शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
कर्नाटक के विस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनना लगभग तय हो गया है। मोदी,शाह का जादू वहाँ चल नहीं पाया…।उनकी रैली और सभाओं से माहौल बदलने का दावा किया जा रहा था? शनिवार को कर्नाटक के परिणाम आए और बजरंगबली ने भी रामभक्तों (? )को मदद नहीं किया…? कर्नाटक, कॉंग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह प्रदेश है जहाँ भाजपा से सरकार कांग्रेस ने छीन लिया है,वहीं कुछ समय पहले हिमाचल,जो भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा का गृह प्रदेश था वहाँ से भी कांग्रेस की जीत हुई थी। यह परिणाम आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव की एक झलक मान सकते हैं, अगला लोस चुनाव भाजपा के लिये आसान तो नहीं होगा? कर्नाटक चुनाव में बजरंग बली चर्चा में रहे… बजरंगदल पर प्रतिबन्ध,बजरंगबली के अपमान से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई…?भाजपा के प्रमुख नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी (दोनों के नाम में भगवान कृष्ण) को लोस टिकट नहीं देकर मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया तो क्या भाजपा ने ‘कृष्णजी’ का अपमान किया…?भाजपा ने शिवसेना से गठबंधन तोड़ा यानि शिव(भगवान)और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया….?पवन खेड़ा (पवन, हनुमानजी का नाम ) को असम के सीएम ने गिरफ्तार करवाया यानि उन्होंने पवनसुत हनुमान का अपमान किया…. स्व. मनोहर पारिकर ने गोवा में राम सेना पर प्रतिबन्ध लगाया था यानि उन्होंने ‘रामजी’का अपमान किया था….राजस्थान सरकार यानि अशोक गहलोत की सरकार को गिराने भाजपा षडयंत्र रचती है तो क्या यह बुद्ध (सम्राट अशोक यानि महात्मा बुद्ध के शिष्य ) का अपमान है…? यदि नहीं तो फिर बजरंग दल पर टिप्पणी से बजरंग बली का अपमान कैसे हो गया…..?यह कर्नाटक की जनता ने बहुमत कॉंग्रेस के पक्ष में देकर स्पष्ट कर ही दिया….देश में बजरंग दल और बजरंगबली को लेकर विवाद चल रहा था।कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था “कांग्रेस पार्टी किसी भी ऐसे व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध ठोस और निर्णायक क़दम उठाने को प्रतिबद्ध है जो समुदायों के भीतर जाति या धर्म के आधार पर नफ़रत फैलाते हैं” ये हमारा यक़ीन है कि संविधान और क़ानून सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति या संस्था जैसे बजरंग दल,पॉपुलर फ़्रंट ऑफ इंडिया (पीएफ़आई)याअन्य बहुसंख्यकों या अल्पसंख्यकों के बीच दुश्मनी या नफ़रत फैलाने के लिए इसका उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। क़ानून के अनुसार ऐसे मामलों में सख़्त क़दम उठाएंगे, जिसमें उस तरह के संगठनों पर प्रतिबंध लागू करना भी शामिल है।पार्टी ने ये बात क़ानून और न्याय व्यवस्था को लेकर किए गए चुनाव संकल्प के भीतर कही है,जिसमें कहा गया है कि ‘क़ानून के समक्ष सभी बराबर हैं.’भाजपा और हिंदुत्व विचारधारा वाले संगठनों का आरोप है कि प्रतिबंधित ‘आतंकवादी’ संगठन पीएफ़आई के साथ-साथ बजरंग दल जैसे ‘राष्ट्रवादी’ संगठन का नाम लेकर ‘कांग्रेस ने अपनी मानसिकता का सबूत दिया है’.भाजपा समेत हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े संगठनों के विरोध और कांग्रेस की ओर से आ रहे बयानों के बीच आम लोगों के मध्य उन सभी मामलों- ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बच्चों की जलाकर की गई हत्या से लेकर गोरक्षा के नाम पर हुई कई हत्याओं और पिछले महीने बिहार शरीफ़ में हुए दंगों- पर चर्चा फिर से गर्म हो उठी है, जिनमें कथित तौर पर बजरंग दल से जुड़े लोगों के शामिल होने केआरोप लगते रहे हैं।बजरंगदल की अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार संगठन की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या में हुई थी।उनके अनुसार उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने उस समय श्रीराम जानकी रथ यात्रा को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया था जिसके बाद संतों के आह्वान पर विश्व हिंदू परिषद ने वहां उपस्थित युवाओं को यात्रा की सुरक्षा का दायित्व सौंपा था। इधर अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने साल 2018 की अपनी एक संक्षिप्त रिपोर्ट (वर्ल्ड फ़ैक्ट बुक) में बजरंग दल और विहिप को उग्रवादी धार्मिक संगठन बताया था।आरएसएस को सीआईए की रिपोर्ट में राष्ट्रवादी संगठन बताया गया था।
हनुमान दलित थे या आदिवासी….?
भाजपा नेताओं में भगवान रामचंद्र के भक्त हनुमान के बारे में पूर्व में विवादित बयान देने की अभी के माहौल में चर्चा जरुरी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हनुमान जी को ‘दलित’ समुदाय का बताया था तब छग भाजपा के वरिष्ठ नेता (आजकल कॉंग्रेस में) तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे नंद कुमार साय ने हनुमान जी को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) समुदाय का बताया था। नंद कुमार साय ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में योगी के बयान का खंडन करते हुए कहा कि हनुमान का गोत्र भी आदिवासियों के गोत्र से मिलता है। साय ने कहा कि हनुमान जी अनुसूचित जनजातियों की तरह ही जंगलों में रहते थे,इसलिए हनुमान जी अनुसूचित जनजाति के थे। साय ने कहा कि ‘हनुमान’ अनुसूचित जनजाति में हनुमान एक गोत्र होता है। कई जगह गिद्ध गोत्र भी है। जैसे तिग्गा है। तिग्गा कुड़ुक है। तिग्गा का मतलब बंदर होता है। तब भगवान राम के परम भक्त हनुमान को जाति के दायरे में लाकर भाजपा ने हनुमानजी का अपमान नहीं किया था?
‘मैना’और इंदिरा गांधी की किंवदंती….
पहाड़ी मैना की प्रजाति अब विलुप्ति के कगार पर है। उसकी मानव ध्वनि की असाधारण अनुकरण क्षमता ही उसकी सबसे बड़ी शत्रु सिद्ध हुई।बस्तर के जंगलों में जो सारिका या मैना पाई जाती है उसकी नकल सुनकर बड़े-बड़े ध्वनि विशेषज्ञ चकरा जाएं। भारत की तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब बस्तर के दौरे पर आईं थीं,तब वे ओरछा, नारायणपुर क्षेत्र भी गई थीं। यह वही क्षेत्र है जो आजकल नक्सलवादी उथल-पुथल के लिए छाया रहता है। किंवदंती है कि इंदिराजी ने नारायणपुर के विश्रामगृह में जब अपनी ही आवाज सुनी तो वे कौतूहल से भर गईं। यहां मेरी आवाज में बोलने वाला कौन है? उनके सामने पिंजरबद्ध बस्तरिका मैना प्रस्तुत की गई। इंदिराजी को विश्वास नहीं हुआ। वहां के वन अधिकारियों ने पहाड़ी मैना की मानव ध्वनि अनुकरण, विलक्षणता के बारे में बताया था पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने मैना से स्वयं बातचीत की। मैना उनके संवादों को ज्यों का त्यों,उसी आरोह-अवरोह और बलाघात में दुहरा रही थी।इंदिराजी ने जानना चाहा कि इसे पहाड़ी मैना क्यों कहते हैं ? क्योंकि ये पहाड़ों में रहती हैं,केवल बस्तर के पहाड़ों में क्या कोई मैदानी मैना भी होती है…?बहरहाल काफ़ी प्रयासों के बाद भी इस प्रजाति की वंश वृद्धि करने में अभी तक सफलता नहीं मिली है।
और अब बस…..
0 छ्ग के सीएम भूपेश का कहना है कि कर्नाटक में बजरंगबली ने भी भाजपा का साथ नहीं दिया।
0भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल ज़ब भी छ्ग आते हैँ तो उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी की चर्चा क्यों उठती है…?
0किस एसपी को मिडिया में छपने,दिखने का बड़ा शौक है…?
0छत्तीसगढ़ के किस जिले में महाभारत के एक प्रमुख किरदार के नामधारी की नियुक्ति जल्दी होने की चर्चा है?
0बस्तर, दुर्ग, सरगुजा और रायपुर के आईजी को क्या बदला जा सकता है…?
0ईडी अब कोल स्केम की जगह शराब घोटाले की जाँच में अधिक रुचि ले रही है?