नई दिल्ली : काबुल एयरपोर्ट के पास बृहस्पतिवार को आत्मघाती बम धमाकों ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। भारत ने 31 अगस्त तक हर हाल में अपने 20 नागरिकों के साथ 140 सिख-हिंदुओं को भी निकालने की तैयारी की है।
मौजूदा हालात में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत रूस के जरिये तजाकिस्तान के संपर्क में है, वहीं ईरान से भी बैक चैनल से बातचीत कर रहा है। धमाकों के बाद अब भारत की नजरें अमेरिका-फ्रांस जैसे देशों के भावी रुख पर टिकी हैं।
स्थिति को लेकर भारत सतर्क…
अनुमान है कि काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों के हटने के बाद इस पर या तो तालिबान का कब्जा होगा या एयरपोर्ट बंद हो जाएगा। दोनों ही स्थिति में भारत के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी। अगर 31 अगस्त से पहले भारत अपने नागरिकों और मदद मांगने वाले सिख-हिंदू शरणार्थियों वहां से नहीं निकाल पाया तो उसकी मुश्किलें और बढ़ेंगी।
भारत ने तैयार किया बैकअप प्लान…
एयरपोर्ट बंद होने की स्थिति में भारत ने बैकअप प्लान भी तैयार किया है। उस स्थिति में तजाकिस्तान और ईरान दो ही ऐसे देश हैं, जिससे भारत को मदद मिल सकती है। भारत दोनों से संपर्क में है। इन दोनों देशों की सीमाएं अफगानिस्तान से लगती हैं और यदि एयरपोर्ट बंद हुआ तो भारत इनकी सहायता ले सकता है।
तालिबान से बातचीत पर ऊहापोह…
सूत्रों का कहना है कि दो दशक बाद सत्ता में आए तालिबान का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। तालिबान की पाकिस्तान के साथ सहानुभूति है। हालांकि उसने अब तक कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की हां में हां नहीं मिलाया है।
मुश्किल यह है कि सत्ता में आए तालिबान पर हक्कानी नेटवर्क हावी है और हक्कानी नेटवर्क भारत विरोधी है। फिर नई परिस्थिति में अमेरिका सहित कई अहम देशों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जबकि चीन-ईरान और पाकिस्तान तालिबान से संबंध बेहतर बनाने में जुटा है