी पूर्व मुख्य मंत्री श्यामाचरण शुक्ला,पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला, वर्तमान सीएम छ्ग भूपेश बघेल, सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू आदि को लोकसभा में पराजित करने वाले रमेश बैस, 3 राज्यों के राज्यपाल बनने का रिकार्ड अपने नाम कर चुके हैं।वैसे इनके पहले छ्ग के मोतीलाल वोरा ही राज्यपाल रह चुके हैं।
छ्ग के नये राज्यपाल
बी बी हरिचंदन….
आंध्रप्रदेश के 4 साल से राज्यपाल रह चुके बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है। वे अनसुईया उइके की जगह अगले सप्ताह लेंगे।बिस्वा भूषण ओड़िशा के रहने वाले हैं।ओड़िशा छत्तीसगढ़ का पड़ोसी राज्य है।दोनों राज्यों के सांस्कृतिक समानता है. इस लिहाज से ओड़िशा के बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया जाना कई मायनों में खास है। बिस्वा भूषण हरिचंदन का जन्म एक साहित्यकार नाटककार स्वतंत्रता सेनानी के घर में 3 अगस्त 1934 में हुआ है. पिता परशुराम हरिचंदन ओड़िशा के साहित्यकार थे।बिस्वा भूषण का जन्म ओड़िशा के खोरधा जिले में हुआ है। बिस्वा ने जगन्नाथ पुरी से अर्थशास्त्र में ओनर्स, कटक से एलएलबी की डिग्री ली है। इसके बाद बिस्वा ने 1962 में उच्च न्यायालय में वकालत भी की और 1971 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए। बिस्वा भूषण हरिचंदन ऐतिहासिक जेपी आंदोलन में शामिल हुए थे इसके लिए उन्हें एमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा था। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष के रूप में 1974 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के अधिक्रमण के खिलाफ ओडिशा में वकीलों के आंदोलन का उन्होंने नेतृत्व किया। इसके बाद बिस्वा भूषण राजनीति से जुड़ गए। अब तक बिस्वा ओडिशा में 5 बार विधानसभा के चुने जा चुके हैं. 1977, 1990, 1996, 2000 और 2004 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।ओड़िशा में भाजपा के संस्थापक रहे हैं।इसके अलावा हरिचंदन ने अपने काबिलियत के दाम पर ओड़िशा सरकार में 4 बार मंत्री पद पर बने रहे। हरिचंदन ने राजस्व, कानून, ग्रामीण विकास , उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, श्रम और रोजगार, आवास, सांस्कृतिक, मत्स्य पालन और पशु विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में जिम्मेदारी संभाली है।बिस्वा भूषण हरिचंदन 1980 में ओड़िशा राज्य के भाजपा के संस्थापक थे। इसके बाद 1988 तक तीन और कार्यकाल के लिए उन्हें अध्यक्ष चुना गया था. इसके अलावा 13 साल तक यानी 1996 से 2009 तक ओड़िशा विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे है।
और अब बस…
0छ्ग के चार साल के भूपेश बघेल के कार्यकाल में तीसरे राज्यपाल की नियुक्ति की गईं है।
0बस्तर इस बार भी विस चुनाव में सत्ता की चाबी बनने वाला है।
0क्या इस बार लोकसभा चुनाव में फिर भाजपा सभी सांसदों की टिकट काटेगी…?