ऊँची ईमारतोँ से माकां मेरा छिप गया…. कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गये….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

देश में महिलाओं को 33%आरक्षण का श्रेय लेने के लिये विभिन्न राजनीतिक दल श्रेय लेने प्रयासरत हैँ,पंचायत में आरक्षण का श्रेय तो राजीव गाँधी को जाता ही है और आज लगभग 11लाख महिला प्रतिनिधि हैं। आजादी के बाद जहाँ तक लगातार कांग्रेस की सरकार बनती रही तो पहली महिला केंद्रीय मंत्री,पीएम,राष्ट्रपति, राज्यपाल,सीएम, लोस अध्यक्ष,राज्यसभा की सभापति आदि कांग्रेस के कार्यकाल में बने थे। वहीं भाजपा के कार्यकाल में पहली महिला राष्ट्रपति लोकसभाअध्यक्ष,नेता प्रतिपक्ष,वित्त मंत्री, सीएम आदि बनाया गया, यह बात और है कि तब की लोस अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा पूर्व सीएम उमा भारती की टिकट काटने का भी भाजपा ने रिकार्ड बनाया है।भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली तथा पहली भारतीय महिला पीएम इंदिरा गाँधी(कॉंग्रेस) भारत की पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू(कांग्रेस)भारत में पहली महिला सीएम सुचेता कृपलानी(कांग्रेस) पहली केंद्रीय मंत्री श्रीमती राजकुमारी अमृत कौर (कॉंग्रेस)भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट,मुख्य चुनाव आयुक्त बनने वाली पहली महिला रमादेवी,उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने वाली पहली महिला न्यायाधीश लीला सेठ,सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त होने वाली पहली महिला न्यायाधीश एम फातिमा बीवी,लोक सभा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला मीरा कुमार (कांग्रेस)राज्यसभा के उप सभापति पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला श्रीमती वाइलेट अल्वा (मरग्रेट आल्वा की मां (कांग्रेस)संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली अध्यक्ष विजयलक्ष्मी पंडित,मुख्य सूचना आयुक्त का पद भार सँभालने वाली पहली महिला दीपक संधू,जहाँ तक भाजपा की बात है तो केंद्रीय विदेश मंत्री का पदभार सँभालने वाली पहली महिला सुष्मा स्वराज (इससे पहले श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रधान मंत्री रहते हुए विदेश मंत्री का अतिरिक्त प्रभार सँभाला था)लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन,राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, पहली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (वैसे भारत की पहली वित्त मंत्री इंदिरा गांधी,पीएम के साथ)जरूर भाजपा के अपने समय की महिलाओं को श्रेय देने के उदाहरण हो सकते हैं।

भूपेश के भांचा राम और
भाजपा की चिंता…..   

छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है। राजनीतिक दल चुनावी नूरा-कुश्ती में उलझने वाले हैं।भूपेश बघेल ने ही कांग्रेस को,राम को राम से जीतने की रणनीति सुझाई है।भाजपा के रामलला को टक्कर देने के लिए बघेल ने भगवान राम को अपना भांजा बता दिया।संबंध की नींव में हैं माता कौशल्या,जो कि छत्तीसगढ़ से ही थीं,भाजपा अपने हिंदुत्व को धार देने के लिए अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना रही है तो बघेल जवाब में राम वन गमन पथ तैयार कर रहे हैं।कौशल्या उत्सव हो या रामायण उत्सव,राम वन गमन पथ हो या राम से जुड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार, खुद को राम से जोड़ने के लिए बघेल की सरकार करोड़ों खर्च करने से हाथ पीछे नहीं खींच रही।राज्य में भगवान राम की 7 विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं।इनमें से एक की ऊंचाई 51 फीट तक है।राम को छत्तीसगढ़ का भांचा (भांजा) बनाया सो बनाया, सरकार माता कौशल्या का भव्य मंदिर का जीर्णोद्धार भी करा चुकी है।भूपेश बघेल सॉफ्ट हिंदुत्व का चेहरा बन चुके हैं। छत्तीसगढ़ में उन्होंने भाजपा के मुददे छीन लिए हैं। श्री राम छत्तीसगढ़ के भांजे हैं,ये तथ्य तो सब जानते थे, लेकिन इस तथ्य को दुनिया के दिलो-दिमाग में बैठाने का काम भूपेश बघेल ने किया है।राम वन गमन पथ सौंदर्यीकरण कर रहे हैं,किसान को धान का समर्थन मूल्य और बोनस पूरे पांच बरस दिया है। पिछली भाजपा सरकारें केवल चुनाव के बाद वाले वर्ष में और चुनाव के वर्ष में धान का बोनस देती थीं।गाय, गौठान, गोबर और गौ मूत्र को राज्य की राजनीति का केंद्र बिंदु बना दिया है।छत्तीसगढ़ महतारी (माता) का चित्र सरकारी दफ्तरों में लगाकर छत्तीसगढी अस्मिता को बढ़ाया है। सम्भवतः ऐसा पहला प्रदेश है छ्ग जहां सरकारी तौर पर जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं।छत्तीसगढी भाषा, खेल, त्यौहार और लोक पर्वो को मुख्यधारा में लाने का काम किया है।जब गोबर के ब्रीफकेस में भूपेश बघेल राज्य का बजट पेश करते हैं, तो पूरे देश मे उनकी वाहवाही होती है। पहला ऐसा प्रदेश है, जहां तीजा, पोरा जैसे लोक पर्व पर मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे सभी बहन बेटियों के लिए खुल जाते हैं।महिलाएं आकर सीएम और उनके परिवार के साथ तीज और पोला जैसे त्यौहार मनाती हैं।इधर विपक्षी दल भाजपा राज्य सरकार पर कोयला, शराब,डीएमएफ फंड व महादेव सट्टा एप में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है।ईडी ने मुख्यमंत्री सचिवालय की अफसर,दो आईएएस समेत कई लोगों की गिरफ्तारी की है।कई इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा है बेमेतरा-कवर्धा का हिन्दू मुस्लिम विवाद/बस्तर में धर्मांतरण भी चर्चा में है।अफसरशाही पर बेलगाम होने का आरोप भी भाजपा का है। सरकार पर तबादला उद्योग चलाने के आरोप भी भाजपा लगाती रहती है।एक बात तो तय है कि भूपेश बघेल के मुकाबले भाजपा के पास कोई स्थानीय चेहरा नहीं है, पूर्व सीएम डॉ रमनसिँह को वह तवज्जो नहीं मिल रही है जिसके वे हकदार हैँ बहरहाल छ्ग में भूपेश के मुकाबले भाजपा पीएम नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही अगला चुनाव लड़ेगी,अभी तक तो ऐसा ही लग रहा है?

राहुल ने किया बिलासपुर
से रायपुर रेल से सफऱ…  

छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रेन में सफर किया। उन्होंने बिलासपुर से रायपुर तक 117 किलोमीटर तक का सफर किया। इस दौरान यात्रियों से उनकी समस्याओं पर बात भी की। राहुल ने रेल में मौजूद महिला हॉकी खिलाड़ियों से बात की। उनकी ट्रेनिंग और उनको मिल रही सुविधाओं के बारे में पूछा…बिलासपुर में हुए कांग्रेस के आवास सम्मेलन में शामिल होने के बाद राहुल बिलासपुर से इंटरसिटी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में सवार हुए। वे शाम करीब पौने छह बजे रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। इस दौरान ट्रेन में उनके साथ सीएम भूपेश बघेल और प्रभारी कुमारी सैलजा भी थीं। राहुल ने ट्रेन में सामान्य यात्रियों की तरह सफर किया और घूम-घूमकर लोगों से भी मिले और उनकी समस्याओं की जानकारी ली।

छ्ग में भी कुछ और सांसद
बनेंगे विस प्रत्याशी…..  

मप्र जहाँ लगभग 18सालों से (कुछ माह की कमलनाथ सरकार को छोड़कर)भाजपा की लगातार सरकार है वहाँ भाजपा ने मोदी सरकार के 3 मंत्रियों सहित 7सांसदों को विधानसभा प्रत्याशी बनाया है तो छ्ग जहाँ कांग्रेस की मजबूत सरकार है वहाँ लोस संसद विजय बघेल के बाद कुछ और लोस, रास सदस्यों को भाजपा प्रत्याशी बना दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा?मप्र विस चुनाव में भाजपा ने मोदी सरकार में शामिल तीन केंद्रीय मंत्रियों, मुरैना की दिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर,नरसिंहपुर से प्रह्लाद पटेल और निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी बनाया गया है।साथ ही अपने चार सांसद जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह,सतना से गणेश सिंह,सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर विधानसभा क्रमांक 1 से टिकट दिया गया है।वैसे छ्ग में सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ संसद विजय बघेल, पूर्व रास सदस्य रामविचार नेताम को प्रत्याशी पहले ही बना चुकी है वहीं संसद रेणुका सिंह (केंद्रीय राज्य मंत्री) अरुण साव, संतोष पांडे,सुनील सोनी, गुहाराम अजगले, मोहन मंडावी,गोमती साय, आदि को विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। इसके दो फायदे हैं, विधायक बन गये तो ठीक, नहीं तो लोस की टिकट कट ही जाएगी….?

और अब बस….

0क्या ईडी अब अचार संहिता लगने के बाद कोई बड़ी कार्यवाही करेगी…?
0कांग्रेस के किस बड़े नेता के खिलाफ पार्टी के लोग ही टिकट का विरोध कर रहे हैं?
0कॉंग्रेस हर लोकसभा से 2महिला प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है।

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