शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
मोदी सरकार के 8 साल पर भाजपा पूरे देश में सरकार के कार्यों का गुणगान कर रही है….. खैर हाल ही में प्रधानमंत्री ने कहा,”मेरा सपना है कि हर किसान के पास ड्रोन हो।” खबर आई कि गौतम अडाणी ने ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में कदम रख दिया है। यह भी संभव है कि अडाणी ने पहले ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ाने का फैसला लिया हो और उसके बाद प्रधानमंत्री ने यह सपना देखा हो….।
ड्रोन बनाने वाली बेंगलुरु की एक कंपनी जेनरल एयरोनॉटिक्स में अडाणी ने 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदने की डील की है।कृषि के अलावा डिफेंस सहित कई अन्य क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है। बीबीसी की उसी रिपोर्ट में ब्लूमबर्ग बिलियेनर्स इंडेक्स के हवाले से बताया गया है कि फरवरी, 2022 में गौतम अडाणी की कुल संपत्ति 8850 करोड़ डॉलर हो गई थी। उस दिन वे मुकेश अंबानी को भी पछाड़ कर देश के सबसे अमीर बन गए थे। यानी, 2014 से 2022 तक के 8 वर्षों के मोदी राज में अडाणी की कुल संपत्ति में 9 गुने की बढ़ोतरी हुई।हालांकि, प्रधानमंत्री ने सपना तो यह भी देखा था कि 2022 तक किसानों की आमदनी भी कम से कम दोगुनी हो जाए। लेकिन, किसानों ने उनके सपनों के साथ घोर अन्याय किया। जहां अडाणी मोदी जी के 8 वर्षों के राज में नौ गुनी छलांग लगा गए, किसान तो महज़ सवा गुनी छलांग में ही हांफने लगे। उल्टे, कुछ दिलजले विश्लेषक तो बता रहे हैं कि भयानक मुद्रा स्फीति और बेलगाम महंगाई के कारण आम किसान पहले से और अधिक गरीब ही हो गए हैं…..।
उधर, नौजवानों की बेरोजगारी हालिया इतिहास के उच्चतम स्तरों पर पहुंच गई तो उनकी आमदनी की बात करनी बेमानी ही है…., जब आमदनी है ही नहीं तो उसमें बढ़ोतरी कैसी….? अपने बाप की रोटी तोड़ते वर्षों से बैंक, एसएससी, रेलवे आदि की तैयारी करते नौकरी की ओर टकटकी लगाए रहते हैं और नौकरी है कि रेगिस्तान के बादलों की तरह छलती ही जा रही है….?मोदी जी का सपना था कि हर वर्ष नौजवानों को दो करोड़ नौकरियां देंगे….। लेकिन, उनके सपनों को सरकारी विभागों और प्राइवेट सेक्टर ने मिल कर भारी धोखा दिया….?सरकारी विभाग नई नौकरी निकालने की जगह पोस्ट ही खत्म करने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं….?रेलवे ने नॉन सेफ्टी संवर्ग के 72 हजार पदों को खत्म करने का निर्णय लिया है। जब पद ही खत्म तो नौकरी कैसी…? जब नौकरी ही नहीं तो बहाली कैसी….?
ये तो अच्छा है कि दिल्ली के कुतुब मीनार से लेकर काशी की मस्जिद तक की खुदाई के लिये नारे लगाने को नौजवानों की अच्छी खासी नौकरी आई है…? उधर, मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक इसी टाइप की नौकरियों की बहार है। जो नौजवान इतिहास की कब्रों को खोदने और खुदवाने में दिलचस्पी रखते हैं उन्हें प्रेरणा देने के लिये अक्षय कुमार की नई फिल्म ‘पृथ्वीराज’ भी रिलीज हो चुकी है जिसके ट्रेलर के अंत में बड़े-बड़े हर्फ़ों में लिखा दिखता है,….. “धर्म के लिए जिया हूँ, धर्म के लिये मरूंगा”…….।भले ही इतिहास के प्रोफेसर और छात्र पृथ्वीराज के “धर्म के लिये जीने और धर्म के लिये मरने” की बात सुन कर माथा पीट लें, व्हाट्सएप युनिवर्सिटी से इतिहास को जानने वाले नौजवानों के लिये तो यह प्रेरक बात हो ही सकती है…..?
‘काकी’ के लिए ‘कका’
ने खरीदी बिंदी, चूड़ी…
नक्सली प्रभावित एक हाट बाजार में एक ग्रामीण छोटे ब्यापारी की आवाज पर अपनी पत्नी के लिए बिंदी, चूड़ी खरीदने का काम केवल और केवल भूपेश बघेल ही कर सकते हैं और कोई नहीं…..छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल को अपनी माटी, भाषा, संस्कृति और लोगों से खासा लगाव है. यही वजह है कि वे राज्य के लोगों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं. चाहे राज्य में छत्तीसगढ़ के लोकपर्वों को भव्यता देने की बात हो या फिर राज्य की लोक संस्कृति को बढ़ावा देने की बात…..भूपेश बघेल हमेशा आगे रहते हैं. उनका आम लोगों के बीच सहज उपलब्ध होने का स्वभाव भी उन्हें लोगों से जोड़ता है. ऐसा ही हुआ जब वे भेंट मुलाक़ात के तहत दंतेवाड़ा पहुंचे….यहां किलेपाल हाट बाजार में लोगों से मिल रहे थे तब वहां मनिहारी सामान की दुकान लगाने वाले एक युवक बसंत राय ने आवाज लगाकर मुख्यमंत्री को रोक लिया. बसंत ने आवाज दी…कका, काकी के लिए बिंदी चूड़ी लेते जाइए….. इतना सुनकर मुख्यमंत्री मुस्कुरा दिए और रुककर अपनी धर्मपत्नी के लिए बिंदी, चूड़ी और मेहंदी खरीदने लगे…..।
छ्ग से रास में एक पत्रकार,
एक टेनिस खिलाडी…
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्णयनुसार राजीव शुक्ला और श्रीमती रंजीत रंजन यादव छ्ग कोटे से राज्य सभा के लिये निर्विरोध निर्वाचित हो गये हैं । अब छ्ग कांग्रेस से केवल फूलोदेवी नेताम एक मात्र छत्तीसगढ़िया ही नेतृत्व करेंगी।राजीव शुक्ला ने आईपीएल के चेयरमैन, पत्रकार, राजनीतिक टिप्पणीकार, टीवी होस्ट तथा संसदीय योजना एवं कार्य राज्यमंत्री समेत एकसाथ कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैँ । राजीव शुक्ला सन् 2000 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी पत्रकारिता करते रहे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से की।राजीव शुक्ला की पत्नी का नाम अनुराधा प्रसाद है. राजीव शुक्ला और अनुराधा प्रसाद ने 27 जून 1988 को शादी हुई थी. अनुराधा बीएजी फिल्म्स कंपनी की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. श्रीमती अनुराधा प्रसाद, भाजपा के दिग्गज नेता रविशंकर प्रसाद की बहन हैँ।
इधर मधेपुरा के पूर्व सांसद व जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव की पत्नी श्रीमती रंजीत रंजन को कांग्रेस ने छ्ग कोटे से राज्यसभा भेजा है । रंजीत रंजन लोकसभा सांसद रह चुकी हैं।जाप सुप्रीमो पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीत रंजन दोनों को राजनीतिक योगदान के लिए जानते हैं. कहीं भी कोई घटना हो पप्पू सबसे पहले पीड़ितों से मिलने पहुंच जाते हैं. वहीं, रंजीत भी आए दिन सरकार को घेरती नजर आती हैं. लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे हैं, जो रंजीत कौर का रंजीत रंजन बनने का सफर जानते हैं…. यहाँ यह बताना भी जरुरी है कि पप्पू की पत्नी रंजीत रंजन राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी थी।रंजीत का प्यार पाने में पप्पू यादव को तीन साल लग गए थे. एक साल तक तो पप्पू यादव रंजीत का साइकिल और बाइक से सिर्फ पीछा ही करते थे…. 1991 में तत्कालीन आरजेडी नेता और इन दिनों जन अधिकार पार्टी के मुखिया पप्पू यादव ने रंजीत की सिर्फ तस्वीर देखी थी. ये देखते ही वो दिल हार बैठे थे….वैसे रंजीत के भाई से पप्पू यादव की अच्छी दोस्ती थी।
छ्ग का भूलन कांदा
और पुरस्कृत फ़िल्म…
भूलन कांदा छग के जंगलों में पाया जाने वाला एक दुर्लभ पौधा है. जिस पर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है. रास्ता भूल जाता है. वहीं भटकने लगता हैं. इस दौरान कोई दूसरा इंसान जब आकर जब उस इंसान को छूता है तो फिर वो होश में आता है…..?केशकाल के कुछ जड़ी बूटी के विशेषज्ञों की माने तो भूलन कांदा का वैज्ञानिक नाम ‘डायलो फोरा रोटोन डिफोलिया’ है.इसी भूलन कांदा पर ‘भूलन द मेज’ फिल्म बनी है. जिसके जरिए आज के सामाजिक, इंसानी, सरकारी व्यवस्था में आए भटकाव को दिखाया गया है. ‘भूलन दा मेज’ फिल्म ‘भूलन कांदा’ उपन्यास पर आधारित है. इसके लेखक संजीव बख्शी हैं. उनकी माने तो नौकरी के दौरान वे बस्तर और गरियाबंद जैसे इलाकों में पदस्थ थे. उसी दौरान उन्होंने आदिवासियों से भूलन पौधे की बात सुनी थी. उन्हें ये काफी रोचक लगा. जिसके बाद उन्होंने इस पर लिखना शुरू किया. जिस पर काम करते हुए 3 से 4 साल में उन्होंने भूलन कांदा उपन्यास लिखा. इसी उपन्यास को ‘भूलन द मेज’ फिल्म के रूप में बनाया गया. जिसे 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा के दौरान बेस्ट छत्तीसगढ़ी फिल्म का अवॉर्ड दिया गया.सीएम ने इस फ़िल्म को देखकर टैक्स फ्री करने की घोषणा भी कर दी है।
और अब बस.
0 नाना आर के आर गौनेला 1963, माँ रेणु जी पिल्ले 1991बैच की आईएएस हैँ तो बेटा अक्षय छ्ग में 2022बैच का आईएएस बनेगा । इनके पिता संजय पिल्ले 1988बैच के आईपीएस हैं।
0हरियाणा के कॉंग्रेस के 27 विधायक और एक सांसद तथा रास प्रत्याशी रायपुर पहुंचे….. रास चुनाव में मतदान करने 10जून को जाएँगे वापस…..
0जबलपुर में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ससुराल है। भाजपा की पूर्व सांसद जयश्री बैनर्जी उनकी सास हैं।