मुझमें एक राज है बतलाऊं क्या… बंद मुद्द्त से हूं खुल जाऊं क्या…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )      

छग में आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है या पिछड़ा वर्ग की यह अभी तय नहीं है …क्योंकि जातिगत जनगणना नही हो सकी है ?हालांकि भूपेश बघेल सरकार राशन कार्ड के माध्यम से जातिगत जनगणना का एक प्रयास कर रही है….. इधर ओबीसी वर्ग के नेताओं की माने तो छग में उनकी जनसंख्या 52%के आसपास है ….. वर्तमान में ओबीसी वर्ग के 17विधायक कांग्रेस के चुने गए हैं तो 4भाजपा तथा एक जोगी कांग्रेस से निर्वाचित हुए हैं। नेता पक्ष तथा मुख्य मंत्री भूपेश बघेल तथा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक भी ओबीसी वर्ग से आते हैं। छग में पहले सीएम अजीत जोगी को आदिवासी के नाम पर बनाया गया था पर नकली/असलीआदीवासी की चर्चा अभी तक जारी है, इधर भाजपा ने 15सालों तक सामान्य वर्ग से डॉक्टर रमन सिंह को सीएम बनाए रखा…. अब ओबीसी संविधान संशोधन बिल के बाद प्रदेश में ओबीसी वर्ग को रिझाने राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं… भाजपा ने तो ओबीसी वर्ग का अगला मुख्यमंत्री कौन हो सकता है… इसका सर्वे भी कराया है ऐसी खबर मिली है इसीलिए अगले चुनाव में चेहरा कौन होगा इसको लेकर भाजपा हाईकमान कुछ बोलने से बच रहा है….

मुगलों के पहले छग में थे बहुत हाथी…    

छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव के बीच जंग छिड़ गई है, दरअसल हाथियों को, ग्रामीण जंगल से खदेडऩा चाहते हैं और हाथी ग्रामीणों को उनके गांव से… देखना है कि किसका पलड़ा भारी पड़ता है….।
वैसे छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौजूदगी का इतिहास काफी पुराना है। सूत्र कहते हैं कि कभी छत्तीसगढ़ से विस्थापित हाथी अपने मूल प्रदेश में लौटना चाहते हैं तभी तो छत्तीसगढ़ में आकर अपने बच्चे भी पैदा कर रहे हैं। मुगलकाल में छत्तीसगढ़ के हाथी दिल्ली भेजे जाते रहे हैं। ” मेमायर्स ऑफ जहांगीर” में रतनपुर की जमींदारी का जिक्र है। रतनपुर के जमींदार कल्याण साय (1544-1581) को आठ वर्षों तक मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में रहना पड़ा था। मेमायर्स ऑफ जहांगीर में रतनपुर के जमींदार के बारे में उल्लेखित है जिसे जहांगीर के पुत्र परवेज ने सेना भेजकर पकड़कर मंगवाया था और जहांगीर के सामने इस तथ्य के साथ प्रस्तुत किया गया कि उससे 80 हाथी और एक लाख रुपये भेंट लिये गये बाद में उस जमींदार का दूधभाई गोपालराम ने दिल्ली जाकर मुक्त कराया था मतलब उस समय छत्तीसगढ़ में हाथी बड़ी संख्या में थे। वैसे हाथी सरगुजा क्षेत्र में भी बहुत थे। प्राचीनकाल में एक राजा जिन्हें ‘एलीफेंट कैचर’ कहा जाता था उन्होंने क्षेत्र की जनता को हाथियों के हमले से मुक्ति दिलाई थी वे तो जानवरों का महासंग्राम हाथी-गेंडा रोकने अफ्रीका तक गये थे। करीब 300 साल पहले की बात है। सरगुजा रियासत सहित मध्यभारत के कई क्षेत्रों में हाथियों का आतंक था। तब सरगुजा रियासत के महाराज रघुनाथ शरण सिंहदेव (वर्तमान मंत्री टीएस सिंहदेव ‘बाबा’ के पूर्वज) थे उन्होंने क्षेत्र की जनता को हाथियों के आतंक से मुक्ति दिलाई वैसे उनके पुत्र महाराज रामानुज शरण सिंहदेव भी अपने समय के सिद्धहस्त एलीफेंट कैचर रहे हैं। एलीफेंट कैचर, हाथियों पर आसानी से काबू पाने वाले को कहा जाता है। बाद में केनिया, तंजानिया और युगांडा की सीमा पर एक गैंडे के आतंक से भी मुक्ति दिलाने तथा हाथियों के आतंक से मुक्ति दिलाने भी वहां के बुलावे में महाराजा सरगुजा गये और वहां के लोगों को मुक्ति भी दिलाई मतलब हाथी सरगुजा में भी थे।
सूत्र कहते हैं कि पूर्वी और मध्यभारत में हाथियों का घर 23 हजार 500 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। यानि झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल, ओडिसा और छत्तीसगढ़ तक इनकी आवाजाही का गलियारा फैला है। ये गलियारा टूट रहा है जंगल कट रहे हैं, गलियारा क्षेत्र में कोयला/खनिज उत्खनन हो रहा है। आबादी वहां बसती जा रही है बस यही हाथियों-मानव संघर्ष का प्रमुख कारण है। कहीं लौह अयस्क की खदाने, कहीं विद्युत संयंत्र कहीं, कोयला खान, कहीं कल कारखाने खुलते जा रहे हैं, औद्योगिकीकरण की रफ्तार तेज है, दुनिया के सबसे बड़े, समझदार जानवर हाथी की उपेक्षा की जा रही है इसीलिए हाथियों का झुंड गांव, कस्बों और शहरों में घुसकर मानव जाति को हानि पहुंचा रहा है, फसल, घरों को नुकसान पहुंचा रहा है। वन जानकारों की माने तो वह दिन दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ की पहचान हाथी बाहुल्य क्षेत्र के रूप में बन सकेगी। अतीत में छग से पलायन कर गये हाथी अब अपने मूल स्थान पर लौट रहे हैं और उनके लिये हाथी अभारण्य बनाना, मानव से उनके संघर्ष को टालने के लिए कोई कार्ययोजना जल्द शुरू करनी ही होगी…। सूत्र कहते हैं कि हाथी काफी समझदार होता है वह रेल की पटरी पर अपनी सूंढ़ रखकर पटरी के कंपन्न से पता लगा लेता है कि रेल अभी वहां से कितनी दूर है तभी पटरी पार करता है। पानी है यह उसे 3 किलोमीटर पहले पता लगा जाता है धान की कच्ची फसल, गन्ना और महुआ उसका पसंदीदा भोजन है। बहरहाल उसे हानि पहुंचाने का प्रयास होगा तो वह भी मानव और उसकी संपत्ति को हानि पहुंचाने में पीछे नहीं रहेगा।

छत्तीसगढ और 36 जिले..  

छग में हाल ही में 15अगस्त को सीएम भूपेश बघेल ने 4 नए जिले सक्ति, मोहला मानपुर, मनेंद्रगढ़और सारंगढ़ बनाने की घोषण की है वही पिछले साल पेंड्रा मरवाही को जिला बनाया था , इस तरह अब छग में 32 जिले हो गए हैं जिसमे 11जिले डॉक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में बने थे ….. इधर 4नए जिलों के गठन पर विस अध्यक्ष डाक्टर चरणदास महंत का सुझाव विचारणीय है कि 4जिले और बना दिए जाना चाहिए जिससे छत्तीसगढ और छत्तीस जिले की एक अलग पहचान बनाई जा सकेगी वैसे भी छग की एक अलग पहचान 36 गढ़ों के कारण भी होती रही है…. वैसे भी कुछ जगहों से जिला बनाने की मांग भी उठाई जा रही है ।

सरगुजा और कांग्रेस….?   

सरगुजा कांग्रेस में कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है…. पहले छग सरकार के वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव पर हत्या कराने का आरोप कांग्रेस विधायक वृहस्पति सिंह ने लगाया फिर विधानसभा में खेद भी प्रकट किया, इसी के बाद वृहस्पति सिंह पर एक डिप्टी कलेक्टर से गली गुफ्तार का वीडियो वायरल हुआ है….? वहीं राजीव गांधी के जन्म दिन के अवसर पर अंबिकापुर में नए राजीव भवन (कांग्रेस भवन ) के उद्घाटन पर पहले 2 आमंत्रण पत्र जारी किया गया फिर दो बार फीता काटा गया, पहली बार छग सरकार के वरिष्ठ मंत्री सिहदेव ने फीता काट कर राजीव भवन का लोकार्पण किया .. फिर छग सरकार के ही एक अन्य मंत्री अमरजीत भगत ने पुन: फीता काटा….. दोनो समय राजीव गांधी की जगह दोनो नेताओं के समर्थन में नारे लगते रहे…. इसे कांग्रेसियों का अति उत्साह तो नही कहा जा सकता है….? हां यह बात और है कि पहली बार महल से बाहर निकला है कांग्रेस कार्यालय….? अभी तक सिंहदेव के महल के हिस्से से ही कांग्रेस कार्यालय का संचालन होता था. बहरहाल कांग्रेस की गुटबाज़ी किस ओर संकेत कर रही है…? यहां यह बताना भी जरूरी है कि अमरजीत भगत और बृहस्पति सिंह दोनो को राजनीति का क, ख, ग प्रदेश के पहले सीएम अजीत जोगी ने ही सिखाया था और आजकल दोनो नेता भूपेश बघेल के खेमे में हैं….?

और अब बस….

0छग की सांसद छाया वर्मा और फुलोदेवी नेताम ने राज्य सभा में दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। इधर भाजपा द्वारा उनका पुतला जलाना छग में एक नई राजनीति ही है…?

0नए 4जिलों के बनने से 4 कलेक्टर/एसपी बनने का मार्ग भी बन गया है।

0बाबा साहब सिंहदेव आखिरइतने दिनों तक दिल्ली में रहकर क्या करके आए हैं….?

0एक एडीजी , आईजी का काम सम्हाल रहे हैं तो दो डीआईजी , आईजी का पदभार संभाल रहे हैं।

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