फुरसत अगर मिलें तो मुझे पढ़ना जरूर… मै तेरी उलझनों का मुकम्मल जवाब हूँ…!

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )        

आजकल इतिहास की जानकारी के बिना कुछ लोग वाट्सअप यूनिवर्सिटी के पोस्ट को पढ़ कर ही कुछ भी चर्चा करने लगते हैँ….एक चर्चा कुछ लोगों ने शुरू की है कि देश का पहला प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू नहीं वल्लभ भाई पटेल को होना चाहिए था. तब हुए चुनाव में नेहरू को नहीं पटेल को सारे वोट मिले थे. लेकिन नेहरू ने पटेल को पीएम बनने से रोक दिया….ऐसे लोगों के बारे में यही कहा जा सकता है कि इन लोगों को इतिहास की जानकारी ही नहीं है….इस पर कुछ चर्चा जरुरी है….
देश में पहली बार चुनाव कब हुए…? जवाब आता है, 1951-1952 में…..पटेल जी की मृत्यु कब हुई….? जवाब आया 1950 में…. फिर नेहरू ने पटेल को पीएम बनने से कैसे रोक दिया…..?इसके बाद लोग चुप हो जाते हैं. उनके पास कहने को कुछ नहीं होता…..
भारत के पहले आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 बीच हुए. इसके बाद भारत की पहली संवैधानिक सरकार चुनी गई. तब नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने,तब पटेल का निधन हो चुका था।असल में, 14 अगस्त 1947 की आधी रात (तकनीकी तौर पर 15 अगस्त 1947) को संविधान सभा की ओर से चुने गए भारत के पहले गर्वनर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने जवाहर लाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. तब वल्लभ भाई पटेल सक्रिय राजनीति में थे वे नेहरू की सरकार में उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने थे…
उन्हीं दिनों 29 मार्च 1946 को ब्रिटेन लेबर पार्टी के नेता और वहां के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारतीय नेताओं से बातचीत के लिए कैबिनेट मिशन प्लान भेजा. इन तीन सांसदों सर स्टेफर्ड क्रिप्स, एबी एलेंजडर, पैथ‌िक लारेंस का दल भारत में संविधान की रूपरेखा के लिए संविधान सभा और अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव लेकर आया. . आजाद भारत की अंतरिम सरकार की रूपरेखा क्या होगी….? कौन नेतृत्व करेगा इस पर माथापच्ची शुरू हो गई…..
अंतरिम सरकार के प्रस्ताव को ध्यान में रखकर महात्मा गांधी ने तत्काल नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव कराने को कहा।ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस का अध्यक्ष ही आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री पद का दावेदार होगा. तब कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद थे. वह 1940 से ही कांग्रेस अध्यक्ष थे. अपनी किताब में उन्होंने 1946 में भी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की मंशा को लेकर लिखा था. वह 1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन महात्मा गाँधी ने ही उन्हें ऐसा ना करने को कहा….तब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पूरी एआईसीसी के सदस्यों से मतदान कराया जाता था इसलिए तय हुआ कि केवल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के मतदान से ही अगला कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाएगा….सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष पद दिए जाने का समर्थन किया….
वायसराय लॉर्ड वेवल ने 1 अगस्त 1946 को कांग्रेस अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने का न्योता दिया. 2 सितंबर 1946 को नेहरू ने 11 अन्य सदस्यों के साथ अपने पद की शपथ ली. तब जो पद नेहरू को मिला उसे प्रधानमंत्री तो नहीं कहा गया. लेकिन उसे ही राष्ट्राध्यक्ष कहा गया. 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पेश किया गया. 18 जुलाई को इसे स्वीकृति मिल गई.नेहरू और सरदार पटेल के बीच मतभेद हो सकते होंगे, कुछ मुद्दों पर मत भिन्नता भी रही होंगी पर एक बे बहस को तूल देकर आखिर कुछ लोग क्या चाहते हैँ….?

धर्म संसद में
गाँधी -गोडसे….?           .     

गुरु घांसीदास, संत कबीर की धरती, श्रीराम के ननिहाल के रूप में चर्चित छत्तीसगढ़ और उसकी राजधानी रायपुर में धर्म संसद के दौरान कालीचरण ने महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था,वहीं नाथूराम गोडसे को नमन किया था। छग पुलिस ने न केवल जुर्म क़ायम किया बल्कि उसे मप्र के खजुराहों से गिरफ्तार कर रायपुर कोर्ट में पेश कर दो दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया है। छग पुलिस की इस गिरफ़्तारी की प्रक्रिया को लेकर मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से लेकर बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल उठाए हैं….छग के सीएम भूपेश बघेल ने स्पस्ट किया है कि पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है… उन्होंने एक सवाल भी दाग दिया है कि भाजपा के नेता यह बताएं कि राष्ट्रपिता को गाली बकने वाले कि गिरफ्तारी से ये ख़ुश हैँ या दुखी….!
खैर छ्ग में भूपेश बघेल सरकार बनने के बाद जिस तरह श्रीराम की माता कौशिल्या के मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, राम पथ गमन परियोजना शुरू की है….इधर कवर्धा में जिस तरह साम्प्रदायिक सदभावना को ठेस पहुंचाने कुछ लोगों ने पहल की… भूपेश सरकार ने कड़ी कार्यवाही की….फिर धर्म संसद में विषय से बाहर जाकर एक तथाकथित कालीचरण ने महात्मा गाँधी के प्रति अपशब्द कहे…? मंच से ही गोडसे को प्रणाम किया यह कहीं कोई सोची समझी शरारत तो नहीं थी…?
कालीचरण ने कहा था, इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के जरिए राष्ट्र पर कब्जा करना है। हमारी आंखों के सामने 1947 में कब्जा कर लिया था। मैं नाथूराम गोडसे को नमन करता हूं कि उन्होंने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की…..। महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल के बाद महंत राम सुंदर दास मंच पर आकर कहा कि मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं इस बात को कि, इस धर्म संसद के मंच से जो बात कही गई तो क्या महात्मा गांधी सही में गद्दार थे…? 1947 की वह घटना याद करिये..जिस समय भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गांधी ने क्या कुछ नहीं किया….। अब उनके विषय में इस धर्म संसद से ऐसी बात…? मैं बहुत क्षमा चाहता हूं आप सब से….। लेकिन इस धर्म संसद से मैं खुद को अलग करता हूं। महंत रामसुंदर दास कांग्रेस के पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं।इधर सवाल फिर उठ रहा है कि महात्मा गाँधी पर इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी के पीछे कौन है….

भूपेश – गहलोत
विवाद की सच्चाई….     

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को लेकर एक चिट्ठी लिखी है जिसमे कहा गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वजह से उनके यहाँ बिजली संकट का खतरा मंडरा रहा है…यह बात सच है इसमें झूठ भी नहीं है…..?
दरअसल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की जनता से किया गया वायदा निभा रहे हैं… साथ ही देश के संसाधनों पर कब्ज़ा करने की जुगत लगा रहे अडानी को भी करारा जवाब दे रहे हैं….राजस्थान विद्युत् वितरण निगम को छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में मौजूद परसा ब्लाक में कोयले की खदान आवंटित की गई है.यह आवंटन सबसे पहले 2015 में हुआ था जिसको लेकर आदिवासियों का कहना था कि ग्रामसभा की फर्जी स्वीकृति लेकर खदान आवंटित की गई है…..अजीब यह है कि राजस्थान विद्युत् वितरण निगम अपनी खदान में माइनिंग अडानी से करा रहा है. इस खदान में दूसरे चरण का आवंटन इसी नवम्बर माह मे किया गया है लेकिन भूपेश बघेल सरकार का कहना है कि हम ग्रामसभा की स्वीकृति की जांच करा रहे हैं उक्त इलाका हमारे जंगल में है, जहाँ पर बड़ी संख्या में वन्य जीव भी रहते हैं इसलिए हम खनन की इजाजत नही दे सकते….? बस यही विवाद है और विपक्ष इसे हवा दे रहा है…..

2आईपीएस अफसरों पर गिर सकती है गाज..

निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता और जीपी सिंह को राज्य सरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने जा रही है….?इसके लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को फाइल भेजी है. 90 बैच के आईपीएस मुकेश गुप्ता की अवैध फोन टैपिंग सहित कई अन्य मामलों में संलिप्तता देखते हुए सरकार ने निलंबित किया हुआ है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा रखा है. वहीं दूसरी ओर आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के साथ चल रहे कई अन्य मामलों की वजह से सरकार ने उन्हें निलंबित किया हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ने दोनों अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए केंद्र सरकार को फाइल भेज दी है. इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि दो अन्य अधिकारियों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव था, लेकिन उनकी फाइल अभी रूकी हुई है…..

छत्तीसगढ़िया बना मप्र में गुप्तवार्ता आईजी….

छग में आईपीएस प्रशिक्षण लेने वाले विवेक जौहरी मप्र के पुलिस मुखिया हैँ तो यहीं पदस्थ आईपीएस अरुणा मोहन राव, मधुबाबू, संजय राणा भी छ्ग में अविभाजित मप्र के समय बड़ी जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैँ तो छत्तीसगढ़िया डॉ सज्जाद नकवी एडीजी हैँ।हाल ही में चौबे कालोनी रायपुर के मूल निवासी आईपीएस संजय तिवारी को गुप्तचर शाखा में प्रभारी आईजी बनाया गया है वे इसी सप्ताह आईजी पदोन्नत होने वाले हैं वहीं संजय की पत्नी आईपीएस श्रद्धा को भोपाल जोन 2का पुलिस उपायुक्त बनाया गया है ये संभवत: मप्र की पहली महिला उपायुक्त बनी हैँ… संजय के पिता तथा श्रद्धा के ससुर स्व. ज्ञानेश्वर प्रसाद तिवारी भी अविभाजित मप्र में एसपी रह चुके हैँ तब मप्र पुलिस प्रमुख वरिष्ठ आईजी होता था।पुलिस प्रक्रिया पर तिवारी की लिखित पुस्तकें आज भी प्रासंगिक है।

और अब बस…

0मशहूर शायर अकबर इलाहबादी का नाम उप्र सरकार के शिक्षा विभाग ने अकबर ‘प्रयागराजी’ कर दिया है क्योंकि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हो गया है…..?

0डायल 112में एक महिला अफसर डॉ संगीता पीटर की नियुक्ति की गई है.दरअसल यह सेवा काफ़ी संवेदनशील मानी जाती है।
0असमय बारिश और कुछ जगह ओला गिरने से छग का मौसम सर्द हो गया है।
0छग में कोरोना के नए मामले बढ़ने से अब आम जन को भी सतर्क होने की जरूरत है।

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