शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
सीएए के फायदे मुसलमान नहीं समझे….? जीएसटी के फायदे व्यापारी नहीं समझे….? नोटबंदी के फायदे जनता नहीं समझी….? कृषि कानूनों के फायदे किसान नहीं समझे…..? बैंक निजीकरण के फायदे बैंककर्मी नहीं समझे….? सरकारी सम्पत्तियों के बेचने का फायदा विपक्ष नहीं समझा….? महंगाई बढ़ने का कारण आम जनता नहीं समझी….?पीएम केयर फंड का हिसाब नहीं बताएंगे…..?
बहरहाल कोरोना महामारी, बेरोजगारी, महंगाई की मार से बीता वर्ष 2021 किसी तरह बीत ही गया….2022 की शुरुआत भी कोरोना की तीसरी lahar से हो चुकी है….,आर्थिक हालात देश, प्रदेशों और आम आदमी के जल्दी सुधरेंगे ऐसा लगता नहीं है…..?
पहले भी केंद्र की सरकार ने 1962, 1965 तथा 1971 की भीषण लड़ाई भी लड़ी… पोलियो, प्लेग, हैजा तथा टीबी जैसी महामारी से भी मुकाबला किया, मुफ्त में लोगों का इलाज ही नहीं हुआ मुफ्त टीकाकरण भी हुआ… मोदी सरकार के मुताबिक पिछली सरकारों में खरबों का घोटाला हुआ, कालाधन विदेशों में भेजा गया, भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा… यदि उनकी बात सही है तो भी बहुत सारी सारी सरकारी कंपनियां स्थापित हुई, सरकारी अस्पताल, सरकारी कालेज, सरकारी स्कूल बने, बांध बने,कारखाने बने, बिजली उत्पादन बढ़ा, किसानों की हालत सुधरी,सरकारी नौकरियों की भी कमी नहीं रही…. विपरीत स्थितियों में भी लोगों को न तो नौकरी से निकाला गया और न ही वेतन में कटौती की गई, बढ़ता महंगाई भत्ता दिया जाता रहा, बढ़ा हुआ वेतनमान लागू किया जाता रहा , सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन दिया जाता था, देश की जीडीपी 10 प्रतिशत से अधिक थी पर कुछ वर्षों से हालात बदल रहे हैं। पहले की सरकार ऐसा कैसे कर लेती थी……? पर अब तो केवल जुमला सरकार ही चर्चा में है….क्या विदेशों से कालाधन वापस आ गया…. नोटबंदी से देश में कालाधन की वापसी हो गई… क्या वादे के अनुसार आम आदमी के खाते में 15 लाख जमा हो गया… रसोई गैस सिलेण्डर, पेट्रोल डीजल, खाद्य वस्तुओं के महंगे होने पर हंगामा करने वाले लोग सत्ता में आते ही उस पर बात करना भी पसंद नहीं करते हैं…..?सरकारी नौकरियां बंद सी है तो वेतन-भत्ते बढ़ाने की बात तो दूर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों की पेंशन योजना समाप्त कर दी गई है। एनजीओ से पैसा प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में जमा कराया गया, कोई युद्ध नहीं हुआ…। डीजल-पेट्रोल पर सब्सिडी की जगह सरकार टेक्स बढ़ाकर और अधिक कमा रही है…। बीमा और म्यूच्युल फंड पर भी सरकार 18 प्रतिशत टेक्स लेकर कमा रही है, देश के आपातकालीन फंड से 175 अरब रुपये निकालकर खर्च कर दिये हैं, सरकारी संपत्तियां बेची जा रही है, किसानों को जबरिया ‘लाभ’ देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है जबकि किसान ‘लाभ’ लेने तैयार नहीं है और सरकार की नियत पर ही सवाल उठाकर आंदोलनरत रहे…. फिर अचानक विवादित कृषि बिल वापस ले लिए गये पर करीब 700 से अधिक किसानों की इस दौरान मौत हो चुकी थी…
शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक परिवहन, बैंक आदि की हालत तो दयनीय है….कुछ मीडिया के लोगों को कंट्रोल करके देश के आम मुद्दों से अलग करके सर्जिकल स्ट्राईक, कश्मीर में धारा 370, लव जेहाद, राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन, काशी विश्वनाथ के मंदिर को आधुनिक रूप देने,नये संसद भवन के निर्माण के लिए पूजन आदि से जोड़कर वाहवाही लूटी जाती रही है….अब मथुरा का भी मुद्दा उठाया
जा रहा है…., महंगाई, बेरोजगारी, किसान, मजदूर, युवा सभी पता नहीं किस जगह जाम कर दिये गये हैं…? 5 राज्यों में विस चुनाव होना है… उप्र विस चुनाव में मोदी -योगी सरकार का लिटमस टेस्ट होना है…तो पंजाब विस चुनाव कॉंग्रेस के वर्तमान नेतृत्व का भविष्य तय करेगा….कोरोना की तीसरी लहर की आहट देश में आ चुकी है…अभी आगे आगे देखिये होता है क्या……?
मोदीजी को जान का खतरा..इंदिरा, राजीव का क्या …..!
पीएम मोदी किसी को बिना बताये एक दिन यूँ ही लाहौर में उतर गये थे तो उनकी जान को खतरा नहीं था…पर पंजाब के एक गांव के पास 15/20 मिनट रुक गये तो जान को खतरा पैदा हो गया…. वैसे
हर आपदा को अवसर में बदल देते हैं मोदी… ! पंजाब में हेलीकाप्टर से हुसैनीवाला जाने का कार्यक्रम पहले से तय नहीं था. जल्दी जल्दी में बनाया….बारिश के कारण हेलीकाप्टर के बदले सड़क से निकल पड़े. दो घंटे की यात्रा पूरी होने में केवल 30 किलोमीटर रह गया था कि यात्रा रद्द कर एयरपोर्ट लौट गए क्योंकि रास्ते में किसान प्रदर्शन के लिए आ गए थे…. एक खबर एजेंसी ने चला दिया कि उन्होंने अफसरों को पंजाब के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देने के लिए कहा है कि “वह एयरपोर्ट जिन्दा आ गए…”यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि भुवनेश्वर (ओड़िशा) में 1967 में चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में तत्कालीन पीएम इंदिरा गाँधी पर पत्थर फेंके जाने से उनकी नाक क़ी हड्डी टूट गई थी पर लहूलुहान होने के बाद भी उनका भाषण जारी रहा था वहीं पूर्व पीएम राजीव गाँधी पर 29 जुलाई 1987 को श्रीलंका में एक आदने से सिपाही ने बंदूक का बट मारकर गर्दन तोड़ दी थी पर तब राष्ट्र क़ी सुरक्षा पर सवाल नहीं उठाया गया था न ही इन पूर्व पीएम ने अपनी जान को खतरे की बात ही उठाई थी….. हाल ही में मोदी के लगभग 140 किलोमीटर क़ी यात्रा (वह भी भारत क़ी सीमा के कुछ किलोमीटर की दूरी पर) सड़क मार्ग से जाने के मामले में एसपीजी कैसे राजी हो गईं जबकि बारिश के कारण हेलीकाप्टर भी जाने की स्थिति में नहीं था…..बहरहाल मुझे अविभाजित मप्र के समय छ्ग की एक घटना की याद आ रही है एक पीएम भिलाई से अचानक सड़क मार्ग से रायपुर लौटे थे..उनकी केवल 20किमी की सड़क यात्रा को लेकर बड़ा बवाल मचा था… दुर्ग और रायपुर रेलवे स्टेशन में रेल ख़डी कर दी गई थी….क्योंकि एक /दो रेलवे क्रासिंग सड़क पर थी…. खैर हाल ही में मोदी का काफिला 15/20 मिनट फ्लाइ ओवर पर रुक गया और गोदी मीडिया सहित बीजेपी की पूरी टीम भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी…पंजाब सरकार को बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली… छ्ग में बस्तर के झीरम घाटी में में नक्सलियों ने कांगेस के कई नेताओं की हत्या कर दी थी तब तो छग की भाजपा सरकार को बर्खास्त करने की मांग नहीं उठी थी….? खैर पंजाब सरकार को सुरक्षा में चूक करने का दोषी बताया जा रहा है और प्रधानजी की जान को खतरा….मप्र के मुख्यमंत्री तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महामृत्युंजय जाप करने लगे… योगी जी चूक गये काशी विश्वनाथ या राम लला के मंदिर नहीं जा सके… वहीं छ्ग में भी भाजपा नेता मंदिर जाकर पीएम की सलामती की प्रार्थना से चूक गये…. खैर पंजाब की घटना पर…..
अव्वल तो गृह मंत्रालय और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां प्रधानमंत्री का सुरक्षा इंतजाम करती हैं. उसे हर पल की खबर रहती है. उन्होने पीएम को एयरपोर्ट से निकलने के पहले क्यों नहीं रोका…? निकलने के बाद इतनी दूर तक कैसे जाने दिया….? सीधा मामला है. किसानों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का पता चला तो जमा हो गए. इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है…? लेकिन मोदीजी हर समय चुनावी रणनीति पर ही चलते हैं….लोकतंत्र है , लोग विरोध करेंगे ही…. इस पर इतना हायतोबा क्यों मचाना…. ! जब खुद की जान पर ही खतरा बताएँगे तो देश का क्या होगा….? एक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तो इसे कांग्रेस की ख़ूनी साजिश तक कह दिया है….वैसे किसी साजिश का अंदेशा है तो कड़ी जाँच कराने से कौन रोक रहा है..एसपीजी, आईबी, मिलेटरी इंटेलिजेंस की भूमिका की भी जाँच होनी ही चाहिए…!खैर जाँच के बाद खुलासा तो हो सकता है…..?वैसे अब यह मामला न्यायालय भी पहुँच गया है….।
निलंबित एडीजी की मुश्किलें बढ़ी…
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित आईपीएस जीपी सिंह निलंबित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब राहत देने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय में जीपी सिंह ने पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय ने रिजेक्ट कर दिया है।अब इनके पास समर्पण के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है… नहीं तो कभी भी इनकी गिरफ्तारी हो सकती है…
उल्लेखनीय है कि जीपी सिंह सस्पेंड चल रहे हैं। छत्तीसगढ़ एसीबी चीफ रह चुके आईपीएस जीपी सिंह पर राज्य सरकार राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति का केस कर चुकी है। वैसे राज्य सरकार इनकी अनिवार्य सेवानिवृति की भी सिफारिस केंद्र से कर चुकी है…
9आईपीएस का
तबादला….
छ्ग सरकार ने जल्दी ही कुछ एसपी को हटाकर फिर फेरबदल कर दिया है…. अब प्रखर पांडे को सीएम सुरक्षा,संतोष सिंह को राजनांदगांव का एसपी बनाया गया है वहीं विवेक शुक्ला ( आईपीएस स्व. व्ही एस चौबे के दामाद)महासमुन्द , अभिषेक पल्लव जांजगीर -चाम्पा, दिव्यांग पटेल कोंडागांव, सिद्धार्थ तिवारी दंतेवाड़ा, प्रशांत ठाकुर धमतरी एवं प्रफुल्ल ठाकुर कोरिया के पुलिस अधीक्षक बनाए गए हैं ।जाहिर है कि संतोष सिँह को ही बड़ा जिला मिला है, तो प्रखर पांडे को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
और अब बस….
छत्तीसगढ़ कैडर के 2003 बैच के आईएएस सिद्धार्थ कोमल परदेशी और रितु सेन जॉवइंट सेक्रेटरी में इम्पैनल किए गए हैं. रितु सेन अभी सेंट्रल में हैं, जबकि सिद्धार्थ कोमल परदेशी जनसंपर्क सचिव हैं.
0राज्य सरकार की डीपीसी के बाद 97 बैच की आईएएस डॉ एम गीता और निहारिका बारिक भी अब प्रमुख सचिव बन गयी है।वहीं सुबोध कुमार सिँह को भी प्रोफार्मा प्रमोशन दिया गया है।
0 छ्ग में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा शुरू हो गया है.. सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है… जनता को भी फिर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना ही होगा।
0शराब बंदी की चर्चा और छ्ग में खपत….31जनवरी को ही छ्ग में 31करोड़ की शराब बिकने की जानकारी मिली है जिसमे राजधानी रायपुर टॉप पर रहा है…दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव,अंबिकापुर टॉप पांच में रहे…