शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) बुलडोजर के पड़ोसी राज्य उप्र में दुरुपयोग को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है वहीं छ्ग में बुलडोजर के सदुपयोग से एक मासूम की जान बचाना भी चर्चा में है।सामूहिक प्रयास हमेशा परिणाम देता है, सबके प्रयास एवं प्रार्थना से मानव जीवन को बचाया गया ।
राहुल ने मौत को मात देकर जिंदगी की एक बड़ी जंग जीत ली। मूक बधिर राहुल साहू एक छोटे सांप, एक मेढक के साथ, गहरे बोरवेल में, 5 दिन तक केला, जूस,ओआरएस, कुछ दवाइयों के सहारे, बोरवेल के पानी की बढ़ती घटती सतह के बीच, ऊपर से भेजी गईं रस्सी, बर्तन में पानी भरकर भेजते हुए समय गुजारा तो बचाव दल लगातार रस्सी से ऊपर खींचने में असफल होने पर रोबट का सहारा लिया वह प्रयोग भी असफल रहा तो सामानांतर गड्ढा खोदा गया ,कड़े ग्रेनाइट पत्थरों के अवरोध के चलते लम्बा समय लगा पर आखिर सफलता मिली ही…. वैसे छत्तीसगढ़िया सीऍम भूपेश बघेल की लगातार सतत निगरानी, बचाव दल का उत्साहवर्धन करने की भूमिका भी अहम रही.इस कठिन कार्य को सकुशल अंजाम देने के लिए 5 दिनों तक दिन-रात लगी सेना एनडीआरएफ, एसडीआरएफ,पुलिस,अन्य एजेंसियाँ,जिले के कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला,पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल,नये जिले सक्ति के ओएसडी ऍम आर अहिरे (आईपीएस ) जांजगीर की सीईओ, सक्ति के एसडी ऍम (दोनों आईएएस) बिलासपुर के आईजी रतन लाल डांगी अन्य समस्त टीम को सैल्यूट….. सबके के अथक प्रयास से ही ऑपरेशन सफल हो सका, इसके लिए समस्त रेस्क्यू टीम को बहुत-बहुत बधाई….छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में बोरवेल में गिरे मासूम राहुल के रेस्क्यू अभियान में डटे एसपी विजय अग्रवाल की तबीयत बिगड़ भी गई। एसपी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उनकी सेहत जांची। डॉक्टरों ने थकान और नींद पूरी नहीं होने की वजह से सेहत खराब होना बताया….। उपचार के बाद एसपी की सेहत में सुधार हुआ, जिसके बाद वे फिर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए…..।दरअसल एसपी विजय अग्रवाल पुलिस भर्ती (सकरी बिलासपुर) में 3 जून से लगे हैं, सुबह 5बजे जांजगीर से सकरी जाकर रात 11/12बजे तक लौटने का क्रम चलता रहा इसी बीच बोरवेल से राहुल को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गईं ।खैर अब वे ठीक हैं।छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक का यह सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन है, जिसे एसपी और कलेक्टर लीड कर रहे थे ।बाद में दिल्ली से लौटकर सीएम ने राहुल का आपोलो अस्पताल बिलासपुर पहुंचकर उसके स्वास्थ की जानकारी ली वहीँ राहुल को बोरवेल से निकालने के अभियान में लगे लोगों को सम्मनित भी किया।
जनसम्पर्क के कमल ज्योति
बधाई के पात्र…..
आपरेशन राहुल को बोरवेल से निकालने चले लम्बे आपरेशन में पल पल की लगातार जानकारी घटनास्थल से मिडिया को सुलभ कराने वाले जनसम्पर्क विभाग के एक मात्र सहायक जनसम्पर्क अधिकारी कमल ज्योति जाहिरे बधाई के पात्र हैं…वैसे राहुल के परिजनों सहित बचाव कार्य में लगी टीम से सीएम भूपेश बघेल से समन्वय में पवन गुप्ता (सीएम के साथ संलग्नअफसर)ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।हालांकि कुछ बड़े विभागीय अफसर इनके द्वारा भेजी खबरों को ट्वीट कर श्रेय लेने में पीछे नहीं रहे…..?वैसे क़ल सम्मान समारोह में तो नहीं पर आज सीएम हाउस में इन्हे सम्मानित किया गया।क़ल कुछ बड़े जनसम्पर्क अधिकारी सम्मनित हुए थे….?
राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति…?
पर सांसद, विधायक नहीं।
आज़ादी के बाद से यह पहली बार हुआ है कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल व देश की सबसे बड़े राजनैतिक दल में एक भी मुस्लिम न तो सांसद हैं और न ही कोई निर्वाचित विधायक…. (संभवत :)। लोक सभा व राज्य सभा में भाजपा के सांसद क्रमश 301 व 95 है पर इनमें से एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं है जबकि देश में मुस्लिमों की संख्या लगभग 20.4 करोड़ है जो कुल आबादी का 15% हैं । इसी प्रकार देश के 31 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा के 1379 विधायकों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है । देश की कुल विधानसभा के 33% सदस्य भाजपा के हैँ जबकि लोक सभा में 55% तथा राज्य सभा में 38% सांसद भाजपा के है।अब सवाल यह है कि देश की 15% आबादी को अलग – थलग कर कोई राजनीतिक दल ‘ सबका साथ सबका विकास ‘ का नारा कैसे दे सकता है….? विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल होने का दावा करने वाली पार्टी अपने देश की 15% आबादी जो 20 करोड़ से भी अधिक है पर क्यों नहीं भरोसा कर रही है..?किसी दल की लोकप्रियता व स्वीकार्यता का पैमाना सिर्फ़ चुनाव जीतने से नहीं , बल्कि देश के हर समुदाय, जाति, व भौगोलिक क्षेत्र में स्वीकार्यता से मापा जाता है और जिसमें देश की सबसे बड़ी पार्टी खरी नहीं उतर पा रही है…हो सकता है कि अगामी कुछ दिनों में हम देश के महामहिम राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को सुशोभित होते देखें पर इन पदों पर विराजमान शख़्सियतों का सत्ता में सीधे कोई दखल नहीं होता और पद की गरिमा को देखते हुऐ ये किसी मुद्दे या समस्या पर आवाज़ नहीं उठाते हैं । हालांकि इनका समाज इनके चयन पर सिर्फ़ गर्व ही कर सकता है।
नेशनल हेराल्ड :काहे की जाँच…
काहे का घपला…?
सुब्रमण्यम स्वामी की एक शिकायत पर (एफ आई आर दर्ज नहीं) ईडी ने सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मोतीलाल वोरा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और शुरुआती जांच में पाया कि इस मामले में कोई केस बनता ही नहीं है। लिहाजा मामले को बंद कर दिया और ये साल था 2015 यानि मोदी सरकार के समय….।अब 2018-19 में ईडी ने इस मामले को फिर खोला और याद रहे 2018 वो साल था, जब मप्र,राजस्थान,छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराकर कॉंग्रेस ने सत्ता हासिल की थी।उसके बाद मामला शांत हो गया और अब एक बार फिर इस मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को समन भेजा है।राहुल से लम्बी पूछताछ की जा रही है…..दरअसल आज़ादी के बाद समय के साथ नेशनल हेराल्ड अखबार घाटे में जाने लगा था। इस संकट से उसे उबारने के लिए कांग्रेस ने साल 2002 से 2011 के दौरान इसे 90 करोड़ रुपए लगभग 100 किश्तों में ऋण दिया। इस 90 करोड़ रुपए की राशि में से 67 करोड़ रुपए नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों को वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिए उपयोग किया।बाकी की राशि को बिजली शुल्क, गृहकर, किराएदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान में इस्तेमाल किया गया। जो अख़बार कर्ज लेकर देनदारियां चुका रहा हो, वो घोटाला कैसे करेगा- ये समझ से परे है….?
माली हालत के चलते यह 90 करोड़ रुपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा चुकाना संभव नहीं था। इसलिए ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर दिया।चूंकि कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी- ये बिंदु इस केस का सारा सच बयां करने के लिए काफी है। जब कांग्रेस के पास स्वामित्व ही नहीं है , तो सोनिया या राहुल या मोतीलाल वोरा घोटाला कैसे करेंगे….?कांग्रेस शेयरों का स्वामित्व अपने पास तो नहीं रख सकती थी, इसलिए इसको सेक्शन-25 के अंतर्गत स्थापित ‘यंग इंडियन’ नामक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी, यानि ऐसी कम्पनी जो लाभ के लिए स्थापित नहीं की गई को आवंटित कर दिया गया।
कांग्रेस लीडरशिप के तौर पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडिस, मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे आदि ‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ कंपनी की प्रबंध समिति के सदस्य रहे, लेकिन स्वामित्व के नाम पर इनके हिस्से कुछ भी नहीं था…।‘नॉट-फॉर-प्रॉफिट’ की अवधारणा पर स्थापित किसी भी कंपनी के शेयर धारक/प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश, लाभ, वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते हैं। इसलिए, सोनिया गांधी, राहुल गांधी या ‘यंग इंडियन’ में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता। जब ऐसा कुछ हुआ नहीं तो क्राइम कैसा और केस कैसा….और सबसे बड़ी बात ये 5000 करोड़ का घोटाला कैसे….?जैसा आरोप भाजपा के कुछ नेता लगा रहे हैँ…
विमान बेचकर वसूला
जाएगा पार्किंग शुल्क
ढाका से मस्कट जा रहे बांग्लादेशी एयरलाइंस का विमान रायपुर में इमरजेंसी लैंडिंग के बाद करीब 7 साल से रायपुर एयरपोर्ट पर खड़ा है। तीन एयरपोर्ट डायरेक्टर बदलने के बावजूद अभी तक यह विमान रायपुर से बांग्लादेश के लिए रवाना नहीं हुआ है। विमान की कीमत करीब 180 करोड़ रुपए है। 2 दर्जन से ज्यादा ई-मेल लिखने और विदेश मंत्रालय के दबाव के बाद अब इस विदेशी एयरलाइंस ने केंद्रीय और रायपुर एयरपोर्ट अथॉरिटी को भरोसा दिलाया है कि विमान को बेचकर एयरपोर्ट का पार्किंग समेत दूसरे शुल्क अदा कर दिए जाएंगे। इस विमान को बेचने के लिए जल्द ही ग्लोबल ऑनलाइन टेंडर जारी किया जाएगा।इसके बाद विमान को जो खरीदेगा वो उसे अपने साथ ले जाएगा। 7 अगस्त 2015 को ढाका से मस्कट जा रहे इस विमान का इंजन फेल हो गया था। इसमें 173 यात्री सवार थे। रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर बेमेतरा में इंजन का एक हिस्सा आग लगने की वजह से टूटकर खेत में गिर गया था। इमरजेंसी में पायलट ने एटीसी से संपर्क कर आपातकालीन लैंडिंग की अनुमति मांगी थी। इसके बाद से अब तक विमान रायपुर में ही खड़ा है।
और अब बस..
0सीएम भूपेश बघेल के भेंट-मुलाक़ात की समाप्ति पर कुछ बदलाव मंत्रालय स्तर पर होने की चर्चा तेज है।कुछ विभागीय प्रमुखों पर गाज गिर सकती है।
0 उद्योग से जुड़े एक महत्वपूर्ण जिले से दूसरे उद्योग जिले के पुलिस कप्तान बने अफसर अपनी कार्यप्रणाली और व्यवहार को लेकर चर्चा में हैं …?