कल समंदर से मिली तो, नाम सागर हो गया…. इस नदी का दोस्त, खारापन उजागर हो गया….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )        

कोरोना महामारी के चलते छग में भी लंबे लॉकडाऊन के चलते आर्थिक स्थिति लगभग बिगड़ गई है। केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता मांगी है वहीं 10 हजार करोड़ की तत्काल मदद के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है पर पहले ही की तरह इस बार भी पत्र का जवाब नहीं आया है। इधर केंद्र से छत्तीसगढ़ को आर्थिक मदद के नाम पर सत्ताधारी दल कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा में बयानबाजी का दौर जारी है। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री केयर में 65 हजार करोड़ जमा है उससे प्रदेश का हिस्सा मिलना चाहिए, संकट के इस दौर में भाजपा के सांसदों ने प्रधानमंत्री केयर में मदद की है। इधर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि प्रदेश मजदूर श्रम कल्याण बोर्ड में 350 करोड़ जमा है उसे पहले राज्य सरकार को खर्च करना चाहिए वहीं मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा राशि का भी राज्य सरकार को हिसाब देना चाहिए। बहरहाल भाजपा नेताओं की अपनी मजबूरी है वे प्रधानमंत्री से न तो कुछ पूछ सकते हैं और न ही सलाह दे सकते हैं।
इधर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंहदेव ‘बाबा’ की माने तो भारतमें संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य की अपनी भूमिका होती है। कोरोना महामारी के चलते छग जैसे छोटे राज्य को केंद्र से मदद मिलना ही चाहिए, मदद की बात तो दूर प्रदेश का बकाया हिस्सा भी केंद्र से नहीं मिल पा रहा है। जीएसटी सेस का पिछले वर्ष का 1556 करोड़ ही राज्य का बकाया है। उनका कहना है कि राज्य का औसत प्रति माह खर्च 12 हजार करोड़ का होता है इसमें 3000 करोड़ तो स्थापना खर्च ही होता है। प्रदेश की बड़ी आय आबकारी शराब, खनिजऔर रजिस्ट्री आदि से ही होती है पर पिछले डेढ़ माह से सब बंद है। ऐसे में प्रदेश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। कोरोना से अपने दम पर मुकाबला, राशन कार्डधारियों सहित अन्य लोगों को राशन सुलभ कराने, राहत कैम्प चलाने, कोटा राजस्थान से छात्र-छात्राओं की वापसी के बाद अब एक- सवा लाख श्रमिकों की वापसी के बाद रेल किराया, उनको 14 दिन क्वारंटाईन में रखना, उनका परीक्षण, उनकी सकुशल घर वापसी, कोरोना महामारी से निपटने अभी राज्य को खर्च करना ही पड़ेगा। बहरहाल अभी देश-प्रदेश को करोना वायरस के हमले के तीसरे दौर से भी मुकाबला करना है ऐसे में केंद्र से आर्थिक मदद मिलना जरूरी है।

शराबी और…..        

बादलों से सलाम लेता हूं
वक्त का दामन थाम लेता हूं
मौत भी मर जाती है पल भर के लिए
जब मैं हाथों में ‘जाम’ लेता हूं…

प्रसिद्ध कवि स्व. गोपालदास नीरज ने यह कविता जब लिखी होगी तो निश्चित ही शराब या सोमरस को लेकर उस समय के हालात पर लिखी होगी पर कोरोना संक्रमण के चलते ही प्रदेश की शराब दुकानों में बढ़ रही भीड़ से यह तय है कि शराब से नहीं तो संक्रमण से लोगों की जान जा सकती है। 40 दिन के लॉकडाउन के बाद शराब प्रेमी जिस तरह से शराब दुकानों पर एकत्रित हो गये वह अप्रत्याशित नहीं था। छग में रेड जोन की कुछ दुकानें छोड़कर अन्य दुकानों में 2दिनों में 50करोड़ की शराब बिक्री की खबर मिली है. वैसे शनिवार-रविवार को अब शराब दुकानें बंद रहेंगी पर उसका असर इसलिए नहीं होगा क्योंकि शराब प्रेमी शुक्रवार को ही अपना स्टाक पूरा जमा कर लिये होंगे.. ..
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शराब बंदी का वादा किया था बस उसी को लेकर अब प्रदेश की विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस की भूपेश सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगा रही है। 15 साल सत्ता की बागडोर सम्हालने वाली रमन सरकार ने शराब की खपत कम करने करीब 250 दुकाने बंद भी की थी…….? पर शराब की खपत बढ़ ही गई थी। वैसे भाजपा के पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट आई थी जिसमें छग में 100 में औसतन 32 लोगों को शराब पीने का आदी बताया गया था… छत्तीसगढ़ राज्य जब 2000 में म.प्र. से पृथक होकर गया था। 2002-2003 में शराब से 362.32करोड़ की आय होती थी जो 2011-12 में 1624.32 करोड़ की आय में तब्दील हो गई यह शराबी शराबखोरों की बढ़ती संख्या की तरफ इशारा करता है। एक रुपये किलो चांवल देने की रमन सरकार की योजना के बाद शराब खोरी निश्चित ही बढ़ी थी। ठेकेदारों के स्थान पर सरकार द्वारा शराब बेचने का निर्णय भी रमन सरकार ने लिया था। वैसे पिछले आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने भी कहा था कि छग में शराबबंदी मुश्किल है क्योंकि यह छग की संस्कृति से घुल मिल गया है। वैसे उनका यह भी सुझाव था कि लोग शराब पीने नहीं जाएंगे तो शराब दुकानें अपने आप बंद हो जाएगी।

शराब, राजनीति और दर्शन…..

एक कवि विचारक, शायर की एक बात याद आ रही है। उनकी मुफलिसी देखर नवाब ने उन्हें आर्थिक मदद करनी चाही पर खुद्दारी के चलते उन्होंने मदद लेने से इंकार कर दिया, तब नवाब ने मुशायरा आयोजित कर उन्हें शिरकत करने बुलाया और बाद में इनाम स्वरूप सोने के कई सिक्के दिये…। सिक्के लेकर वे सीधे शराब ठेके में पहुंचे और बहुत सी शराब लेकर घर गये… पत्नी ने कहा कि घर में अनाज नहीं है, पहनने पर्याप्त कपड़े भी नहीं है घर की मरम्मत भी जरूरी है…। तब शायर ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान का इंतजाम तो भगवान करता है, शराब का नहीं इसलिए मैं शराब खरीदकर ले आया हूं…।
वैसे शराब पर राजनीति भी हुई है,
आपातकाल जब भारत में लगा था त अज़ीज़ नाजा की कव्वाली ‘ झूम बराबर झूम शराब’ निशाने पर रही थी। इसमें उल्लेख था…..

आज ही अंगूर की बेटी से
मोहब्बत कर ले…
शेख साहब की नसीहत से
बगावत कर ले….
जिसकी बेटी ने उठा रखी है
सर पर दुनिया……
ये तो अच्छा हुआ अंगूर
को बेटा न हुआ…..

बस इसी पैरे को लेकर कांग्रेस के निशाने पर आ गये थे अजीज नाज़ा…
अंगूर की बेटी, शेख साहब की नसीहत, जिसकी बेटी ने सर पर उठा रखी है दुनिया…. इसका इशारा किसकी तरफ था आसानी से समझा जा सकता था….।

अवैध शराब के
लिये अलग विंग….    

छत्तीसगढ़ में अब अवैध शराब पकडऩे के लिये आबकारी, पुलिस विभाग से अधिकार वापस लेकर एक नया विंग तैयार करने की तैयारी हो रही है। इसके मुखिया होंगे पुलिस विभाग के एक डीआईजी…।
खबर मिली है कि प्रदेश में शराब की अवैध बिक्री रोकने एक डीआईजी के नेतृत्व में एक विंग बनाने की तैयारी हो रही है। इसी के साथ सभी जिलों में डीएसपी के नेतृत्व में पुलिस के लोगों को प्रतिनियुक्ति में लाकर एक अलग विंग बनाई जाएगी और ये लोग बतौर आबकारी थाने के रूप में कार्य करेंगेl यह विंग आबकारी – पुलिस किसी के अधीन होगा यह अभी खुलासा नहीं हो पाया है। पर एक अधिसूचना जारी कर आबकारी और पुलिस विभाग को अवैध शराब बिक्री रोकने प्रतिबंधित किया जा सकता हैl
दरअसल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को उपकृत करने उसकी अभी तक की सेवा का प्रतिफल देने यह निर्णय लिया जाने वाला है। वैसे अभी तक इस तरह की व्यवस्था किसी अन्य प्रदेश में है या नहीं इसका पता नहीं लग सका है। ज्ञात रहे कि अभी तक आबकारी विभाग के अलावा पुलिस को अवैध शराब की बिक्री रोकने छापा मारने का अधिकार प्राप्त था।

और अब बस….

0 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सबसे पसंदीदा मंत्री कौन है? इसको लेकर लॉकडाउन में मंत्रालय में चर्चा तेज है।
0 क्या लॉकडाऊन के हटने के बाद पुलिस मुख्यालय सहित मंत्रालय में बड़ा फेरबदल हो सकता है।
0 किस पुलिस कप्तान को जल्दी ही एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने की चर्चा है।
0 महाराष्ट्र से अपने घर उमरिया (मप्र)लौट रहे मजदूरों के मॉलगाड़ी से कटकर मरने के लिये आखिर कौन जिम्मेदार है…..

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