शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार इस वक्त देश में अमृतकाल चल रहा है यह 25 साल चलेगा… देश की आजादी के 100 साल यानि सन 2047 तक चलेगा।देश में 80%आबादी के पास खाने के लिए भोजन नहीं हैं(केंद्र सरकार का 5किलो अनाज मुफ्त देने का दावा) करोड़ों लोग कोरोना महामारी में बेरोजगार हो गय हैँ…पिछला बजट अमृतकाल के 25 साल में 60 लाख रोजगार देने की बात की गईं हैं…इस बार बेरोजगारी का मसला ही गोल है,पर पिछले चुनाव के समय 2करोड़ हर साल रोजगार देने के वादे का क्या हुआ….? इस बजट में उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए 7 लाख रुपये तक की कुल कमाई करने वालों को बड़ी राहत दी है। इन लोगों को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब की संख्या भी घटाकर 5 कर दी गई है। किसानों की आय दोगुनी करने के वादे का क्या हुआ…100 स्मार्ट सिटी बनी कि नहीं…साल 2023-24 के बजट में मनरेगा के लिए बजट आवंटन महज 60 हजार करोड़ रुपये का है। यह पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी कम है। इससे उलट एक साल पहले इस योजना के लिए बजट में 73 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। बाद में इसे रिवाइज कर 89,400 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इससे एक साल पहले मतलब 2021-22 में इस योजना को 98,468 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। साल 2020-21 में तो इसके लिए बजट में तो 61,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, पर बाद में इसे रिवाइज कर 1,11,500 करोड़ रुपये कर दिया गया था।शिक्षा के बजट में कटौती की गईं है। इधर रेल बजट में बड़ी वृद्धि की गईं है पर बुजुर्गो को रियायत नहीं, टिकट रद्द कराने पर जीएसटी में राहत नहीं, मँहगे टिकट में राहत नहीं और यात्री सुविधाओं में कोई राहत नहीं यही उपलब्धि है…?
इस साल के मोदी सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट का हाल… खैर हम बजट के इतिहास पर चलते हैं…..ब्रिटिश क्राउन के अंतर्गत ईस्ट इंडिया कंपनी के ज़रिए हिंदुस्तान में 7 अप्रैल, 1860 को पहला बजट जेम्स विल्सन ने पेश किया था.देश की आजादी के बाद पहले वज़ीरे खज़ाना (वित्त मंत्री ) आर. शन्मुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को शाम 5 बजे आज़ाद हिंदुस्तान का पहला बजट पेश किया था. हालांकि यह मुकम्मल बजट नहीं था.आज़ाद हिंदुस्तान का पहला बजट केवल 7 महीने (15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च 1948 तक) के लिए ही पेश किया गया था। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था का जायज़ा किया गया और कोई नया टैक्स नहीं लाया गया था. देश के इतिहास में सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री मोरारजी देसाई हैं।देसाई 1959 में भारत के वित्त मंत्री बने थे. उन्होंने 10 बार बजट पेश किया।मोरारजी ने 1964 और 1968 में दो बार अपने जन्मदिन 29 फरवरी को बजट पेश किया।मोरारजी देसाई के बाद पी चिदंबरम ने सर्वाधिक 8 बार बजट पेश किया है। प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान और सीडी देशमुख ने 7 बार बजट पेश किया।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली ही ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने लगातार 5 बार बजट पेश किया. निर्मला सीतारमण ने 4 बार….।संसद में बजट पेश करने वाली महिलाओं में सिर्फ इन्दिरा गांधी और निर्मला सीतारमण शामिल हैं।
कभी अनसुईयाजी और
डॉ रमन एक दूसरे के खिलाफ थे….?
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनसुईया उइके और छ्ग सरकार के बीच तल्ख़ी की खबरें आती रहती हैं, आरक्षण मुद्दे पर तो सरकार सीधे-सीधे भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगा चुकी है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल खुद अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही हैं। जो बिल विधानसभा से पारित हुआ है उसके बारे में सरकार से पूछने का उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है। उसी के आधार पर तो हम कोर्ट गए हैं। कोर्ट ने यदि उसको नोटिस दिया है तो उसका जवाब कोर्ट को देना चाहिए, बाहर नहीं। अगर उनको वकील भी लगाना है तो राज्य सरकार से पूछकर ही लगाएंगी ना…। क्योंकि सरकार की सलाह से ही राज्यपाल काम करती हैं। वैसे सीएम भूपेश बघेल तो 26 जनवरी को महामहिम से मिलने भी गये थे पर उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने दूरी बनाए रखी….? वैसे कभी मप्र कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल का हिस्सा रहीं, डॉ चरणदास महंत के साथ मंत्री रहीं अनसुईयाजी से छ्ग का पुराना नाता है, ज़ब खरसिया विधानसभा उप चुनाव हुआ था….वर्ष 1988 में एक बार खरसिया ने मध्यप्रदेश की राजनीतिक फिजां को बदल दिया था, खरसिया संघर्ष के 18 दिनों में ऐसा मंथन हुआ कि उस मंथन से कई हीरे निकले…डॉ.रमन सिंह की तब खरसिया उपचुनाव में ड्यूटी मुड़ीपार गांव में लगी थी,लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के विश्वस्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जिसमें अपर मुख्य सचिव जैसे लोग खरसिया में डेरा डाले हुए थे,ऐसे में डॉ.रमन सिंह भाजपा की ओर से कमान सम्हाले हुए थे मुड़ीपार में। तब जिस पटेल के घर डॉ.रमन सिंह और उनकी टीम को आश्रय मिला हुआ था,उसने प्रशासनिक दबाब में घर खाली करा दिया गया था । डॉक्टर साहब और उनकी टीम ने बड़ के पेड़ के नीचे डेरा जमाया। गांवों वालों के बीच निशुल्क दवाएं,इंजेक्शन औऱ चेक अप करते हुए उनका विश्वास हासिल करने का प्रयास किया थाअर्जुनसिंह और दिलीप सिंह जूदेव के बीच कठिन मुकाबला हुआ था तब अर्जुनसिंह के प्रचार प्रसार के लिये सुश्री अनसुईयाजी भी आई थीं…..उन्होंने जमकर प्रचार किया था,वे तो काफ़ी बाद में भाजपा की सदस्य बनीं? वे जन्मजात तो भाजपाई नहीं रहीं और न ही संघ से जुडी रहीं…? कांग्रेस की विचारधारा को अच्छे से जानने वालीँ सुश्री अनसुईयाजी से कांग्रेस की इतनी तल्ख़ी क्यों…? वैसे अविभाजित मप्र में विधायक रहते हुए उनके छ्ग की रश्मिदेवी सिंह से भी मधुर सम्बन्ध थे क्योंकि दोनों भोपाल में पड़ोसी भी थे।
छ्ग का पहला बजट..
‘राम’ और ‘सेवाराम’…?
अविभाजित मप्र में 1985 बैच के आईएएस सेवाराम दंतेवाड़ा में एसडीऍम, जगदलपुर, रायपुर में एडीशनल कलेक्टर तथा दुर्ग में कलेक्टर भी रहे। हाल ही में उनसे मुलाक़ात रायपुर में हुई, वे बस्तर घूमने आए थे। चंडीगढ़ में रह रहे इस पूर्व अधिकारी ने बताया कि ज़ब छ्ग बना और पहला बजट बनाना था तब यहाँ किसी भी अधिकारी को बजट बनाने का पूर्व अनुभव नहीं था तब छ्ग के पहले सीएम अजीत जोगी के अनुरोध पर तब के मप्र के सीएम दिग्विजय सिँह ने मुझे भेजा था और हमारी टीम ने छ्ग का पहला बजट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बने 22साल से अधिक हो गए। अब प्रदेश की आकांक्षाएं लेकिन इसकी कहानी शुरू हुई थी।5 हजार 700 करोड़ रुपए की मामूली राशि से 2001 में इतनी राशि का पहला बजट आया था।नवम्बर 2000 में छत्तीसगढ़ की पहली सरकार ने कामकाज संभाला। नया राज्य, बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन राज्य के पास आय के पर्याप्त साधन नहीं थे। सरकार का कामकाज चलाने के लिए पहले वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने करीब 1300 करोड़ रुपए का अंतरिम बजट पेश किया था। बाद में 2001-02 के लिए आम बजट आया। उसका आकार करीब 5 हजार 700 करोड़ रुपए था।
छ्ग की नौकरशाही में अब
पुरानी बोतल, नई शराब…
भूपेश बघेल सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा के पूर्व चेयरमैन विवेक ढांड को ‘छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग‘ का अध्यक्ष नियुक्त किया है।वहीँ राजभवन ने पूर्व आईएएस तथा सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल को रेडक्रास सोसायटी का चेयरमेन बनाया है तो छ्ग सरकार ने रिटायरमेंट के बाद 2003 बैच के प्रमोटी आईएएस निरंजन दास को संविदा नियुक्ति देकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाया है। रिटायरमेंट के पहले तक निरंजन दास के पास एक्साइज कमिश्नर का प्रभार था। सरकार ने संविदा में नियुक्त निरंजन दास को आयुक्त आबकारी फिर बना दिया है । राज्य में अब संविदा वाले तीन आईएएस हो गए हैं। डॉ आलोक शुक्ला स्कूल और तकनीकी शिक्षा के प्रमुख सचिव हैं तो डी डी सिंह मुख्यमंत्री के सचिव के साथ सामान्य प्रशासन विभाग और आदिमजाति कल्याण के सचिव हैं।
अडाणी और 3.75%
आम लोगों के शेयर……
अदाणी समूह के 1 अरब 14 करोड़ शेयर में से 73 करोड़ (64 प्रतिशत) ख़ुद अदाणी-परिवार के पास हैं। 18 करोड़ (16 प्रतिशत) विदेशी संस्थानों के पास हैं। सिर्फ़ ढाई करोड़ शेयर (सवा दो फ़ीसदी) आम निवेशकों के पास हैं और साढ़े चार करोड़ (पौने चार प्रतिशत) देसी वित्तीय संस्थानों के पास। सरकार को किस के डूबने की चिंता है? 6 प्रतिशत लोगों की या 91 प्रतिशत सेठों की….?
और अब बस….
0छ्ग के 2008 बैच के आईएएस नीरज बँसोड़, गृह मंत्री अमित शाह के निजी सचिव बनाए गये हैं।
0महादेव ऐप डायरेक्टर (सट्टा किंग) सौरभ चंद्राकर के विवाह समारोह में शामिल होने कुछ लोगों के दुबई जाने की खबर है।
0कभी कॉंग्रेस वर्किंग कमेटी में अजीत जोगी, ताम्रध्वज साहू सदस्य रहे हैँ।अब भूपेश बघेल का सी डब्लू सी का मेंबर बनना तय माना जा रहा है।
0सरल, सौम्य छवि वाले डॉ रमनसिंह की आखिर भाजपा आलाकमान उपेक्षा क्यों कर रहा है.?