‘‘मैं इन बेपनाह अंधेरों को सुबह कैसे कहूं…. मैं इन नजारों का अंधा तमाशबीन नहीं….”

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

देश में आपातकाल जैसे हालात है, देश की वर्तमान स्थिति के बारे में यह आकलन है देश के सर्वोच्च न्यायालय का….। कोरोना की महामारी की दूसरी लहर के बाद अस्पतालों में आक्सीजन की कमी के कारण गंभीर होती स्थिति पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से यहां तक कहा कि भीख मांगिये, उधार लिजिये या चोरी कीजिये… लेकिन अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करें…।
कोरोना के 3 लाख 32 हजार से अधिक मामले एक दिन में आने पर भारत दुनिया में पहले नंबर पर आ गया है। अब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की बात करें, उसने केंद्र सरकार से पूछा है कि देश में आपातकाल जैसे हालात क्यों और किसलिये पैदा हो गये हैँ…? ऐसे हालात के लिए कौन जिम्मेदार है..? जो जिम्मेदार है उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है…? ऐसे हालात के लिए नीतियां जिम्मेदार है या उन नीतियों को लागू करने वाली नौकरशाही जिम्मेदार है…?
वैसे कोरोना महामारी के साथ अचानक लॉकडाउन, जीएसटी के चलते बढ़ती बेरोजगारी नोटबंदी, मजदूरों का पलायन मरने वालों के बढ़ते आंकड़े,अस्पतालों में ‘नो बेड’, आवश्यक दवाइयों का अभाव, आक्सीजन की कमी, श्मशान घाट तथा कब्रिस्तानों में लाशों के ढेर के नाम पर मोदी सरकार को याद तो किया जाएगा ही वहीं इतिहास हमेशा याद रखेगा कि सिर्फ “एक राज्य जीतने ” के लिए किसी ने पूरे देश को श्मशान घाट बना दिया…?
मन की बात करने वाले, पत्रकारों से लगभग परहेज करने वाले देश के के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह भी तो पूछा जाना चाहिये कि 2020 में कोरोना आने के बाद उससे निपटने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये…? कोरोना नियंत्रण के लिए नीति,आयोग की गठित टीम ने दूसरी लहर के बारे में क्या कुछ नहीं बताया था…? कोरोना से बिगड़े हालात के लिए 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का क्या ब्रेकअप है वह कहां खर्च हुआ….? सुप्रीम कोर्ट का खुद ही आदेश है कि गरीबों का बड़े निजी अस्पतालों में इलाज हो…., इस आदेश पर सरकार ने क्या किया.. ? अपने ही देश में वैक्सीन टीकाकरण की सारी जरूरतों को पूरा किये बिना यह वैक्सीन अन्य देशों को क्यों निर्यात की गई….? कोरोना की महामारी ने भारत में पिछले साल दस्तक दे दी थी देश व्यापी लॉकडाउन हुआ था फिर भी ‘रेमडेसेवीर’ तथा आक्सीन जैसे जरूरी संसाधन हाल तक क्यों निर्यात किये जाते रहे…?
बहरहाल जब कोरोनाकाल में ही बेरोजगारी बढ़ी तब मजदूरों के काम के घंटे तय करने की बात पर अदालत में याचिका लगाई गई तो सालिसिटर जनरल का जवाब था जब प्रधानमंत्री 18-18 घंटे काम कर सकते हैं तो मजदूरों के काम के घंटे क्यों कम किये जाएं…? पिछले लॉकडाउन के समय सरकार ने कहा था कि कंपनियां अपने कामगारों को लॉकडाऊन की अवधि का वेतन देगी, यह आश्वासन स्वयं प्रधानमंत्री ने दिया था पर ऐसा हुआ नहीं.. बल्कि अब तो जो बचे खुचे जो मजदूर उद्योगों में कार्यरत हैं उन्हें आधे से भी कम वेतन (मजदूरी) मिल रही है?   
अब बात कर लें, 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को एक मई से कोरोना की वैक्सीन लगाने की केंद्र सरकार की घोषणा पर…. यह इंजेक्शन 150 रुपये में भारत सरकार को मिलेगा, 400 रुपये में राज्यों को और 600 रुपयों में अन्य को….? सवाल फिर खड़ा हो रहा है कि एक वैक्सीन की देश में 3 दर क्यों…। केंद्र और राज्यों की दर में प्रति वैक्सीन में 250 रुपये का अंतर है जबकि केंद्र के मुकाबले राज्य के संसाधन कम होते हैं? यहां यह बताना जरुरी है कि केंद्र सरकार ने 30 हजार करोड़ का बजट कोरोना वैक्सीन के लिए रखा है? केंद्र और राज्यों में चुनी गई सरकारें है फिर केंद्र और राज्य के बीच वैक्सीन की दर में में फर्क क्यों है…? ऐसी नीति के पीछे क्या खेल है…..?
जहाँ तक राज्यों को खरीदकर वैक्सीन लगाने की बात है तो राज्यों के पास धनाभाव है, कोरोना काल में वैसे भी कई राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति दयनीय है फिर केंद्र के पास राज्यों का 77 हजार करोड़ का जीएसटी का पैसा भी जाम है और उसे केंद्र सरकार दे नहीं रही है? राज्यों के सामने 18 साल के युवाओं से 45 साल की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाना एक बड़ी चुनौती तो होगी ही…?

“सेस”पर सवाल,
पीएम केयर्स फंड पर चुप्पी…..    

छत्तीसगढ़ के छोटे से बड़े भाजपाई नेता कोरोना के नाम पर भूपेश सरकार द्वारा ‘सेस’ में जमा की गई राशि का हिसाब मांग रहे हैं कोरोना में कितना खर्च हुआ यह जानना चाहते हैं अरे सीएजी में तो इसका हिसाब किताब भी मिल जाएगा… बस थोड़ा सा सब्र रखने की जरूरत है!पर भाजपा के बड़े नेताओं सांसद विधायक से पीएम केयर्स फंड की बात की जाए तो इधर-उधर देखने लगते हैं उनका एक ही जवाब होता है केंद्र पर ही राज्य क्यों निर्भर है..उल्लेखनीय है कि पीएम केयर्स फंड न तो आरटीआई के दायरे में आता है और न ही सीएजी इसका आडिट कर सकता है। देश के 98 सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) कोष से कुल 2422.87 करोड़ पीएम केयर फंड में वसूला गया, जिसमें सर्वाधिक 300 करोड़ रुपये ओएनजीसी से वसूला गया, छत्तीसगढ़ के सांसदों ने भी प्रधानमंत्री केयर फंड में आर्थिक सहयोग दिया, यह ठीक है कि वैक्सीनीकरण के मामले में छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण स्थान है, कोरोना टेस्ट भी हो रहा है, हां सरकारी तथा निजी अस्पताल सीमित है, “नो बेड” की हालात है पर बेड, वैंटिलेटर, आक्सीजन तथा इलाज के लिये राज्य सरकार अपने सीमित साधनों से बढ़ोत्तरी करने प्रयासरत है, अगर भूपेश के ढाई साल की बात की जा रही है तो भाजपा के 15 साल की भी बात उठेगी ही…? ऐसे समय में जब महामारी अपने पूरे चरम पर है मई में इसके और भी भीषण रूप से उभरने की चर्चा है तब भाजपा/कांग्रेस क़ो राजनीति करने की जगह केंद्र से अधिकाधिक सहयोग लेकर राज्य की हालात सुधारने प्रयास करने चाहिये,अच्छे सुझाव आने चाहिये न कि आलोचना…। वैसे पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने एक निजी कालेज में 200 बिस्तरों का कोविड अस्पताल की स्थापना कर अनुकरणीय पहल की है वहाँ मुफ्त में कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था है..उसका अनुसरण अन्य राजनेताओं को भी करना चाहिये…?

और अब बस….
0 छत्तीसगढ़ के कुछ शहरों में 5मई तक लॉक डाउन बढ़ाने की चर्चा तेज है, केंद्र का सुझाव और जिला कलेक्टरों क़ो उचित कदम उठाने के निर्देश भी देने की खबर है…?
0 रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले…. कोरोना की लड़ाई में धर्म और आध्यात्म औषधि, रामचरित मानस का पाठ लाभकारी…।
0 राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल की रैली में नहीं जाने की घोषणा पर भाजपा नेता कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि उनकी रैली में वैसे ही कौन जाता था…। टिप्पणी पुराने दिन भी याद कर लिया करो जनसंघ, भाजपा के….?
0 स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव का मानना है कि ढाई लाख से अधिक बाहर से अप्रवासी मजदूरों के छग लौटने की संभावना….एक टिप्पणी…अभी से उनके लिए इंतजाम जरूरी है साहब?

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