चुका दूंगा तेरा भी कर्ज ए जिदंगी ,तु फकत ये बता की तेरी कीमत क्या है….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )    

छत्तीसगढ की भूपेश सरकार पिछले दो सालों के भीतर 25 हजार 277 करोड रूपए का कर्ज ले चुकी है। वहीं अब छग सरकार पर फिलहाल 66 हजार 968 करोड का कुल कर्ज हो गया है। वैसे 15 सालों तक प्रदेश सरकार की बागडोर संभालने वाली डाॅ रमन सिंह की सरकार ने 41 हजार 691 करोड का कर्ज विरासत में नई सरकार के लिए छोडा था, जैसे कॉंग्रेस की पहली अजीत जोगी की सरकार हटने पर डाॅ रमन सिंह सरकार को विरासत में 8 हजार करोड कर्ज मिला था।
विपक्ष का कांग्रेस की भूपेश सरकार पर आरोप है कि 207 करोड तो कर्ज का ब्याज पर ही हर माह सरकार को खर्च करना पडेगा। इधर, सरकार का कहना है कि भूपेश सरकार ने कर्ज, किसानों का कर्ज माफ करने ,2500 रूपए में धान खरीदी करने, राजीव न्याय योजना के तहत किसानों को केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि के अतिरिक्त राशि किसानों को देने , वनोपज का मूल्य बढाने , बिजली बिल हाफ करने जैसी योजनाओं के लिए लिया है। कांग्रेस की सरकार ने 9750 करोड का किसान का कर्ज माफ किया है। करीब 5700 करोड रूपए 2500 रूपए प्रति क्विंटल धान की खरीदी पर अतिरिक्त भुगतान पर खर्च किया है। कांग्रेस के सूत्र कहते हैं कि मुफ्त मोबाइल वितरण , स्काई वाॅक , तथा एक्सप्रेस वे जैसी योजनाओं सहित राज्योत्सव में फिल्मी कलाकार सलमान खान, करीना कपूर को लाने पर करोडो रूपए फालतू खर्च करने जैसी भाजपा की योजनाओं के मुकाबले हम इमानदारी से किसान तथा आम लोगों को राहत पहूंचाने खर्च कर रहे हैं और इसके लिए हम कर्ज और भी जरूरत पडने पर लेते रहेंगे। वैसे कांग्रेस का यह भी आरोप है कि नया रायपुर की बसाहट पर भाजपा की सरकार के कार्यकाल में 2010 से लेकर अभी तक 5 हजार करोड खर्च करने की बात सामने आई है। इसमें 99 प्रतिशत राशि भाजपा के कार्यकाल में खर्च की गई है। खुद तो भाजपा की सरकार वहाँ रहने नहीं गई और इतनी बडी राशि बसाहट पर खर्च कर दी इसकी भी जांच कराई जा रही है। कुल मिलाकर भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में काबिज नेता और भूपेश सरकार के बीच अब कर्ज को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी हो गया है।

गांधी मूर्ति से राजनीति…       
अविभाजित मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री , उत्तरप्रदेश के पूर्व राज्यपाल , अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष, दुर्ग के मूल निवासी मोतीलाल वोरा 93 साल की उम्र में चल बसे। छत्तीसगढ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद कुछ ही महीनों के भीतर मोतीलाल वोरा का निधन निश्चित ही छग के लिए अपूरणीय क्षति है। वोरा , अजीत जोगी , विधाचरण शुक्ला तथाश्यामा माचरण शुक्ल से छत्तीसगढ को पहचाना जाता था, कैसे राजनांदगांव में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में कार्यरत मोतीलाल वोरा महात्मा गांधी के प्रति निष्ठावान थे। उन्होने प्रति यात्री से किराए में 10 पैसे अधिक लेकर राजनांदगांव में महात्मा गांधी की मानवकार मूर्ति की स्थापना कराई थी। बाद में उस ट्रांसपोर्ट कंपनी से तबादले पर वो दुर्ग आ गए। 1972 में वोरा कांग्रेस की ओर से विधायक चुने गए तब के मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी ने उन्हें राज्य परिवहन निगम का उपाध्यक्ष नियुक्ति कर राज्यमंत्री का दर्जा दिया, 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी , श्यामा चरण शुक्ल जैसे दिग्गज हार गए पर वोराजी ने विजय हासिल की। 1980 के चुनाव में विजयी होने के बाद 1981 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल से वोराजी को महाविधालयीन शिक्षा तथा स्थानीय शासन (नगर पालिकाएं) विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। बाद में वे कबीना मंत्री भी बने। बाद मेें मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुंदर शर्मा के निधन के बाद राजेंद्र प्रसाद शु क्ला विधानसभा अध्यक्ष थे( तब) तथा मोतीलाल वोरा में अर्जुन सिंह की सलाह पर वोराजी को प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस आला कमान ने नियुक्ति किया। उनके और अर्जुन सिंह के कार्यकाल में कांग्रेस को तीन-चैाथाई से अधिक बहुमत मिला। 9 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, 10 को मंत्रिमंडल की सूची अनुमोदित कराने दिल्ली गए और 11 मार्च को उन्हें पंजाब का राज्यपाल नियुक्ति कर दिया गया। इसमें उल्लेखनीय बात यह है कि अर्जुन सिंह ने अपनी पत्नी सरोज सिंह को भोपाल से वोरा को दिल्ली लाने को कहा, विमान से मोतीलाल वोरा , सरोजसिंह से अर्जुन सिंह से कहकर अच्छा विभाग मंत्रिमंडल में दिलवाने का अनुरोध कर रहे थे। सरोज सिंह को जबकि पता था कि अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा को अपना उत्तरा धिकारी चुना है और वे मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री हैं। बहारहाल 12 मार्च को दिल्ली से लौटकर मोतीलाल वोरा ने मप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और शपथ के बाद ही अर्जुन सिंह पंजाब के राज्यपाल का पदभार संभालने चंडीगढ चले गए। अर्जुन सिंह के छाया मुख्यमंत्री के रूप में वोराजी काम करते रहे। फरवरी 1988 में वोराजी केंद्र में स्वाथ्य एवँ नागरि क उडडयन मंत्री बने और अर्जुन सिंह फिर से मप्र के मुख्यमंत्री बने। उसके आद माधवराज सिंधिया और मोतीलाल वोरा ने मप्र की यात्राएं की जिन्हें मीडिया ने माधव- मोती एक्सप्रेस की संज्ञा दी थी। फिर केरवा डेम के पास अर्जुन सिंह का मकान निर्माण, चुरहट बाल कल्याण समिति की लाॅटरी के तथाकथित घोटाले आदि मामले को लेकर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री सिंह की टिप्पणी कि “एक प्रतिठित जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें यानी (अर्जुन सिंह)को राष्ट्र को जवाब देना चाहिए”। कांग्रेस आलाकमान ने अर्जुन सिंह को त्यागपत्र देने का निर्देश दिया और मोतीलाल वोरा दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।

बाद में वे 26 मई 93 से 3 मई 96 तक उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रहे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोषध्यक्ष भी बने तथा राजीव ,सोनिया से लेकर राहुल गांधी के करीबी बन गए थे। एक बात उनके बारे मे कहना पडेगी कि अपनी अच्छी पहूँच, गैर कांग्रेस दलों के बडे नेताओं से मधुर संबंध होने के बाद भी वे कभी भी वीआईपी कल्चर से नहीं जुडे। आम लोग भी उनसे आसानी से मिल लिया करते थे। उनसे सिफारिश भी करा लिया करते थे। काम कितना होता था ये तो सिफारिश करवाने वाले की किस्मत पर निर्भर करता था। एक कहावत पहले मप्र में चलती थी कि “अर्जुन सिंह के दिमाग और मोतीलाल वोरा के भाग्य” का बीमा कराना चाहिए।
डीजीपी को समय..!
छत्तीसगढ में मुख्यसचिव अमिताभ जैन के बनने के बाद उन पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सूत्र कहते कि विधानसभा सत्र के बाद पुलिस विभाग में बडा फेरबदल हो सकता है। पर डीजीपी उससे प्रभावित होंगे ऐसा फिलहाल तो नहीं लग रहा है। सूत्र करते हैं कि डीएम अवस्थी के बाद सरकार की पहली पंसद अशोक जुनेजा हैं। पर कुछ पुलिस कप्तानों ने उनके बनने के पहले ही अपनी नाराजगी से सरकार के कुछ करीबियों को अवगत करा दिया है। वैसे डीएम अवस्थी का 2 साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है और उन्हें डीजीपी पद से हटाने में उन्हें अब सरकार की कानूनी बाध्यता भी समाप्त हो गई है। क्योंकि दो साल से पहले किसी डीजीपी को हटाने का आधार होना चाहिए। इधर सूत्रों को कहना है कि भूपेश सरकार के आस-पास रहने वालों से डीजीपी डीएम अवस्थी को फिलहाल तीन माह का वक्त काम दिखाने का मिल चुका है और ग्रहमंत्री कितना भी जोर लगा लें कुछ होगा ऐसा लगता नहीं है। पर फिर भी डीजीपी अवस्थी रहेंगे या नहीं इसका अंतिम फैसला तो सीएम भूपेsh बघेल को ही लेना है।

…और अब बस
1 छत्तीसगढ की पहली महिला पदमश्री तथा पदमविभूष्ण तीजन बाई के जीवन पर बनने वाली फिल्म में उनका किरदार विघा बालन तथा उनके नाना का किरदार अमिताभ बच्चन निभाएंगे।
2 पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के आक्रांमक तेवर पर कांग्रेस सहित भाजपा के नेता भी आश्चर्यचकित हैं।
3 कुछ पुलिस अधीक्षक़ो के तबादले अब नए साल में ही होंगे। परिवहन में भी प्रभारी की नियुक्ति एसपी स्तर के एक अधिकारी की होने की चर्चा है।
4 निगम मंडलों में अब नए साल में नियुक्तियां होंगी ।

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