वीरेन्द्र वर्मा / वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर । क्षेत्र चार को अपनी बपौती समझने वाले गौड़ परिवार को अब सीधे चुनौती सामना करना पड़ेगा। एक युवा जो मित्र बनकर जनता से सीधे संवाद और संपर्क कर रहा है। उसके इरादे राजनीतिक गलियारों में अभी समझ नहीं आ रहे है। मगर , वो बहुत लंबे समय से अपनी जमीन बहुत शालीन और गोपनीय तरीके से बना रहा है। कल दशहरा मैदान पर हुए मित्र महोत्सव आयोजन से इसकी शुरुआत बहुत ही शांत तरीके से भीड़ एकत्र करके की गई है।
भाजपा में युवाओं को आगे लाने या यूं कहे कि दूसरी पंक्ति को नेतृत्व सौंपने की रणनीति बन रही है। यही कारण है कि तमाम चेहरों को नकार कर एक सौम्य और शालीन अतिरिक्त मुख्य महाअधिवक्ता के पद से पुष्यमित्र भार्गव को महापौर बना दिया गया। पुष्यमित्र अब सबके मित्र बनकर क्षेत्र चार में अपनी राजनीतिक जमीन बना रहे हैं। चूंकि भार्गव बहुत सुलझे और गंभीर है और उनका यह स्वभाव जनता की पसंद बनता जा रहा है। उनकी पत्नी जूही भार्गव भी हाईकोर्ट अधिवक्ता होकर मासूम चेहरे की सभ्य महिला है।
इंदौर और प्रदेश की अयोध्या कहे जाने वाले क्षेत्र क्रमांक चार विधानसभा से भार्गव ताल्लुक रखते है। इस क्षेत्र को गौड़ परिवार अपनी बपौती समझने लगा है। यही बात पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और अंदरूनी हल्कों को पसंद नही आ रही है। संघ से लेकर सारे भाजपाई भी गौड़ परिवार के इस इलाके में गलत कामों से खफा है। फिर परिवारवाद के तहत वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ भी अपने पुत्र एकलव्य गौड़ का विधानसभा से टिकट चाहती है। भाजपा हाईकमान इस बात से असहमत है।
भाजपा, संघ और अन्य संगठन वैसे भी परिवादवाद को लेकर नाराज है। प्रदेश में फिलहाल पार्टी की खस्ता हालत की खबरों के बीच भाजपा बेहद साफ सुधरे चेहरों की तलाश कर रही है। उसमें पुष्यमित्र भार्गव और उनकी पत्नी जूही भार्गव भी शामिल है।
जूही भार्गव एकलव्य के मुकाबले ज्यादा पसंदीदा और अच्छी उम्मीदवार बन सकती है। वैसे भी मालिनी गौड़ विधायक और महापौर दोनों पदों पर रही है। कैलाश विजयवर्गीय भी दोनों पदों पर रहे है। पुष्यमित्र भार्गव क्यों नहीं बन सकते है ? विरोध में महिला की जगह महिला को देना पड़ा तो जूही को दिया जा सकता है। पति के महापौर होने का फायदा भी मिल सकता है जूही को। भाजपा के सामने नए चेहरों को लाने के साथ सीट बचाने की चुनौती भी है। ऐसे में पुष्यमित्र द्वारा क्षेत्र क्रमांक चार के संघ और भाजपा समन्वय चेहरे के रूप में मित्र महोत्सव आयोजन से ताकत दिखाना गलत बात नही है। राजनीति में खुद आगे आने के लिए अपनी ताकत दिखाना जरूरी है। इसकी शुरुआत भार्गव ने मित्र महोत्सव में 5 हजार से ज्यादा लोगों की उपस्थिति से दर्ज करवा के बता दी। साथ ही मैं भी हूं यह बता दिया।