शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़ के 12 वें मुख्य सचिव के रूप में 1989 बैच के आईएएस अमिताभ जैन ने कार्यभार सम्हाल लिया है। रायपुर कलेक्टर रह चुके अमिताभ जैन के अलावा भी कुछ अन्य कलेक्टर रायपुर रहे हैं जिन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्यसचिव, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर, मंत्री आदि का दायित्व बाद में सम्हाला था। वैसे विवेक ढांड, अजय सिंह के बाद तीसरे छत्तीसगढिय़ा मूल के मुख्य सचिव बने हैं अमिताभ जैन। हालांकि निवृत्तमान मुख्य सचिव आर.पी. मंडल की भी शिक्षा, दीक्षा बिलासपुर/रायपुर में हो चुकी है।
भारत की आजादी यानि 15 अगस्त 1947 के पहले सन 1910-20 के बीच आईसीएस (तब आईएएस का चलन शुरू नहीं हुआ था) सीडी देशमुख ईएसी (डिप्टी कलेक्टर के समतुल्य) पदस्थ रहे। बाद में वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पहले भारतीय गवर्नर बने थे। फिर राजनीति में उतर पं. जवाहरलाल नेहरू की सरकार में वित्तमंत्री भी बने। इसके बाद आर.के.पाटिल रायपुर के जिलाधीश बनकर आये। महात्मा गांधी से प्रभावित होकर आईसीएस के पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्रता संग्राम में उतरे बाद में वे सीपीएण्ड बरार में मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल की मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। वैसे मिली जानकारी के अनुसार 1929-30 में वाय.एन. सुखतणकर भी रायपुर के कलेक्टर बने थे वे 1921 में आईसीएस चयनित हुए थे, नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी इसी बैच में चुने गये थे। (हालांकि नेताजी ने नौकरी ज्वाईन करने के पहले ही इस्तीफा दे दिया था) सुखतणकर आजाद भारत में कैबिनेट सेक्रेटरी के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे बाद में उन्हें ओडिसा का राज्यपाल बनाया गया था। दूसरी पंचवर्षीय योजना बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
इसी कार्यकाल के आसपास ही सी.एम. त्रिवेदी भी कलेक्टर रायपुर रहे वे सीपीएण्ड बरार के मुख्य सचिव बनने में सफल रहे थे। आजादी और विभाजन के बाद जब पूर्वी पंजाब का हिस्सा भारत को मिला तो त्रिवेदी को पहला राज्यपाल बनाकर वहां भेजा गया। बाद में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल और योजना आयोग के डिप्टी चेयरमेन आदि भी बनाये गये।
1959-60 में देश की आजादी के बाद रायपुर के जिलाधीश के पद पर सुशील चंद्र वर्मा भी पदस्थ रहे, कालांतर में वे अविभाजित म.प्र. के मुख्यसचिव भी बने बाद में सेवानिवृत्ति के पश्चात भोपाल लोकसभा का बतौर भाजपा सदस्य प्रतिनिधित्व भी किया।
अविभाजित म.प्र. के समय रायपुर में कलेक्टर रहे अजीत कुमार जोगी 14 साल तक कलेक्टरी का रिकार्ड बनाया तथा राज्यसभा लोकसभा होकर छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री भी बने तो रायपुर के ही कलेक्टर रहे नजीब जंग भविष्य में दिल्ली के उपराज्यपाल भी बनने में सफल रहे। उनकी पत्नी अमीना जंग ‘मिस शिमला’ भी रह चुकी थी। अविभाजित म.प्र. में रायपुर के कलेक्टर रहे सुनील कुमार भी छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद मुख्य सचिव बनकर सेवानिवृत्त हुए उनके साथ प्लस प्वाइंट यह है कि वे अर्जुन सिंह के साथ भी काम किया (पंजाब के राज्यपाल बनने पर भी) अजीत जोगी के सचिव रहे तो डॉ. रमन सिंह के साथ मुख्य सचिव का भी दायित्व सम्हाला था बाद में उन्हें सेवानिवृत्ति के बपाद छग योजना आयोग का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद रायपुर में कलेक्टर रहे राजेन्द्र प्रसाद मंडल भी भविष्य में मुख्यसचिव बनाये गये वे हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता के चलते नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद का दायित्व सेवानिवृत्ति के बाद सौंपा है।
अमिताभ बने नये सीएस…
12 वें मुख्यसचिव के रूप में अमिताभ जैन ने अपना कार्यभार सम्हाला लिया है। विनम्र अच्छे वित्त प्रबंधक, अनुशासनप्रिय, काम से काम रखने वाले, ईमानदार छवि के अमिताभ जैन की प्रारंभिक स्कूली पढ़ाई, दल्ली राजहरा से ही हुई, उनके पिता वहां कार्यरत थे। अविभाजित म.प्र. में ग्यारहवीं बोर्ड में वे टापर रहे थे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भोपाल एवं एमटेक दिल्ली से किया है। आईएएस के रूप में उनकी पहली पदस्थापना बतौर असिस्टेण्ट कलेक्टर जबलपुर में हुई थी वे रायगढ़, छतरपुर तथा होशंगाबाद में कलेक्टर भी रह चुके हैं वहीं रायपुर में भी 2 बार कलेक्टर रहे। एक बार मंडल को रायपुर कलेक्टर के पद से हटाकर चुनाव कराने की जिम्मेदारी अमिताभ को दी गई थी। रायपुर कलेक्टर होकर मुख्य सचिव बनने वाले वे छत्तीसगढ़ के तीसरे अफसर बन चुके हैं। वैसे रायपुर कलेक्टर तो सी.के. खेतान/एम के राऊत भी रहे पर राऊत एसीएस बनकर सेवानिवृत्त हो गये और खेतान का पिछड़ा सर्विस रिकार्ड ऊन पर भारी पड़ा…।
निजाम कल्चर से मुक्ति…!
कभी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वाली भाजपा के प्रमुख हस्ताक्षर तथा देश के गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद महानगर निगम (जीएचएमसी) के चुनाव प्रचार में ‘निजाम कल्चर’ से मुक्ति दिलाने की बात कही थी… क्या है निजाम कल्चर!
भारत में राष्ट्रपति भवन के अलावा इस देश में दो इमारते हैं जहां भारत के राष्ट्रपति एक तय समय तक रह सकते हैं या यूं कहें कि राष्ट्रपति भवन इन दो भवनों से चलाया जा सकता है। पहला है शिमला स्थित रिट्रीट बिल्डिंग, दूसरा है हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम/ भारत के उत्तर/दक्षिण में स्थित दोनों भवनों में राष्ट्रपति भवन वाली सुविधाएं हैं। बहरहालजब देश में रजवाड़ों का विलय हो रहा था, जूनागढ़, जम्मू और कश्मीर और हैदराबाद को छोड़कर सभी रजवाड़े विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके थे। बाद में हैदराबाद के निजाम को विलय पत्र में हस्ताक्षर करना पड़ा उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी थी। इन तमाम शर्तों में एक ये भी थी कि भारत के राष्ट्रपति साल में कम से कम हफ्ते दिन हैदराबाद की रियासत में प्रवास करना पड़ेगा यह शर्त मान ली गई और भारत के लगभग हर राष्ट्रपति हैदराबाद में प्रवास कर चुके हैं। राष्ट्रपति निलयम से बेगमपेट हवाई अड्डे तक की सड़क का नाम ही राष्ट्रपति रोड रख दिया गया है। निजाम की दूरदर्शिता का नतीजा है कि देश की हाईटैक पुलिस हैदराबाद के पास है… जिस निजाम कल्चर को खत्म करने की बात की गई है उस शहर पर एक निगाह डालते हैं…. 60 किलोमीटर के दायरे में 4 हवाई अड्डे (2 सैन्य 2 सिविल) 21 उच्चकोटि के कालेज विश्वविद्यालय, रामोजी फिल्म सिटी, एक रेल्वे भर्ती बोर्ड, तीनों सेना के प्रशिक्षण संस्थान, आईपीएस प्रशिक्षण एकादमी भी यही हैं। अब देश के गृहमंत्री कैसे निजाम कल्चर से मुक्ति इस शहर को दिलाएंगे…?
और अब बस...
0 छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के प्रभारी का प्रबार बार-बार क्यों बदला जा रहा है पहले शैलेन्द्र शुक्ला फिर एसीएस सुब्रत साहू…।
0 निगम- मंडल में जल्दी ही नियुक्तियां होने की संभावना है देखना है किसको महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती है।
0 अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ से भी चंदा वसूली की योजना का पता चला है।
0 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री से छग में मुफ्त कोरोना वैक्सीन सुलभ कराने का अनुरोध किया है।