शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
राजा को बड़ा उदार होना चाहिये और छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उदारता का परिचय दते हुए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के करीबी रहे 3 चर्चित आईपीएस अफसरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी हालांकि सीएमओ के एक अफसर की भी इसके पीछे सलाह की चर्चा है बहरहाल बस्तर में फर्जी मुठभेड़ सहित अन्य मामलों को लेकर भाजपा शासनकाल में चर्चित पुलिस अफसर कल्लूरी को परिवहन विभाग का मुखिया बनाया था पर उन्हें जल्दी ही हटाकर पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया दूसरे अपसर हिमांशु गुप्ता थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृहक्षेत्र के आईजी रहने के बाद उनकी नियुक्ति गुप्तचर शाखा के प्रमुख के पद पर की गई थी। यह पद काफी महत्वपूर्ण होता है। जबकि यही हिमांशु गुप्ता, झीरमघाटी नक्सली वारदात के समय बस्तर आईजी थे। उस समय विपक्ष में रहकर कांग्रेस ने आईजी हिमांशु गुप्ता पर भी कार्यवाही की मांग की थी। वहीं धमतरी की एक महिला द्वारा आत्महत्या के मामले के बाद भी इनके नाम की चर्चा तेज हुई थी। बहरहाल 6 माह के भीतर गुप्तचर शाखा से हटाकर अटैच करने के बाद प्रदेश में नया रिकार्ड बन गया है इतने जल्दी प्रदेश में कोई भी गुप्तचर शाखा का प्रमुख नहीं हटाया गया है। वैसे प्रदेश में शहरी नेटवर्क के मामले में गुप्तचर शाखा की भूमिका, प्रदेश में केन्द्र के आयकर विभाग की टीम का छापा और गुप्तचर शाखा को इसकी भनक भी नहीं लगी ऐसे कुछ कारण विभाग प्रमुख को बदलने का कारण बने होंगे ऐसा लगता है। वैसे रायपुर के आईजी डॉ. आनंद छाबड़ा को गुप्तचर शाखा का प्रमुख बनाया गया है वे रायपुर आईजी का भी कार्य देखेंगे।
अब प्रदेश के एक चर्चित पुलिस अफसर एडीजी जीपी सिंह की चर्चा कर लें… बस्तर में पुलिस कप्तान होने के दौरान एक लूट के आरोपी सुरक्षाबल के जवान को तत्कालीन आईजी अंसारी के घर में पकडऩे के कारण चर्चा में रहे तो कांकेर में कुछ नक्सलियों के आत्मसमपर्ण पुलिस मुख्यालय में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमनसिंह के सामने करने तथा बाद में बस्तर के एक भाजपा नेता के विरोध के बाद आत्मसर्पित करने वाले अधिकांश नक्सली फर्जी निकलने के कारण भी चर्चा में रहे। बिलासपुर में जब आईजी थे तब एक युवा आईपीएस (तब एसपी बिलासपुर) राहुल शर्मा की तथाकथित मौत को लेकर भी इन्हें वहां से हटाया गया। वहां प्राप्त सुसाइड नोट में इंटरफेयरिंग बॉस से परेशान होने का जिक्र था। 2002 बैच के मात्र 38 वर्ष की उम्र में एक आईपीएस अफसर की मौत पर उनकी पत्नी गायत्री शर्मा तथा पिता रामकुमार शर्मा ने ‘सिस्टम की भेंट चढ़ गये’ यही आरोप लगाया था। बाद में सीबीआई जांच हुई उसमें जीपी सिंह को आपराधिक कृत्य में तो दोषी नहीं पाया गया और सीबीआई ने कदाचरण का प्राईमाफेसी आरोपी मानकर छग सरकार से विभागीय जांच (डीई) करने कहा था पर तत्कालीन सरकार के एक प्रमुख अफसर के करीबी होने के कारण डीई नहीं की गई और हालत यह है कि जीपी सिंह केंद्र में इम्पेनल नहीं हो सके यानि अभी केंद्र में जाएंगे तो आईजी ही नहीं बनेंगे। सीबीआई के पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल ने भी बाद में आरोप लगाया था कि राहुल शर्मा की मौत संदिग्ध थी मैंने जब जांच शुरु की तो मुझे हटा दिया गया उन्होंने तो सीबीआई को धारा 27 साक्ष्य अधिनियम के तहत मेमोरंडम कथन नहीं लेने पर भी आड़े हांथों लिया था। वैसे यह भी आश्चर्यजनक ही रहा कि जिले का पुलिस कप्तान आत्महत्या कर लेता है और उसकी जांच का जिम्मा बिलासपुर सिविल लाईन पुलिस थाने के एसआई को दिया गया था… खैर विवादों में फंस जीपीसिंह को बाद में दुर्ग और रायपुर का आईजी भी बनाया गया जबकि फील्ड में पदस्थापना पर परहेज रखना था खैर जीपीसिंह भी कांग्रेस के निशाने पर पहले रहे थे। भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की सचिव डॉ. चयनिका उनियाल ने भी राहुल शर्मा प्रकरण की एसआईटी से जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कराने राहुल के परिवार को न्याय दिलाने का अनुरोध भी किया था। एक पत्रकार नेता नारायण शर्मा ने भी जांच की मांग की थी पर एसआईटी गठित होने की बात तो दूर वे ईओडब्लु, एसीबी के मुखिया सहित प्रासीक्यूशन के भी मुखिया बन गये। पता नहीं सरकार को किसने विश्वास दिलाया कि मुकेश गुप्ता या अमनसिंह के मामले में ये कड़ी कार्यवाही करेंगे जबकि रमन सिंह सरकार में ये उनके कृपापात्र की भूमिका में थे…। वैसे उन्हें हटाकर डीआईजी स्तर के आरिफ शेख को जिम्मा देकर इन्हें पीएचक्यू में अटैच करना चर्चा में है…।
मोदी सरकार के 6 साल….
मोदी सरकार का 30 मई को दूसरे कार्यकाल का पहला साल तथा मोदी का सदाबहार 6 साल पूरा हो चुका है। मोदी भक्त, भाजपा के सिपहसलार, गोदी मीडिया ‘6 साल बेमिसाल’ का उत्सव मनाने में सक्रिय हो गये हैं उन्हें कांग्रेस तथा विपक्ष की बयानबाजी समझ में नहीं आ रही है…। मोदी के पिछले 5 साल के कार्यकाल में समूचा भारत नोटबंदी के नाम पर बैंकों में लाईन में लग गया, जीएसटी के नाम पर परेशान रहा पर दूसरे कार्यकाल में कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण करीब 65 दिन तक लोग घर के भीतर लगभग नजरबंद रहे। लॉकडाउन की सही योजना नहीं बनाने के कारण मोदी फिर विपक्ष के निशाने पर हैं मोदी भक्त यही नहीं समझ पा रहे हैं कि जब पूरी जनता सड़क पर हो तो मोदी खराब है तो सभी अपने घर के भीतर रहे तो भी मोदी कैसे खराब हो गये।
तीन तलाक, कश्मीर से धारा 370 हटाने, अयोध्या में रामजन्म भूमि में मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशश्त करके मोदी ने चमत्कार कर दिया..? इसका जवाब यह भी हो सकता है कि इससे आम लोगों को क्या फायदा हुआ…। नोटबंदी से कितना ब्लेक मनी आया इससे आमजन को क्या लाभ हुआ इसका उत्तर अभी तक नहीं मिला है..। जीएसटी से राज्य सरकार को अपने हिस्से के लिए केंद्र का मोहताज होने पर मजबूर होना पड़ रहा है…। कोरोना के नाम पर सारे बुरे अंजाम गरीबों पर ही थोपे गये… उनकी नौकरी गई, सैलरी छिनी, वे बेघर हुए, अपने मूल घरों को लौटते हुए विपरीत परिस्थितियों को झेला, कभी पटरी पर कटे, कभी सड़क पर मौत मिली तो कभी भूख ने मार डाला… और तो और कोरोना की चपेट में आये बिना ही क्वारेंटाईन भी वही हुए… इसे देश में गरीब कोरोना लेकर नहीं आये फिर भी सबसे अधिक दंश इसका उन्हें ही झेलना पड़ा…।
12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की, उनका ब्योरा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने किश्तों में दिया। जिससे देश के आम लोगों के हिस्से में फिलहाल तो कुछ भी नहीं आया, किसान छोटे-मझोले व्यापारी को ऋण लेने की सलाह दी गई है क्या साहूकारी की यह सरकारी घोषणा पैकेज है?
खराब आर्थिक हालात फिर भी जनता संतुष्ट…
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक निजी कंपनी आईएएनएस, सी वोटर्स ने सर्वेक्षण में मुख्यमंत्रियों की रैकिंग में दूसरे नंबर पर रखा है वहीं लगातार मुख्यमंत्री बनते रहे ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पहला नंबर दिया है। नवीन पटनायक तो गैर कांग्रेस-भाजपा में लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बना चुके हैं। वहीं उनके मुकाबले भूपेश बघेल को 81.06 प्रतिशत जनता की संतुष्टि (पूरी तरह कुछ हद तक) मिलना बड़ी उपलब्धि है। खराब आर्थिक स्थिति का विरासत में मिलना किसानों की 2500 रुपये में धान खरीदी, बिजली बिल हाफ, आदिवासियों को उद्योग के लिए दी गई जमीन की वापसी आदि के बीच कोरोना से मुकाबला भी उनकी उपलब्धि ही रहा। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने पिछले डेढ़ सालों में 17 हजार 700 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर प्रदेश के किसानों, आदिवासियों सहित अन्य वर्गों के विकास के लिए प्रयास किया है। प्रदेश के किसानों को 2500 क्विंटल की दर पर फसल खरीदी के लिए वैसे भी केंद्र से मददनहीं मिलने पर आर्थिक परेशानी थी वही कोरोना से मुकाबला, लॉकडाउन के कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है तभी तो आर्थिक मितव्ययिता बरतने के निर्देश सरकार ने दिये हैं। वैसे राज्य सरकार केंद्र से पिछले साल का जीएसटी का बकाया 1550 करोड़ नहीं मिला है वहीं कोयले की रायल्टी भी बकाया है। वहीं लगभग 2 माह के लॉकडाउन के चलते लगभग 26 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया है जिसमें रजिस्ट्री से 1705 करोड़, परिवहन से 1660 करोड़ तथा भू-राजस्व से 600 करोड़ की संभावित आय के मुकाबले 2 माह में ही क्रमश: 510, 450 तथा 150 करोड़ की हानि हो चुकी है वहीं आबकारी राजस्व की भी करोड़ों रुपये की क्षति हुई है। इसीलिए भूपेश बघेल ने 30 हजार करोड़ का आर्थिक पैकेज छग को देने की मांग प्रधानमंत्री से की है पर अफसोस है कि उस पत्र का जवाब ही नहीं आया है। राज्य के हिस्से की राशि भी केंद्र नहीं भेज रहा है ऐसे में राज्य की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
और अब बस….
0 एक पूर्व कलेक्टर आईएएस जनक पाठक को बलात्कार के मामले में सरकार ने निलंबित कर दिया है। इसके पहले एक पूर्व कलेक्टर एमआर सारथी को तो ऐसे मामले में सजा भी हो चुकी है।
0 बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. संजय अलंग को वहीं का कमिश्नर बनाया गया है इसके पहले गणेशशंकर मिश्रा बस्तर कलेक्टर से वहीं कमिश्नर बन चुके हैं।
0 सिख दंगों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर तल्ख टिप्पणी करने के कारण भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है उन्हें 8 जून को पेश होने कहा गया है।
0 कौन मंत्री ड्राप होगा किसकी मंत्रिमंडल में इंट्री होगी इसको लेकर कयास लगाने का दौर जारी है।